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साइंस न्यूज़

Israel Hamas War: 800 डिग्री सेल्सियस गर्मी पैदा करने वाले बम से देसी रॉकेट तक... इजरायल-हमास वॉर में इस्तेमाल हो रहे ये 12 हथियार

ऋचीक मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 18 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 1:07 PM IST
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कार्लो सबमशीन गन... फिलिस्तीन में बनी देसी सबमशीन गन. डिजाइन स्वीडन के कार्ल गुस्ताव एम45 से प्रेरित है जिसका इस्तेमाल हमास आतंकी काफी ज्यादा करते हैं. कई तरह की गोलियां लग जाती हैं. गोलियों के हिसाब से इन्हें बना सकते हैं. 2016 से लेकर अब तक 68 हमलों में हमास ने इस बंदूक का इस्तेमाल किया है. 

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अबाबील ड्रोन... इस ड्रोन को सबसे पहले ईरान ने बनाया था. हमास के पास इसका पहला वैरिएंट ही है. जिसका इस्तेमाल वह निगरानी और कभी-कभी हमला करने के लिए करता है. यह लंबी दूरी का सस्ता ड्रोन है, जिसे थोड़े खर्च में घर पर बनाया जा सकता है. अबाबील ड्रोन एक आत्मघाती ड्रोन है. इसे 1980 में बनाया गया था. इसकी कोई तस्वीर मौजूद नहीं है. हम आपको अबाबील-2 की तस्वीर दिखा रहे हैं. इसमें 40 किलोग्राम विस्फोट लोड होता है. 

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al quads रॉकेट... यह फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद नाम के आतंकी संगठन द्वारा बनाई गई घरेलू आर्टिलरी रॉकेट है. यह बहुत हद तक हमास के Qassam रॉकेट से मिलता-जुलता है. इस मिसाइल की लंबाई 2.3 मीटर होती है. यह गाजा पट्टी से दागी जाए तो इजरायल के कई शहरों पर हमला कर सकती है. यह मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर्स हैं. रेंज 18 से 30 km है. एक लॉन्चर में दस रॉकेट होते हैं. पूरा सिस्टम 20 सेकेंड में 40 रॉकेट दागने की क्षमता रखता है. 

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Qassam रॉकेट... हमास आतंकियों द्वारा स्टील की पाइपों से बनाया गया रॉकेट. हमास के इज अद-दीन अल-कासम ब्रिगेड ने इसे बनाया है. इसके चार वैरिएंट हैं. 35 kg से 50 kg वजन के. लंबाई भी 180 सेंटीमीटर से 244 सेंटीमीटर है. इसके वॉरहेड में विस्फोटक के साथ बॉल बियरिंग, कीलें, कांच वगैरह डाली जाती हैं. ताकि ज्यादा लोग जख्मी हों. ये भारत के देसी बम की तरह ही देसी रॉकेट है. रेंज 1.5 से लेकर 16 किलोमीटर तक है.

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Yasin RPG... यह हमास द्वारा बनाया गया देसी एंटी-टैंक रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रैनेड है. जिसका इस्तेमाल 2004 से हमास कर रहा है. वजन 7 किलोग्राम है. लंबाई 37 इंच है. इसे आराम से 1 या दो लोग मिलकर चला सकते हैं. इसमें दो तरह के ग्रैनेड लगते हैं. 40 मिलिमीटर और 85 मिलिमीटर. ग्रैनेड 295 मीटर प्रति सेकेंड की गति से दुश्मन की तरफ जाती है. इसकी रेंज 300 मीटर है. इसके इस्तेमाल कई बार सैनिकों और हल्के वाहनों पर भी किया जाता है. 

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al bana आरपीजी... कंधे पर रखकर चलाया जाने वाला रॉकेट लॉन्चर. यह राफाह की सुरंगों के जरिए गाजा पट्टी में लाई जाती है. या फिर वहीं बनाई जाती है. इसका दूसरा रूप है अल-बतर आरपीजी. दोनों लगभग एक जैसे ही हैं. बस रेंज और मारक क्षमता का अंतर है. यह टैंक, हेलिकॉप्टर या हल्के-फुल्के सैन्य वाहनों को उड़ा सकता है. 

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कॉन्कर्स एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल... इस एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल को कंधे पर, ट्राईपॉड पर या फिर टैंक या बीएमपी गाड़ियों पर तैनात करके दागा जा सकता है. इसे 1970 में डिजाइन किया गया था. इसकी मिसाइल का वजन 14.6 kg है. लॉन्चिंग पोस्ट का वजन 22.5 kg है. मिसाइल 45 इंच लंबी है. इसमें 2.7 kg हीट वॉरहेड लगाते हैं. रेंज 70 मीटर से लेकर 4 km तक है. इसका गोला 208 मीटर प्रति सेकेंड की गति से दुश्मन टारगेट की ओर बढ़ता है. इसे दुनिया के 2 दर्जन से ज्यादा देश इस्तेमाल करते हैं. 

