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साइंस न्यूज़

अफ्रीका में पहली बार Marburg Virus का केस मिला, लाइलाज बीमारी पर बढ़ी सतर्कता

aajtak.in
  • लंदन,
  • 10 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 10:44 PM IST
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अफ्रीका में एक नया वायरस मिला है. यह ईबोला (Ebola) परिवार का वायरस है. जिसे मारबर्ग वायरस (Marburg Virus) कहा जाता है. पश्चिमी अफ्रीकी देश गिनी (Guinea) के गुएकडोऊ परफेक्चर में मारबर्ग वायरस का एक केस सामने आया है. इसकी वजह से हेमोरेजिक फीवर आता है, जो कि किसी भी शख्स के लिए बेहद खतरनाक होता है. (फोटोःगेटी)

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मारबर्ग वायरस ईबोला वायरस के परिवार से संबंधित है. गिनी में अभी दो महीने पहले ही ईबोला के खात्मे की घोषणा की गई थी. वहीं, दूसरी तरफ इस घोषणा के बाद एक नए वायरस ने जन्म ले लिया है, जो कि ईबोला की तरह की खतरनाक है. जिस मरीज में यह वायरस मिला है, उसका सैंपल गिनी नेशनल हैमोरेजिक फीवर लेबोरेटरी में जांच के लिए भेजा गया था. जहां पर मारबर्ग वायरस की पुष्टि हुई है. (फोटोःगेटी)

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गुएकडोऊ परफेक्चर के कोनडोऊ इलाके के स्थानीय क्लीनिक पर मरीज की हालत ज्यादा बिगड़ी तो स्थानीय डॉक्टरों ने गिनी के बड़े डॉक्टरों से संपर्क किया. उसके बाद मरीज को बड़े अस्पताल में भर्ती कराया गया है. जहां पर उसकी स्थिति काफी बिगड़ी हुई है. डॉक्टर उसका लगातार इलाज कर रहे हैं, साथ ही उसके संपर्क में आए लोगों की भी जांच के आदेश दे दिए गए हैं. (फोटोःगेटी)

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विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अफ्रीका में तैनात रीजनल डायरेक्टर डॉ. मात्शीडिसो मोएती ने कहा डॉक्टरों के अलर्ट रहने की वजह से इस वायरस का पता चला है. साथ ही मरीज की सही देखभाल भी हो रही है. हम इस वायरस को फैलने से रोकने के सारे प्रयास कर रहे हैं. गिनी इस मामले में शानदार प्रदर्शन कर चुका है. उसने ईबोला को खत्म कर दिया था. लेकिन फिलहाल यह नया वायरस आया है, जिसे रोकने की पूरी कोशिश की जा रही है. (फोटोःगेटी)

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गुएकडोऊ परफेक्चर जहां पर मारबर्ग वायरस मिला है, वहीं पर इस साल ईबोला के कई केस सामने आए थे. इसके पहले 2014-16 में भी ईबोला आउटब्रेक यहीं पर हुआ था. मारबर्ग वायरस के संपर्क में आने वाले लोगों की खोजबीन की जा रही है. ताकि वायरस के फैलने से पहले उसे रोका जा सके. (फोटोःWHO)

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पहली बार मारबर्ग वायरस (Marburg Virus) ने अफ्रीका में हमला किया है. इसलिए स्वास्थ्य सेवाओं से संबंधित अधिकारी बेहद सतर्क हैं. लोगों को इसके बारे में जागरूक किया जा रहा है. सामुदायिक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. ताकि इस वायरस को फैलने से रोकने में लोगों की मदद मिल सके. इस काम 10 WHO एक्सपर्ट गिनी और आसपास के इलाकों में तैनात कर दिए गए हैं, ताकि मारबर्ग वायरस से संबंधित हर तरह की जानकारियों पर पूरी निगरानी रखी जा सके.  (फोटोःगेटी)

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मारबर्ग वायरस (Marburg Virus) से संक्रमित इंसान को तेज बुखार, तेज सिर दर्द और थकान महसूस होता है. कई मरीजों में हैमोरेजिक लक्षण भी दिखाई देते हैं. इस वायरस से संक्रमित लोगों के मरने की दर 22 से 88 फीसदी तक हो सकती है, जो कि बेहद खतरनाक स्थिति है. अगर वायरस को तत्काल फैलने से रोका नहीं गया तो काफी ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. (फोटोःगेटी)

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मारबर्ग वायरस (Marburg Virus) का इलाज फिलहाल नहीं है. इसके लिए कोई वैक्सीन या दवा नहीं बनाई गई है. इसका इलाज सपोर्टिव केयर, रीहाइड्रेशन, मुंह से या नसों से एंटीवायरस दवाएं दी जाती हैं. इसी के सहारे मरीज को धीरे-धीरे ठीक किया जाता है. इसके अलावा ब्लड प्रोडक्ट्स, इम्यून थैरेपी आदि से भी इलाज किया जाता है. (फोटोःएपी)

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