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साइंस न्यूज़

International Space Station: 8 साल में खत्म हो जाएगा स्पेस स्टेशन, प्रशांत महासागर में बनेगी कब्र

aajtak.in
  • ह्यूस्टन,
  • 04 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 7:26 PM IST
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अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (International Space Station) की जिंदगी अब सिर्फ 8 साल बची है. बची क्या है... बस उसे किसी तरह चलाया जा रहा है. क्योंकि उसकी लाइफ खत्म हो चुकी है. लेकिन अब नासा ने घोषणा कर दी है कि यह स्पेस स्टेशन 8 साल बाद काम करना बंद कर देगा. 2030 में यहां से एस्ट्रोनॉट्स चले आएंगे. साल 2031 तक यह प्रशांत महासागर के किसी सुदूर निर्जन इलाके में गिर जाएगा या फिर गिरा दिया जाएगा. (फोटोः NASA)

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साल 1998 में इसे लॉन्च किया गया था. तब से लेकर यह हर दिन धरती के 16 चक्कर लगाता है. दिसंबर 2020 तक यह कुल मिलाकर 131,440 चक्कर लगा चुका है. चक्कर लगाने की गति भी बहुत भयानक है. यह एक सेकेंड में 7.66 किलोमीटर की दूरी तय करता है. यानी 27,600 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार. 4.44 लाख किलोग्राम वजनी स्पेस स्टेशन की चौड़ाई 357.5 फीट और लंबाई 239.4 फीट है. (फोटोः गेटी)

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NASA का प्लान है कि वह इसे जनवरी 2031 में इसे प्रशांत महासागर के प्वाइंट निमो (Point Nemo) में गिराएंगे. ताकि यह जमीन से करीब 2700 किलोमीटर समुद्र में गिरे. यहीं पर उसकी कब्र बनेगी. यह जगह पुरानी स्पेस स्टेशन, पुरानी सैटेलाइट्स और अन्य अंतरिक्षीय कचरे के लिए ही निर्धारित की गई है. इस जगह को ओशिएनिक पोल ऑफ इनएसेसिबिलिटी (Oceanic Pole of Inaccessibility) या साउथ पैसिफिक ओशन अनइनहैबिटेड एरिया (South Pacific Ocean Uninhabited Area) भी कहते है. (फोटोः गेटी)

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प्वाइंट निमो (Point Nemo) के आसपास किसी भी जहाज का आना-जाना वर्जित है. न हवा में न पानी में. आसपास कई रहने लायक स्थान नहीं है. यहां पर किसी तरह की इंसानी गतिविधि नहीं होती. यहां से कोई भी इंसानी सभ्यता कम से कम 2700 किलोमीटर की दूरी पर ही मिलती है. NASA मुख्यालय में स्पेस स्टेशन के डायरेक्टर रॉबिन गेटेन्स कहते हैं कि ISS कोई स्टेशन नहीं है, वह इंसानी इंजीनियरिंग और ज्ञान का जीवित उदाहरण है. यह स्पेस स्टेशन भविष्य में निजी स्पेस स्टेशन निर्माताओं के लिए काम आएगा. (फोटोः गेटी)

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नासा मुख्यालय में कॉमर्शियल स्पेस के डायरेक्टर फिल मैकएलिस्टर ने कहा कि हम स्पेस स्टेशन से मिले अपने अनुभवों को प्राइवेट सेक्टर के लोगों से शेयर करेंगे. उन्हें सुरक्षित, भरोसेमंद और सस्ते स्पेस स्टेशन बनाने के लिए प्रेरित करेंगे. ISS से सारी काम की चीजों को पहले हटाया जाएगा. उन्हें प्राइवेट सेक्टर के स्पेस स्टेशन पर ले जाया जाएगा. यह काम स्पेस स्टेशन के गिरने तक जारी रहेगा. इस काम में करीब 1.3 बिलियन डॉलर्स यानी 97,116,630,000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. (फोटोः गेटी)

