जापान में इस बार चेरी ब्लॉसम के पेड़ 1200 साल के इतिहास में पहली बार समय से पहले खिल गए हैं. चारों तरफ हल्के गुलाबी रंग के फूल उगे हैं. जापान के क्योटो में 26 मार्च को सबसे ज्यादा चेरी ब्लॉसम के खिलने की रिपोर्ट दर्ज की गई है. ये विश्लेषण किया है जापान की ओसाका यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने. उनके मुताबिक 812 एडी (812 AD) के बाद पहली बार इतनी ज्यादा मात्रा में और समय से पहले चेरी ब्लॉसम उगे हैं. ये क्लाइमेट चेंज की वजह से हुआ है. (फोटोःगेटी)
ओसाका यूनिवर्सिटी के अध्ययन के मुताबिक पिछले कुछ दशकों में चेरी ब्लॉसम (Cherry Blossom) समय से पहले खिल रहे हैं. जबकि, इस स्तर पर सबसे पहले 812 AD में खिले थे. इसके दस्तावेज इंपीरियल कोर्ट डॉक्यूमेंट्स और डायरीज में मिलते हैं. (फोटोःगेटी)
इस साल से पहले और 812 AD के बाद 1409 में 27 मार्च को चेरी ब्लॉसम के फूल इतनी ज्यादा मात्रा में और समय से पहले खिले थे. चेरी ब्लॉसम के आने का मतलब होता है कि बसंत ऋतु का मौसम अपने जोर पर है. इस बार जापान के क्योटो में बसंत के मौसम में ही ज्यादा गर्मी देखने को मिल रही है. क्योटो अपने चेरी ब्लॉसम के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. (फोटोःगेटी)
जापान के मौसम विभाग के अनुसार साल 1953 से ही क्योटो में लगातार तापमान बढ़ रहा है. पिछले साल 2020 के मार्च महीने में क्योटो का तापमान 8.6 डिग्री सेल्सियस था. लेकिन इस साल यानी 2021 में यह 10.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था. यानी दो साल में दो डिग्री सेल्सियस का इजाफा हुआ है. (फोटोःगेटी)
जापान के राष्ट्रीय अखबार मैनिची (Mainichi) ने 31 मार्च को एक रिपोर्ट छापी थी, जिसमें लिखा था कि पिछले साल कोरोना महामारी के चलते इंसानी गतिविधियां बंद थीं. लेकिन इसके बावजूद जापान में कार्बन डाईऑक्साइड का स्तर कम नहीं हुआ है. यह लगातार बढ़ता ही रहा है. सिर्फ जापान ही नहीं इसके आसपास के देशों में भी कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा बढ़ी है. (फोटोःगेटी)
जापान में चेरी ब्लॉसम के उगने और खिलने का अत्यधिक सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व है. इस समय लोग अपने परिजनों से मिलते हैं. घूमने जाते हैं. साथ ही सोशल मीडिया पर चेरी ब्लॉसम की तस्वीरें शेयर करते हैं. क्योटो में चेरी ब्लॉसम के आने की खुशी और त्योहार 9वीं सदी से मनाया जा रहा है. (फोटोःगेटी)
जापान के मौसम विभाग के अनुसार आमतौर पर जापान के क्योटो में चेरी ब्लॉसम (Cherry Blossom) के उगने और खिलने का समय अप्रैल के मध्य में होता था. लेकिन अब ये करीब 20 दिन पहले हो रहा है. ज्यादातर समय ये खिसककर अप्रैल के पहले हफ्ते में होता है. क्योटो में 1953 के बाद से अब तक का सबसे ज्यादा चेरी ब्लॉसम उगा है. ये आसपास के दर्जनों शहरों के आंकड़ों को मिलाने के बाद भी बहुत ज्यादा है. (फोटोःगेटी)
जापान के मौसम विभाग ने साइंटिस्ट शुंजी आन्बे ने कहा है कि हो सकता है कि ये ग्लोबल वार्मिंग या क्लाइमेट चेंज की वजह से हुआ हो. इससे पहले वॉशिंगटन में भी चेरी ब्लॉसम (Cherry Blossom) समय से पहले उगा था. वॉशिंगटन में 20 मार्च को यह अपने अधिकतम स्तर पर था. (फोटोःगेटी)
वॉशिंगटन में चेरी ब्लॉसम (Cherry Blossom) के जो पेड़ उगे और लगे हैं, उन्हें 1912 में टोक्यो के मेयर ने गिफ्ट किया था. मेयर ने करीब 3000 पौधे गिफ्ट किए थे. जापान में चेरी ब्लॉसम को सकूरा (Sakura) कहते हैं. सामान्य तौर पर सकूरा फूलों का खिलना अप्रैल के मध्य में अपने उच्चतम स्तर पर होता है. लेकिन इस बार तो ये 26 मार्च को ही सबसे अधिक दर्ज किया गया. (फोटोःगेटी)
ओसाका यूनिवर्सिटी के पर्यावरणविद यासूयूकी आओनो ने कहा कि इससे पहले 27 मार्च को सबसे अधिक फूल खिलने का रिकॉर्ड है. साल 1236, 1409 और 1612 में 27 मार्च को ही चेरी ब्लॉसम खिल गए थे. लेकिन इस बार इसने एक दिन पहले खिलकर 1200 सालों का रिकॉर्ड तोड़ डाला है. (फोटोःगेटी)
जापान में चेरी ब्लॉसम के फूलों के खिलने का डेटा रखने के लिए 58 मानक तय किए गए हैं. इनमें से 40 मानक तो मार्च में ही पूरे हो गए. 14 बचे मानकों को अप्रैल तक पूरा होने की उम्मीद की जा रही है. पिछले साल की तुलना में मार्च महीने में क्योटो का तापमान दो डिग्सी सेल्सियस ज्यादा दर्ज किया गया है, जबकि जापान का औसत तापमान 12.4 डिग्री सेल्सियस था. (फोटोःगेटी)
चेरी ब्लॉसम (Cherry Blossom) पर्यावरण परिवर्तन को लेकर अत्यधिक संवेदनशील होते हैं. इनके खिलने के डेटा के जरिए दुनियाभर के साइंटिस्ट ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज के खतरनाक असर का अध्ययन कर सकते हैं. ये पेड़ अपने आप में एक जीवित प्रयोगशाला हैं. (फोटोःगेटी)