Advertisement

साइंस न्यूज़

जल्द मिलेगा देश को पहला लाइट टैंक Zorawar, जर्मनी के धोखे के बाद अमेरिका से नई डील

आजतक साइंस डेस्क
  • नई दिल्ली,
  • 17 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 4:16 PM IST
  • 1/6

भारत के पहले स्वदेशी हल्के टैंक जोरावर (Zorawar) के लिए जर्मनी से इंजन की मांग की गई थी. लेकिन जर्मनी ने मना कर दिया. इसके बाद यह भारत ने अमेरिका से इंजन की डील कर ली. अब जर्मनी ने कहा कि वो इंजन दे सकता है लेकिन भारत ने मना कर दिया. आइए जानते हैं इस शानदार टैंक की खासियत... 

  • 2/6

ज़ोरावर को पंजाबी भाषा में बहादुर कहते हैं. यह एक आर्मर्ड फाइटिंग व्हीकल है. इसे इस तरह से बनाया जाएगा कि इसके कवच पर बड़े से बड़े हथियार का असर न हो. इसके अंदर बैठे लोग सुरक्षित रहे. इसकी मारक क्षमता घातक हो.  साथ ही यह बेहतर स्पीड में चल सके. अंदर आधुनिक संचार तकनीक लगाई जाएगी. 

  • 3/6

ज़ोरावर टैंक को DRDO ने डिजाइन किया है. यहां तस्वीरों में उसी टैंक के मॉडल हैं. इसे बनाने का काम लार्सेन एंड टुर्बो को दिया गया है. भारतीय सेना को ऐसे 350 टैंक्स की जरुरत है. ये टैंक मात्र 25 टन के होंगे. इन्हें चलाने के लिए सिर्फ तीन लोगों की जरूरत होगी. 

Advertisement
  • 4/6

इस टैंक का नाम जनरल ज़ोरावर सिंह कहलूरिया के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने 1841 में चीन-सिख युद्ध के समय कैलाश-मानसरोवर पर मिलिट्री एक्सपेडिशन किया था. भारत पहले ऐसे टैंक्स रूस से खरीदना चाहती थी. लेकिन बाद में इसे देश में बनाने का फैसला लिया गया. असल में यह देश का पहला ऐसा टैंक होगा, जिसे माउंटेन टैंक बुला सकते हैं. 

  • 5/6

हल्का होने की वजह से इसे उठाकर कहीं भी पहुंचाया जा सकेगा. इसकी नाल 120 मिलिमीटर की होगी. ऑटोमैटिक लोडर होगा. रिमोट वेपन स्टेशन होगा, जिसमें 12.7 mm की हैवी मशीन गन लगाई जाएगी. 2024 तक इसके ट्रायल्स चलेंगे. फिर सेना को सौंपा जाएगा.  

  • 6/6

ज़ोरावर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन इंटीग्रेशन, एक्टिव प्रोटेक्शन सिस्टम, हाई डिग्री ऑफ सिचुएशनल अवेयरनेस जैसी तकनीके भी होंगी. साथ ही इसमें मिसाइल फायरिंग की क्षमता होगी. दुश्मन के ड्रोन्स को मार गिराने के यंत्र, वॉर्निंग सिस्टम भी लगे होंगे. चीन ने अपनी तरफ जो टैंक लगाए हैं, वो 33 टन से कम वजन के हैं. उन्हें आसानी से एयरलिफ्ट किया जा सकता है.  
 

Advertisement
Advertisement
Advertisement