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अमेरिकन फुटबॉल फील्ड के आकार का ISS हर डेढ़ घंटे में धरती का एक चक्कर लगाता है. यह नवंबर 2000 से लगातार एस्ट्रोनॉट्स का घर बना हुआ है. यहां पर हमेशा 7 से 8 एस्ट्रोनॉट्स रहते हैं. पिछली साल सितंबर में रूसी वैज्ञानिकों ने स्पेस स्टेशन पर छोटी-छोटी दरारें देखी थीं. जिसके बाद कहा था कि स्पेस स्टेशन की उम्र अब ज्यादा दिन नहीं बची है. इसमें ऐसे नुकसान हो रहे हैं, जिनको सुधार पाना मुश्किल होता जा रहा है. (फोटोः NASA)

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असल में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (International Space Station) को सिर्फ 15 साल काम करने के लिए ही बनाया गया था. लेकिन जांच-पड़ताल के बाद पता चला कि अभी यह कुछ साल और काम कर सकता है. रूसी शिकायत के बाद भी स्पेस स्टेशन की जांच की गई. तब NASA ने पूरा विश्वास जताया कि स्पेस स्टेशन अभी 2030 तक काम कर सकता है. नासा ने कहा कि इससे पहले कि स्पेस स्टेशन पूरी तरह से खत्म हो, हम उसका सभी जरूरी सामान निजी स्पेस स्टेशनों या धरती पर वापस ले आएंगे. (फोटोः गेटी)

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साल 1971 से अब तक करीब 300 अलग-अलग अंतरिक्षीय कचरों को प्वाइंट निमो में डाला गया है. इसमें पांच पुराने स्पेस स्टेशन भी हैं. इसमें ज्यादातर अमेरिकी और रूसी है. लेकिन समस्या ये है कि जिस जगह ये स्पेस कचरा डाला जा रहा है वहां पर प्रदूषण की समस्या बढ़ रही है. स्पेस स्टेशन जब धरती पर आएगा तो वह आग के गोले में तब्दील होगा. देखना ये है कि इसका कितना हिस्सा बचता है और कितना हिस्सा जलकर खत्म हो जाता है. (फोटोः गेटी)

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मार्च 2001 में रूस के स्पेस स्टेशन मीर (Mir) को भी इसी तरह धरती पर गिराया गया था. उसे एक कार्गो शिप ने धरती की तरफ पुश किया था. मीर के सोलर पैनल्स और कमजोर हिस्से तो पूरी तरह से रास्ते में ही जलकर खत्म हो गए. लेकिन उसके 20 से 25 टन के हिस्से प्रशांत महासागर के प्वाइंट निमो में गिरे थे. जिससे काफी तेज सोनिक बूम यानी तेज आवाज की लहर बहुत दूर तक सुनाई दी थी. (फोटोः गेटी)

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अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (International Space Station) को बनाने में और उसपर अभी काम करने वाले देशों में अमेरिका, रूस, जापान, कनाडा, ब्राजील, यूके, स्विट्जरलैंड, स्वीडन, स्पेन, नॉर्वे, नीदरलैंड्स, इटली, जर्मनी, फ्रांस, डेनमार्क और बेल्जियम शामिल हैं. इनमें से ब्राजील सिर्फ 1997 से 2007 तक साथ में उसके बाद वह अलग हो गया. (फोटोः NASA)

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अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (International Space Station) पर दिसंबर 2021 तक 19 देशों के करीब 251 एस्ट्रोनॉट्स जा चुके हैं. रह चुके हैं. अमेरिका से सबसे ज्यादा 155 एस्ट्रोनॉट्स, रूस से 52, जापान से 11, कनाडा से 8, इटली से 5, फ्रांस-जर्मनी से चार-चार और बाकी देशों से एक-एक एस्ट्रोनॉट स्पेस स्टेशन की यात्रा कर चुके हैं. इसमें मलेशिया, साउथ अफ्रीका, साउथ कोरिया, संयुक्त अरब अमीरात, ग्रेट ब्रिटेन, कजाकिस्तान जैसे देश भी शामिल हैं. (फोटोः NASA)

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