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Mars Rocks: मंगल पर बैंगनी रंग की परत वाले रहस्यमयी पत्थर दिखे, कहीं ये सूक्ष्मजीव तो नहीं!

aajtak.in
  • ह्यूस्टन,
  • 24 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 1:39 PM IST
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मंगल ग्रह का रंग क्या है? लाल. क्योंकि वहां की सतह और पत्थरों का रंग आमतौर पर लाल ही दिखता है. लेकिन अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA द्वारा लाल ग्रह पर भेजे गए पर्सिवरेंस रोवर (Perseverance Rover) ने वहां पर बैंगनी रंग (Purple) का पत्थर देखा है. असल में यह पत्थरों के ऊपर एक बैंगनी रंग की परत (Coating) है. हैरानी की बात ये है कि ये बैंगनी रंग के पत्थर जेजेरो क्रेटर (Jezero Crater) में हर जगह मौजूद हैं. वह भी हर आकार के. छोटे कंकड़ से लेकर बड़े पत्थरों तक. (फोटोः NASA)

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NASA के साइंटिस्ट अभी तक यह तय नहीं कर पाए हैं कि रहस्यमयी बैंगनी परत वाले पत्थरों का निर्माण कैसे हुआ. या फिर इस रंग की परत इनके ऊपर कैसे चढ़ी. पर्सिवरेंस रोवर से मिले पहले डेटा के बारे में जियोकेमिस्ट एन ओलिला ने बताया कि रहस्यमयी रंगों को लेकर हमारे पास कोई सही जवाब फिलहाल नहीं है. उन्होंने यह जानकारी अमेरिकन जियोफिजिकल यूनियन (AGU) में नेशनल जियोग्राफिक (National Geographic) के साथ शेयर की थी. (फोटोः NASA)

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एन ओलिला ने बताया कि कुछ पत्थरों पर बैंगनी रंग की हल्की परत है तो कुछ पर मोटी और बेहद चिकनी. ऐसे लगता है कि किसी ने उसपर पेंट किया हो. अभी इन पत्थरों की जांच की जा रही है, रसायनिक जांच के बाद ही पता चल पाएगा कि ये बैंगनी रंग की परत किस तरह से बनी है. ये मंगल ग्रह के प्राचीन वातावरण का नतीजा है या फिर कोई नया बदलाव. (फोटोः NASA)

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ऐसा नहीं है कि बैंगनी रंग के पत्थर कोई अजूबा है. इससे पहले मंगल ग्रह पर हरे रंग के पत्थर भी मिले थे. इन हरे पत्थरों को क्यूरियोसिटी रोवर (Curiosity Rover) ने माउंट शार्प के पास साल 2016 में खोजा था. NASA ने देखा है कि मंगल ग्रह पर चारों तरफ पत्थरों पर अलग-अलग रंग है. इनमें बड़ी विभिन्नता है. इससे पहले भी कुछ छोटे बैंगनी कंकड़ क्यूरियोसिटी रोवर के केमिकल एंड मिनरोलॉजी यंत्र ने भी खोजे थे. पहले लगा कि ये हैमेटाइट (Hematite) है. जो कि एक प्रकार का लौह अयस्क क्रिस्टल होता है. (फोटोः NASA)

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एन ओलिला ने बताया कि क्यूरियोसिटी रोवर जहां पर खोजबीन कर रहा था वहां बह रही हवा और उसके साथ बहने वाली रेत की वजह से पत्थरों की जांच करना आसान था. क्योंकि उनके ऊपर किसी तरह की धूल जमा नहीं हो रही थी. लेकिन जेजेरो क्रेटर के पत्थरों की जांच करना थोड़ा मुश्किल है. हालांकि, बैंगनी रंग की परत वाले पत्थर भी कम धूल वाले इलाके में मिले हैं. फिलहाल इसकी स्टडी पर्ड्यू यूनिवर्सिटी के ब्रैडली गार्सिन्की की टीम कर रही है. (फोटोः NASA)

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ब्रैडली गार्सिन्की की टीम पर्सिवरेंस रोवर के मास्टकैम-z कैमरा और eye कैम से मिली तस्वीरों के जरिए जांच करेंगे. हालांकि ब्रैडली ने नेशनल जियोग्राफिक को बताया कि हमने पहले कभी ऐसे बैंगनी रंग के पत्थर नहीं देखे हैं. इससे पहले पर्सिवरेंस रोवर ने भी इस तरह के पत्थरों की जांच नहीं की थी. न उन्हें देखा था. जब हमें उनकी पहली तस्वीर मिली तो हम खुद भी हैरान थे.  (फोटोः NASA)

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वहीं, दूसरी तरफ एन ओलिला की टीम पर्सिवरेंस सुपरकैम के जरिए लेजर शूट करके पत्थरों के ऊपर की परत को पिघालना चाहती हैं. ताकि पत्थर और उसके ऊपर चढ़ी बैंगनी परत की जांच कर सकें. शुरुआती जांच में यह पता चला कि बैंगनी परत नरम है और रसायनिक तौर पर अलग है. जबकि, पत्थर के अंदर की परत अलग तरह की है. हो सकता है कि ये परत हाइड्रोजन और मैग्नीशियम के मिश्रण से बनी हो. (फोटोः NASA)

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वैज्ञानिकों का मानना है कि हाइड्रोजन और लौह अयस्क इस बैंगनी रंग के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे होंगे. यानी कहीं न कहीं इसमें पानी का भी योगदान है. पर्सिवरेंस रोवर जेजेरो क्रेटर में जांच कर रहा है. यह क्रेटर किसी उल्कापिंड के टकराने की वजह से बना था. ऐसा माना जाता है कि इसमें प्राचीन झील रही होगी. जहां पर भारी मात्रा में पानी जमा रहा होगा. यह तब की बात है जब मंगल ग्रह गीला रहा होगा. (फोटोः NASA)

 

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एक थ्योरी यह भी है कि यह बैंगनी रंग के पत्थर किसी झील के निचले हिस्से के नहीं हैं. बल्कि ये गर्म मैग्मा के ठंडे होने से बने होंगे. लेकिन सवाल उठता है कि ये पत्थर क्रेटर में कैसे आए. जवाब है पानी के बहाव के साथ लेकिन कैसे, कब और क्यों? ये अब भी एक रहस्यमयी सवाल है. (फोटोः NASA)

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वैज्ञानिक पूरी तरह से इस जांच में लगे हैं कि मंगल ग्रह पर बैंगनी रंग की परत वाले ये पत्थर कहां से आए. इनपर ये रंग कैसे चढ़ा. क्या ये किसी सूक्ष्मजीवन के सबूत हैं. यानी ऐसे जीव जो खुद को सूरज की तीव्र रेडिएशन से बचाने के लिए अपने ऊपर कोटिंग चढ़ाकर बैठे हैं. यह सब रसायनिक जांच के बाद ही पता चलेगा. (फोटोः NASA)

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