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कॉर्नेट एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल... कॉर्नेट एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल मैन पोर्टेबल हैं. यानी कंधे से दागी दा सकती हैं. 1998 से अब तक कई देशों की सेनाओं में तैनात. एक दर्जन युद्धों में हो चुका है उपयोग. अब तक 35 हजार यूनिट्स बनाई गई हैं. एक मिसाइल का वजन 27 से 64 kg तक होता है. लंबाई 1200 mm होती है. इसमें 4.6 kg का हीट वॉरहेड लगाते हैं. इसकी रेंज 100 मीटर से 5.5 km और कॉर्नेट-ईएम की रेंज 8 से 10 km है. 

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आयरन बीम... इजरायल अब हमास के रॉकेटों, ग्रैनेड्स और मोर्टार को गिराने के लिए लेजर अटैक कर रहा है. इजरायल अब Iron Beam Laser Point Defence System को एक्टिवेट कर चुका है. यह सिस्टम काफी दूर से ही ड्रोन्स, रॉकेट्स, मिसाइल, मोर्टार को आते देखकर उन्हें आसमान में ही खत्म कर देता है. इस लेजर हथियार को इजरायल ने पूरे देश में तैनात कर दिया है. रेंज 10 km. इसमें गोलियां, गोले या रॉकेट नहीं होते. इसलिए जितना मन करे उतना दागो. यानी इसकी मैगजीन खाली नहीं होती. 
 

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आयरन डोम... इजरायल का बनाया हुआ दुनिया का सबसे सटीक और कारगर एयर डिफेंस सिस्टम. साल 2011 में इजरायल ने Iron Dome को अपने देश में तैनात किया. तब से यह हवाई रक्षा प्रणाली इजरायल के लोगों को हमास और अन्य फिलिस्तीनी आतंकी समूहों के रॉकेट हमले से बचा रहा है. अगर आयरन डोम अपनी तरफ 100 रॉकेट आता देखता है, तो वह 90 को हवा में ही नष्ट कर देता है. यानी 90 फीसदी सटीकता. 

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इसे बनाने की शुरूआत 2006 में हुई, जब हिजबुल्लाह आतंकियों ने इजरायल पर हजारों रॉकेट दागे. नतीजा बहुत बुरा था. इजरायल में सैकड़ों लोग मारे गए. हजारों देश छोड़कर भाग गए. काफी ज्यादा नुकसान हुआ. इसके बाद इजरायल ने स्वदेशी मिसाइल डिफेंस शील्ड (Missile Defence Shield) बनाया. आयरन डोम की रेंज अब 150 वर्ग km से बढ़कर 250 वर्ग km हो चुकी है. यह अब दो दिशाओं से आने वाले दुश्मन रॉकेटों पर हमला कर सकता है. मिसाइल फायरिंग यूनिट में तामीर इंटरसेप्टर मिसाइल होती है. एक बैट्री में तीन-चार लॉन्चर होते हैं. हर लॉन्चर में 20 मिसाइलें होती हैं.

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मेरकावा टैंक... इजरायल का मुख्य युद्धक टैंक. इसके चार वैरिएंट्स इजरायल के पास मौजूद हैं. 65 टन का यह टैंक 4 क्रू मेंबर और 6 सैनिकों के साथ युद्ध मैदान में उतरता है. इसके बाहर जो कवच लगा है, उसके बारे में इजरायल ने कभी किसी को नहीं बताया. इसमें 120 मिलिमीट की स्मूथबोर गन लगी होती है. साथ ही यह एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल Lahat लॉन्च कर सकता है. इसके अलावा इसमें एक 12.7 मिलिमीटर की मशीन गन, तीन 7.62 मिलिमीटर की मशीन गन, 1 मोर्टार लॉन्चर, 1 इंटरनल मोर्टार लॉन्चर और 12 स्मोक ग्रैनेड लॉन्चर लगा होता है. इसमें 48 गोले रहते हैं. इसकी रेंज 500 km है. 

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फॉस्फोरस बम... ऐसा आरोप लगाया जा रहा है कि इजरायल ने हमास आतंकियों को मारने के लिए गाजा पट्टी में फॉस्फोरस बम दागे. हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हुई है. लेकिन यह ऐसा बम है जो फटने के बाद आसपास के वातावरण में ऑक्सीजन की कमी पैदा कर देता है. साथ ही आंखों और त्वचा में तेज जलन पैदा करता है. इसके विस्फोट से लोग जलते हैं. क्योंकि यह 800 डिग्री सेल्सियस का तापमान पैदा करता है. 

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