इंग्लैंड के एक चर्च में नवीकरण का काम चल रहा था. इस काम के दौरान वहां पर एक मूर्ति लगाई गई है, जिसमें कोविड मास्क लगाकर एक चेहरा झांक रहा है. ये चर्च ब्रिटेन का सबसे पुराना चर्च है. इसका निर्माण हर्टफोर्डशायर में 11वीं सदी में शुरू हुआ था. जहां ये चर्च बना था वहां पर ब्रिटेन के पहले संत की कब्र थी. इस संत के नाम पर ही इस चर्च का नाम सेंट अल्बान्स कैथेड्रल पड़ा. (फोटो-सेंट अल्बान्स कैथेड्रल)
यह चर्च 1115 में बनकर तैयार हुआ था. तब यह सिर्फ एक चर्च था, जिसे 1350 में कैथेड्रल की उपाधि दी गई. क्योंकि यहां पर दो संतों की समाधि बनी है. पहली संत अल्बान्स की और दूसरी संत एंफीवाल्स की. ये इतना पुराना कैथेड्रल है कि यहां थोड़े-थोड़े समय के लिए नवीकरण का काम चलता रहता है. इस चर्च के कुछ हिस्सों के रेनोवेशन का काम जून 2019 में फिर शुरू किया गया. (फोटो-सेंट अल्बान्स कैथेड्रल)
इसके रेनोवेशन का काम साल 2021 में मार्च महीने में पूरा हुआ. इसे लोगों के दान के पैसे और द नेशनल लॉटरी हेरिटेज फंड की मदद से रेनोवेट किया गया. इसे बनाने में लिंकनशायर स्थित स्क्लिंग्टन वर्कशॉप, संरक्षणकर्ताओं ने मिलकर काम किया. (फोटो-सेंट अल्बान्स कैथेड्रल)
नई कलाकृतियों में एक ऐसा चेहरा बनाया गया जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है. लोग इसे 'मास्क वाला संत' कह रह हैं. इस चेहरे पर कोरोना से बचने वाला मास्क लगाया गया है. इस पत्थर से सिर्फ आंखें दिख रही हैं. यह फेस मास्क वाली शक्ल वाला पत्थर ये बताता है कि इस कैथेड्रल का रेनोवेशन कोरोना काल में हुआ है. (फोटो-सेंट अल्बान्स कैथेड्रल)
यह ब्रिटेन का इकलौता ऐसा कैथेड्रल है जो जहां पर दो धार्मिक स्थान हैं. यानी यहां पर दो संतों की समाधि है. अब इनके चारों तरफ भी रेनोवेशन का काम पूरा हो चुका है. जिसकी लोग काफी तारीफ कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि कोरोना काल के बाद भी ये चर्च लोगों को सदियों तक कोरोना की याद दिलाता रहेगा. (फोटो-सेंट अल्बान्स कैथेड्रल)