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साइंस न्यूज़

Indonesia: धरती का इकलौता ज्वालामुखी जहां से निकलता है नीला लावा, यहां तेजाब की झील भी

ऋचीक मिश्रा
  • जावा (इंडोनेशिया),
  • 18 जून 2022,
  • अपडेटेड 5:12 PM IST
Kawah Ijen Volcano Blue Lava
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इंडोनेशिया (Indonesia) के जावा (Java) में बानयूवांगी रीजेंसी और बोंडोवोसो रीजेंसी की सीमा पर मौजूद है ऐसा ज्वालामुखी जो नीला लावा उगलता है. ये बेहद हैरान करने वाली प्राकृतिक घटना है. ये ज्वालामुखी अपनी चार चीजों के लिए जाना जाता है- पहला नीला लावा (Blue Lava), नीली आग, एसिडिक क्रेटर झील और सल्फर के खनन के लिए. इसका नाम है कावा इजेन ज्वालामुखी (Kawah Ijen Volcano). (फोटोः मशूदी सोजोनो/अन्स्प्लैश)

Kawah Ijen Volcano Blue Lava
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कावा इजेन ज्वालामुखी (Kawah Ijen Volcano) आखिरी बार 1999 में फटा था. लेकिन इससे निकलने वाला लावा इसे हमेशा वैज्ञानिकों की स्टडी का सेंटर बना कर रखता है. इस ज्वालामुखी का काल्डेरा (Caldera) करीब 20 किलोमीटर चौड़ा है. यहां पर कई पहाड़ों का एक कॉम्प्लेक्स है. जिसमें गुरुंग मेरापी स्ट्रैटोवॉल्कैनो सबसे भयावह है. यहीं से नीली आग और नीला लावा निकलता है. गुरुंग मेरापी यानी आग का पहाड़. (फोटोः ट्विटर/oneironaut)

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यहां पर एक क्रेटर है, जो करीब 1 किलोमीटर व्यास का है. यहां पर नीले रंग का पानी है, जो पूरी तरह से एसिडिक है. यानी तेजाब की झील है. लोग यहां से सल्फर का खनन करके ले जाते हैं. यहां सल्फर निकालने वाले मजदूरों को एक दिन का 13 डॉलर यानी 1013 रुपये मिलते हैं. क्योंकि लोग सल्फर के चंक को लेकर तीन किलोमीटर नीचे पाल्टूडिंग घाटी में उतरते हैं. (फोटोः ट्विटर/oneironaut)

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कावा इजेन ज्वालामुखी (Kawah Ijen Volcano) का क्रेटर जहां से नीली आग और नीला लावा निकलता है, उसका व्यास 722 मीटर है. यह क्रेटर करीब 200 मीटर गहरा है. इस क्रेटर में सलफ्यूरिक एसिड की मात्रा बहुत ज्यादा है. यहां मौजूद तेजाब की झील को दुनिया का सबसे बड़ा एसिडिक क्रेटर लेक माना जाता है. यहीं से एक धातुओं से संपूर्ण नदी भी निकलती है.  (फोटोः ट्विटर/oneironaut)

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जब से इस क्रेटर के बारे में नेशनल जियोग्राफिक ने स्टोरी की, तब से यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ गई है. अब यहां पर लोग रात में माउंटेन हाइकिंग के लिए आते हैं, ताकि नीले रंग के लावे को निकलते या बहते हुए देख सकें. दो घंटे की ट्रैकिंग के बाद लोग ज्वालामुखी के क्रेटर की रिम तक पहुंच जाते हैं. फिर 45 मिनट की ट्रैकिंग के बाद नीचे मौजूद तेजाब की झील तक पहुंच जाते हैं. (फोटोः प्रशांत दत्ता/अन्स्प्लैश)

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इस ज्वालामुखी पर जाने वाले पर्यटकों को केमिकल मास्क लगाकर जाना होता है. नहीं तो सल्फर की गंध से उनकी तबियत खराब हो जाती है. सलफ्यूरिक गैस निकलने की वजह से यहां पर निकलने वाली आग नीली दिखती है. क्रेटर का तापमान 600 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है. क्रेटर से निकलने वाली आग की लंबाई 16 फीट ऊंची होती है. (फोटोः सैद अलमरी/अन्स्प्लैश)

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कावा इजेन ज्वालामुखी (Kawah Ijen Volcano) दुनिया का इकलौता ऐसा ज्वालामुखी है, जहां से नीले रंग की आग और लावा निकलता है. स्थानीय लोग इसे अपी बीरू यानी नीली आग बुलाते हैं. तेजाब की झील के पास एक धरती के अंदर जाता हुआ रास्ता है. यहां से सल्फर बाहर आता है. जब ये बाहर आता है, तब लाल रंग का होता है. बाहर आते ही नीला दिखने लगता है.  (फोटोः मेक्सिम इवाशेंको/अन्स्प्लैश)

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बाद में जब यह ठंडा होता है तब पीले रंग का दिखता है. पत्थरों के रूप में जम जाता है. यहां मौजूद मजदूर पिघले हुए सल्फर को सिरेमिक की पाइप से ऊपर से नीचे की तरफ बहा देते हैं. वो नीचे जाते जाते ठंडा हो जाता है. नीचे पहुंचने पर जम जाता है. फिर मजदूर उसे तोड़-तोड़कर नीचे मौजूद घाटी में ले जाते हैं. आमतौर पर एक दिन में दो बार मजदूर ये काम करते हैं. (फोटोः पिक्साबे)

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हर दिन इस ज्वालामुखी से करीब 200 खननकर्मी 14 टन सल्फर निकालते हैं. जहां से ये लोग सल्फर निकालते हैं वहां पर तापमान 45 से 60 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है. मजदूरों की सुरक्षा को लेकर खनन कंपनियां ज्यादा ध्यान नहीं देती, जिसकी वजह से इन्हें सांस संबंधी दिक्कतें होने लगती हैं. (फोटोः जोंगनान बाओ/अन्स्प्लैश)

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