कोरोना वायरस को लेकर की गई एक अंतरराष्ट्रीय स्टडी में बताया गया है कि लॉन्ग कोविड (Long Covid) के 200 से ज्यादा लक्षण देखे गए हैं. जिसकी वजह से दुनियाभर के डॉक्टर्स और शोधकर्ताओं को नेशनल स्क्रीनिंग प्रोग्राम चलाने की सलाह दी गई है. स्टडी के मुताबिक लॉन्ग कोविड के मरीजों को दिमागी कोहरा (Brain Fog) से लेकर भ्रम, कंपकंपी से लेकर कान में दर्द (Tinnitus) तक हो सकते हैं. (फोटोःगेटी)
द गार्जियन में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार इस स्टडी में इसका जिक्र भी है कि लॉन्ग कोविड (Long Covid) के मरीजों के शरीर के 10 अंगों की प्रणालियों में दिक्कत आ सकती है. ये लक्षण किसी भी मरीज के कम से कम 6 महीने तक रह सकत हैं, या फिर उसे इनसे परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. (फोटोःगेटी)
स्टडी में सलाह दी गई है कि नेशनल स्क्रीनिंग प्रोग्राम (National Screening Programme) की मदद से यह पता किया जा सकता है कि कितने लोग लॉन्ग कोविड से जूझ रहे हैं. उनमें किस-किस तरह के लक्षण दिखाई दे रहे हैं. उन्हें किस तरह के इलाज की जरूरत है और ये दवाइयों से ये कितने दिन में ठीक हो सकते हैं. (फोटोःगेटी)
रिसर्चर्स ने मांग की है कि लॉन्ग कोविड के 200 से ज्यादा लक्षणों को लेकर क्लीनिकल गाइडलाइंस (Clinical Guidelines) की भी जरूरत है. ताकि कोरोना से जूझ रहे मरीजों की अन्य जांच भी हो. सिर्फ दिल संबंधी या फेफड़े संबंधी जांच न हो. यह स्टडी की है यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन (University College of London) की एथेना अकरामी ने. (फोटोःगेटी)
एथेना अकरामी ने बताया कि इंग्लैंड में ज्यादातर पोस्ट-कोविड क्लीनिक्स में सिर्फ फेफड़ों से संबंधित जांच और इलाज हो रहे हैं. ये बात सही है कि बहुत से लोगों को सांस संबंधी दिक्कत हो रही है, लेकिन उनके साथ अन्य समस्याएं भी उत्पन्न हो रही हैं, जिन पर ध्यान देना जरूरी है. हमें हर लॉन्ग कोविड मरीज के सारे लक्षणों की जांच करनी होगी ताकि उसे संपूर्ण इलाज और सुधार का मौका दिया जा सके. (फोटोःगेटी)
एथेना अकरामी खुद लॉन्ग कोविड की मरीज हैं. उन्होंने कहा कि संक्रमण से ठीक होने के 16 महीने बाद भी उन्हें कई लक्षण अपने शरीर में दिखते हैं. इसलिए उनका मानना है कि ऐसे लाखों लॉन्ग कोविड मरीज होंगे जो इन लक्षणों के साथ जी रहे हैं. लेकिन उन्हें यह नहीं पता होगा कि उनके शरीर में दिखने वाले ये लक्षण कोविड-19 के संक्रमण के बाद से विकसित हुए हैं या फिर इन लक्षणों का कोरोना से सीधा संबंध है. (फोटोःगेटी)
एथेना ने कहा कि लॉन्ग कोविड क्लीनिक्स को आपस में एक नेटवर्क बनाने की जरूरत है. ताकि राष्ट्रीय स्तर पर स्क्रीनिंग की जा सके. लॉन्ग कोविड (Long Covid) मरीजों की सही जांच हो और उनका सही इलाज किया जा सके. एथेना अकरामी की यह स्टडी Lancet जर्नल EClinical Medicine में प्रकाशित हुई है. (फोटोःगेटी)
इस स्टडी में एथेना ने 56 देशों के 3762 लोगों को शामिल किया था, जिन्हें लॉन्ग कोविड (Long Covid) की दिक्कत है. उसके बाद एथेना ने कुल मिलाकर 203 लक्षण खोजे, जिनमें से फिलहाल सिर्फ 66 लक्षणों की ट्रैकिंग, जांच और इलाज किया जा रहा है. किसी-किसी लॉन्ग कोविड (Long Covid) मरीज में ये 66 लक्षण सात-आठ महीनों तक देखे जा सकते हैं. (फोटोःगेटी)
लॉन्ग कोविड (Long Covid) मरीजों में सबसे सामान्य लक्षण हैं, शारीरिक थकान, मानसिक थकान और दिमागी कोहरा. अन्य लक्षणों में भ्रम, कंपन, खुजली, माहवारी का बदलना, सेक्सुअल डिस्फंक्शन, दिल का तेजी से धड़कना, पेशाब को नियंत्रित न कर पाना, याद्दाश्त कम होना, धुंधला दिखना, डायरिया और कानों में दर्द आदि. (फोटोःगेटी)
3762 मरीजों में से 2454 मरीज ऐसे हैं जिनमें इन लक्षणों को 6 महीने से ज्यादा समय तक देखा गया है. इन मरीजों ने औसत 13.8 लक्षण सातवें महीने तक नोटिस किया है. लॉन्ग कोविड (Long Covid) मरीजों के शरीर में 9 अंदरूनी शारीरिक प्रणालियों में दिक्कत आई है. यानी 9 प्रमुख अंगों के सिस्टम कोरोना संक्रमण की वजह से परेशान में आए हैं. (फोटोःगेटी)
एथेना अकरामी कहती हैं कि मेडिकल रिसर्चर्स को इस बात पर ध्यान देना होगा कि वो एक साथ कई बीमारियों के लक्षणों की जांच करे. उनपर नजर रखें. साथ ही डॉक्टरों को हर लक्षण का एकसाथ इलाज करना होगा. अगर वो सिर्फ किसी एक लक्षण या अंग प्रणाली पर ध्यान देंगे तो लॉन्ग कोविड (Long Covid) मरीज के साथ न्याय नहीं होगा. उसे ठीक होने में कई साल लग जाएंगे. (फोटोःगेटी)
एथेना अकरामी की स्टडी में शामिल 22 फीसदी लोगों ने कहा कि वो अपना प्रोफेशनल काम करने में अक्षम हो चुके हैं, जिसकी वजह से उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया. या फिर उन्हें लंबी बीमारी हुई. या फिर उन्हें डिसऐबिलिटी लीव लेना पड़ा. या फिर कुछ ने तो खुद ही नौकरी या काम छोड़ने का फैसला किया. इसके अलावा 45 फीसदी लोग ऐसे हैं जिनके काम के स्तर में गिरावट आई है. (फोटोःगेटी)