अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने मंगल ग्रह से सैंपल मंगाने के लिए एक नायाब प्लान को मंजूरी दी है. उसने इस काम के लिए तकनीक, यंत्र और रॉकेट बनाने की जिम्मेदारी एयरोस्पेस कंपनी लॉकहीड मार्टिन (Lockheed Martin) को दी है. यह कंपनी ऐसा रॉकेट बनाएगी जो सैंपल लेकर मंगल की सतह से सीधे उड़ेगा और धरती की ओर आएगा. नासा ने इस काम के लिए कंपनी से 194 मिलियन डॉलर्स यानी 1451 करोड़ रुपये से ज्यादा की डील की है. (फोटोः NASA/JPL/Caltech)
नासा ने 7 फरवरी 2022 को यह घोषणा की है कि एयरोस्पेस कंपनी लॉकहीड मार्टिन (Lockheed Martin) मार्स एसेंट व्हीकल (MAV) बनाएगी. यह एक छोटा रॉकेट होगा, जो लाल ग्रह से सैंपल लेकर धरती की ओर उड़ेगा. इस काम में एक दशक या उससे थोड़ा कम समय लग सकता है. लेकिन यह काम पूरा होने के बाद मंगल ग्रह से कुछ भी मंगाना आसान हो जाएगा. (फोटोः गेटी)
नासा मुख्यालय में साइंस के एसोसिएट एडमिनिस्ट्रेटर थॉमस जुर्बुचेन ने एक बयान में कहा कि मंगल ग्रह के लिए मार्स एसेंट व्हीकल (Mars Ascent Vehicle - MAV) बनाना एक बड़ा कदम है. यह सिर्फ मंगल पर उतरने के लिए नहीं बनाया गया है. बल्कि वहां से कुछ लाने के लिए बनाया गया है. इससे अंतरिक्ष विज्ञान का इतिहास बदल जाएगा. (फोटोः गेटी)
थॉमस ने कहा कि कॉन्सेप्ट के स्तर पर मार्स सैंपल रिटर्न मिशन (Mars Sample Return Mission - MSRM) का काम पूरा हो चुका है. अब लॉकहीड मार्टिन इस मिशन को पूरा करने के लिए जरूरी यंत्रों, रॉकेटों का निर्माण करेगी. परीक्षण करेगी. उसके बाद उसे मंगल ग्रह की तरफ रवाना किया जाएगा. जब लाल ग्रह से सैंपल धरती पर आएगा, तब स्टेट-ऑफ-द-आर्ट यंत्रों से उसका परीक्षण किया जाएगा. क्योंकि अंतरिक्ष में किसी भी यात्रा को पूरा करना इतना आसान नहीं होता. (फोटोः गेटी)
MSRM प्रोजेक्ट में नासा और यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) एकसाथ मिलकर काम कर रहे हैं. इस प्रोजेक्ट का एक हिस्सा पहले ही पूरा हो चुका है. नासा ने फरवरी 2021 में पर्सिवरेंस रोवर भेजकर इस हिस्से को पूरा किया था. इस छह पहिए वाले रोवर ने काफी सैंपल जमा किया, जांच भी किया लेकिन वहां पर जांच में बीच-बीच में परेशानी आ रही है. इसके अलावा नासा के सैंपल रीट्रिवल लैंडर (SRL) और ESA के अर्थ रिटर्न ऑर्बिटर (ERO) पर काम चल रहा है. जो इस दशक के मध्य में लॉन्च किया जा सकता है. (फोटोः गेटी)
SRL पर्सिवरेंस रोवर के सैंपल को कलेक्ट करेगा. इसके बाद मार्स एसेंट व्हीकल (Mars Ascent Vehicle - MAV) में लगे रॉकेट में डालकर उसे धरती की ओर रवाना करेगा. यह रॉकेट मंगल की कक्षा में चक्कर लगा रहे अर्थ रिटर्न ऑर्बिटर (ERO) से जाकर जुड़ जाएगा. इसके बाद ऑर्बिटर इसे लेकर धरती की ओर आएगा. ये काम पूरा होने में करीब साल 2031 हो जाएगा. (फोटोः गेटी)
एक बार सैंपल धरती पर आ गया, तो उसके बाद साइंटिस्ट उस सैंपल की जांच करेंगे. मंगल ग्रह पर मौजूद प्राचीन जीवन से संबंधित जानकारियां खंगालेंगे. मंगल ग्रह की उत्पत्ति के बारे में जानेंगे. नासा के एडमिनिस्ट्रेटर बिल नेल्सन ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक तकनीक होगी. यह पहली रोबोटिक राउंड ट्रिप होगी जो किसी दूसरे ग्रह पर जाकर सैंपल कलेक्ट कर सके. वापस उसे धरती पर ला सके. इससे मिली जानकारियों के अनुसार ही मंगल पर एस्ट्रोनॉट्स को भेजने में फायदा होगा. (फोटोः गेटी)
बिल नेल्सन ने कहा कि मंगल ग्रह के सैंपल रिटर्न प्रोग्राम में अमेरिका का निवेश बहुत काम आने वाला है. यह हमारी प्रायोरिटी है. अंतरिक्ष की दुनिया में NASA सर्वश्रेष्ठ है. वह दुनियाभर की एजेंसियों और संस्थानों के साथ वैश्विक स्तर का समझौता कर रहा है. MAV का कुल खर्चा 1451 करोड़ रुपये खर्च होंगे. यह कॉन्ट्रैक्ट 25 फरवरी से शुरु हो रहा है. अगले छह साल तक चलेगा. (फोटोः गेटी)