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साइंस न्यूज़

International Jaguar Day: ये है जगुआर, कछुए का कवच हो या मगरमच्छ की खाल... कर लेता है शिकार

ऋचीक मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 29 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 2:46 PM IST
International Jaguar Day
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जगुआर (Jaguar) यानी कार नहीं. जंगली जानवर. बड़ी बिल्लियों की प्रजाति का एक घातक शिकारी. विज्ञान की भाषा में इसे Panthera ocna बुलाते हैं. सिर्फ अमेरिका में मिलता है. इकलौता पैंथेरा जीनस का जीव जो अमेरिका में पाया जाता है. सुंदरता के साथ-साथ खतरनाक शिकारी भी. 

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6.1 फीट लंबा और 158 किलोग्राम वजनी जगुआर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी बिल्ली है. इसका फर अलग से पहचान में आता है. इसकी खाल हल्की पीले रंग की होती है. जिसके ऊपर गुलब की पंखुड़ियों के आकार में काले और गहरे भूरे रंग के चकत्ते बने होते हैं. कुछ छोटे तो कुछ बेहद बड़े. 

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 जबड़ा इतना ज्यादा मजबूत होता है कि ये कछुए का कवच हो या मगरमच्छ की खाल, फोड़ डालता है. यह आमतौर पर दक्षिणी-पश्चिमी अमेरिका, मेक्सिको, मध्य अमेरिका, अमेजन के जंगल, पराग्वे और अर्जेंटीना के कुछ हिस्सों में पाया जाता है. लेकिन अब जगुआर की आबादी खतरे में है. 

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IUCN ने इसे करीब-करीब खतरे में पहुंच चुके जानवरों की रेड लिस्ट में शामिल किया है. जंगल में इसकी आबादी 1990 के दशक के कम होती जा रही है. अमेरिका में 51 जगहों पर जगुआर कंजरवेशन यूनिट्स बनाए गए हैं. इसके अलावा 50 जगहों पर जगुआर ब्रीडिंग सेंटर्स खोले गए हैं. 

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जगुआर की कहानियां नेटिव अमेरिकन, एजटेक और माया सभ्यता में भी मिलती हैं. इस जानवर के बारे में सबसे पहले 1758 में कार्ल लीनियस ने अपनी रिपोर्ट में वैज्ञानिक तौर पर जिक्र और परिभाषित किया था. एक गणना के अनुसार जगुआर धरती पर 1.17 करोड़ साल से हैं. 

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ब्लैक जगुआर भी होते हैं. उनकी खाल पूरी काली होती है. लेकिन ये कम पाए जाते हैं. आमतौर पर जगुआर धुंधलके या फिर रात में शिकार करते हैं. ये बेहद घने जंगलों में रहते हैं. इन्हें खाने में कैपीबारा और जायंट आंटईटर पसंद होता है. लेकिन किसी भी जानवर का शिकार करने में डरते नहीं. चाहे वह मगरमच्छ ही क्यों न हो. 

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ये आमतौर पर इंसानों पर हमला नहीं करते. लेकिन साल 2008 में ब्राजील में एक इंसान पर हमले की पहली खबर आई थी. इसी साल गुएना में जगुआर ने दो बच्चों को मारा था. इसके अलावा इनके द्वारा इंसानों पर हमला करने की खबरें नहीं आई हैं.  

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