आप सोचते होंगे कि एस्ट्रोनॉट्स कितने खुशकिस्मत होते हैं कि अंतरिक्ष में जाकर, वहां की अनोखी और रोमांचित कर देने वाली दुनिया का अनुभव करते हैं. लेकिन ये सब इतना भी आसान नहीं है. एस्ट्रोनॉट्स ऐसे अनुभव भी करते हैं जो वाकई दर्दनाक होते हैं- जैसे किडनी की पथरी (Kidney Stones). (फोटोः गेटी)
नासा (NASA) के मुताबिक, अंतरिक्ष से पृथ्वी पर लौटकर आने वाले एस्ट्रोनॉट्स को किडनी में पथरी की शिकायत हो जाती है. अब तक नासा के सामने किडनी स्टोन के 30 मामले सामने आ चुके हैं. इतने मामले सामने आने के बाद, शोधकर्ता खोज में जुट गए हैं कि आखिर अंतरिक्ष की यात्रा और किडनी स्टोन के भयानक दर्द का क्या संबंध है. (फोटोः पिक्साबे)
इस रिसर्च में शामिल, यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में नेफ्रोलॉजी में कंसल्टेंट और एक्सपेरिमेंटल मेडिसन में क्लिनिकल सीनियर लेक्चरर डॉ. स्टीफन वॉल्श का कहना है कि गुर्दे की पथरी से होने वाला दर्द, सबसे खराब दर्द होता है. एक अंतरिक्ष यात्री को अंतरिक्ष में गुर्दे का दर्द या रीनल कॉलिक हुआ. इस स्थिति में स्टोन यूरिनरी ट्रैक्ट में फंस जाता है. किडनी स्टोन की वजह से उसे स्पेस स्टेशन से वापस भेजना पड़ा. (फोटोः NASA)
हालांकि ये पहले से ही पता है कि माइक्रोग्रैविटी में समय बिताने की वजह से हड्डियों का घनत्व (Bone Density) कम हो जाती है. खून में कैल्सियम की कमी से अंतरिक्ष यात्रियों में गुर्दे की पथरी बनने की संभावना हो सकती है. इसके अलावा डीहाइड्रेशन भी एक कारण हो सकता है. (फोटोः गेटी)
शोधकर्ताओं की यह टीम 10 चूहों के गुर्दों का विश्लेषण कर रही है जो 2020 के अंत में स्पेसशिप से धरती पर लौटने से पहले इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर मौजूद थे. इसके साथ ही, उन 20 चूहों के गुर्दों का भी विश्लेषण किया जा रहा है जो पृथ्वी पर लैब में गैलेक्टिक कॉस्मिक रेडिएशन (Galactic Cosmic Radiation) के संपर्क में थे. (फोटोः गेटी)
यह शोध अभी प्रकाशित नहीं हुआ है, लेकिन शोधकर्ताओं का कहना है कि उन्हें ऐसे शुरुआती संकेत मिले हैं कि गैलेक्टिक कॉस्मिक रेडिएशन गुर्दे में डीएनए को नुकसान पहुंचा सकती है. इस रेडिएशन में गामा रेडिएशन के साथ-साथ हाई एनर्जी वाले कण भी शामिल होते हैं. इसके साथ ही, ये फैट के ट्रांस्पोर्ट और मेटाबोलिज़्म पर भी असर डालते हैं. शोधकर्ताओं को गुर्दे की कोशिकाओं के आसपास प्रोटीन में बदलाव के भी संकेत मिले, जो शायद अंगों के नुकसान का संकेत दे रहे थे. (फोटोः NASA)
इसके अलावा, गैलेक्टिक कॉस्मिक रेडिएशन के संपर्क में आने वाले चूहों में प्रोटीन का स्तर कम था. कोशिकाओं के पावरहाउस कहे जाने वाले माइटोकॉन्ड्रिया (Mitochondria) के डैमेज होने के भी संकेत मिले हैं. प्रॉक्सीमल ट्यूबलर कोशिकाएं, किडनी का खास हिस्सा होती हैं जो पूरी तरह से माइटोकॉन्ड्रिया से बनने वाली ऊर्जा पर ही निर्भर होती हैं. ऐसे में जब प्रॉक्सीमल ट्यूबलर कोशिकाओं की संख्या कम होने लगती है, तो किडनी फेल होने की आशंका बढ़ जाती है. ISS पर समय बिताने वाले चूहों से भी इसी तरह के परिणाम मिले हैं. (फोटोः पिक्साबे)