20 मार्च को आइसलैंड के गेल्डिंगा घाटी में हुए ज्वालामुखी विस्फोट के बाद अब यह स्थान पर्यटकों के लिए नया डेस्टिनेशन बन गया है. इस ज्वालामुखी में लगातार विस्फोट हो रहा है. यहां से लाखों टन लावा हर रोज निकल रहा है. इतना ही नहीं कुछ दिन पहले इस ज्वालामुखी ने दूसरी दरार से भी लावा फेंकना शुरू कर दिया था. इस खतरनाक जगह पर हर दिन हजारों लोग पहुंच रहे हैं. यहां खेल रहे हैं. गर्म लावा पर खाना पका रहे हैं. आइसलैंड की सरकार को समझ में नहीं आ रहा है कि ये पर्यटन है या पागलपन. क्योंकि ज्वालामुखी कभी भी रौद्र रूप ले सकता है. (फोटोः रॉयटर्स)
आइसलैंड के रीकजेन्स प्रायद्वीप पर स्थित गेल्डिंगा घाटी में मौजूद यह ज्वालामुखी राजधानी रेकजाविक से 30 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है. चारों तरफ बर्फ और हरियाली होने के बावजूद इस ज्वालामुखी से निकलने वाला लावा यहां गर्मी पैदा कर रहा है. लोग एक साथ प्रकृति के कई नजारे देखने के लिए यहां आ रहे हैं. (फोटोः रॉयटर्स)
कुछ वैज्ञानिकों ने यहां के लावे की जांच करते समय खाना पका कर खाया था. इसके बाद अब यहां आने वाले हर पर्यटक को लावे के ऊपर कुछ न कुछ गर्म करके खाना है. यही नहीं लोग इसके आसपास वॉलीबॉल और अन्य खेल खेलते हुए भी नजर आ रहे हैं. लोग सर्दी और गर्मी दोनों से बचने के लिए कपड़े पहनकर यहां पहुंच रहे हैं. ज्वालामुखी से 3.5 किलोमीटर दूर से लोगों की गाड़ियों की कतारें लगी हुई हैं. (फोटोः रॉयटर्स)
इतनी भीड़ को देखते हुए आइसलैंड की सरकार ने लोगों को अपनी गाड़ियों को ज्वालामुखी से 3.5 किलोमीटर दूर लगाने का निर्देश दिया है. साथ ही लोगों को निर्देश दिया है कि अपनी गाड़ियां छोड़ने के बाद आप पैदल ट्रैकिंग करके ज्वालामुखी तक जाएं. इतना ही नहीं लोगों की सुरक्षा और आपदा में मदद के लिए यहां पर पुलिस की पेट्रोलिंग टीम को भी तैनात किया गया है. (फोटोः रॉयटर्स)
हर रोज इस ज्वालामुखी के पास पहुंच रहे लोगों की संख्या को देखते हुए सरकार परेशान भी है. आइसलैंड के वैज्ञानिकों का दावा है कि ये ज्वालामुखी कई सालों तक इसी तरह लावा उगलता रहेगा. ये कब बंद होगा इसका कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता. (फोटोः रॉयटर्स)
गेल्डिंगा घाटी (Geldinga Valley) स्थित माउंट फैगराडैल्सफाल (Mount Fagradalsfjall) के मुख्य विस्फोट वाली जगह से एक किलोमीटर दूर जो नई दरार बनी है, वो करीब आधा किलोमीटर लंबी है. अब इस दरार से लावा, राख और जहरीला धुआं निकल रहा है. हालांकि आइसलैंड के वैज्ञानिकों ने इससे किसी तरह के नुकसान की आशंका से मना किया है. (फोटोः रॉयटर्स)
यह ज्वालामुखी रेकजाविक शहर से करीब 35 किलोमीटर दूर है. माउंट फैगराडैल्सफाल (Mount Fagradalsfjall) ज्वालामुखी फटने की वजह से 1640 फीट ऊंची लावे की आकृति बन गई है. इस ज्वालामुखी ने पिछले चार दिनों में 1 करोड़ वर्ग फीट लावा उगला है. कई बार तो लावे का फव्वारा 300 फीट की ऊंचाई तक जा रहा है. (फोटोः रॉयटर्स)
आइसलैंड यूनिवर्सिटी के जियोफिजिसिस्ट प्रोफेसर मैग्नस तुमी गडमुंडस्सन ने कहा कि ये ज्वालामुखी अभी फटता ही रहेगा. हो सकता है कि ये एक दिन में बंद हो जाए या फिर एक महीने तक ऐसे ही फटता रहे. साल 2010 के बाद आइसलैंड में यह इस तरह की पहली घटना है. (फोटोः रॉयटर्स)
सवाल ये है कि आखिरकार इतने सालों से शांत पड़ा ज्वालामुखी अचानक कैसे फट गया? आइसलैंड में ज्वालामुखी की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं. हर चार-पांच साल में एक ज्वालामुखी बड़ा विस्फोट तो कर ही देता है. कारण ये है कि ये देश भूकंपीय गतिविधियों के लिए जाना जाता है. यहां सबसे बड़ा भूकंप साल 2014 में आया था. (फोटोः रॉयटर्स)
साल 2014 से लेकर अब तक आइसलैंड में हर साल 1000 से 3000 भूकंप आए हैं. लेकिन दिसंबर 2019 से भूकंपों की गतिविधि अचानक से बढ़ गई है. इसकी वजह जानने के लिए साइंटिस्ट अब भी जुटे हैं. सिर्फ मार्च के दूसरे हफ्ते में ही आइसलैंड में 18 हजार भूकंप आए हैं. इसमें 400 भूकंप उस इलाके में आए हैं जहां माउंट फैगराडैल्सफाल (Mount Fagradalsfjall) में विस्फोट हो रहा है. (फोटोः रॉयटर्स)
आइसलैंड के मौसम विभाग ने कहा कि ज्वालामुखी वाले इलाके में कम भूकंप आए थे. जबकि, एक दिन पहले ही वहां पर 1000 भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. रिक्टर पैमाने पर 3 की तीव्रता के ऊपर के भूकंप तो पता चल ही जाते हैं. 24 फरवरी को इस जगह 5.7 तीव्रता का भूकंप आया था. जिसके आधे घंटे बाद 5 तीव्रता का भूकंप फिर आया. (फोटोः रॉयटर्स)