मोरक्को में करीब तीन हजार लोग मारे गए हैं. करीब 2600 जख्मी हैं. भूकंप से प्रभावित मुख्य स्थानों तक पहुंचना मुश्किल है. चारों तरफ सिर्फ इमारतों का मलबा है. लेकिन इनके पीछे की असली वजह भूकंप नहीं है. हर बार इतने तेज भूकंप से इतने ज्यादा लोगों की मौत नहीं होती. इसकी असली वजह कुछ और है. (फोटोः रॉयटर्स)
असल में भूकंप विज्ञानियों का मानना है कि मोरक्को में इतने अधिक लोगों की मौत भूकंप से नहीं हुई है. उन्हें कमजोर इमारतों ने मारा है. यहां पर इमारतों का निर्माण उतनी अधिक गुणवत्ता की नहीं होता. साथ ही वे पुराने तकनीकों से बनाए जा रहे हैं. इस वजह से यहां पर लोग इमारतों में दबकर मारे गए. (फोटोः रॉयटर्स)
8 सितंबर को आए भूकंप से अब तक करीब 3 हजार लोग मारे जा चुके हैं. भूकंप का केंद्र एटलस पहाड़ों के अंदर था. ये पहाड़ यूरेशियन प्लेट द्वारा नुबियन प्लेट को धकेलने से बने हैं. एटलस पहाड़ मोरक्को, अल्जीरिया और ट्यूनीशिया तक फैले हैं. इन्हीं पहाड़ों के नीचे भूकंप का केंद्र था. (फोटोः रॉयटर्स)
अब यूरेशियन प्लेट और नुबियन प्लेट की टकराव से एटलस पहाड़ सिकुड़ रहे हैं. ये दोनों प्लेट लगातार एकदूसरे की तरफ 1 मिलिमीटर प्रति वर्ष के हिसाब से खिसक रही हैं. ये हजारों सालों से होता चला आ रहा है. जिस मिट्टी की सतह पर मोरक्को बसा है वह बेहद पतली और कमजोर है. मोरक्को में भूकंप आना कोई नई बात नहीं है. (फोटोः रॉयटर्स)
पिछले एक हजार साल में मोरक्को लगातार भूकंप बर्दाश्त कर रहा है. लेकिन दो इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं. अजोरेस-जिब्राल्टर फॉल्ट के ऊपर का इलाका और अलबोरन सागर. दूसरा है रिफ पहाड़ों के पास उत्तरी मोरक्को, टेल एटलस माउंटेन रेंज और उत्तर-पश्चिम अल्जीरिया. (फोटोः रॉयटर्स)
मोरक्को में ज्यादातर इमारतें कच्ची मिट्टी, पतली ईंटों और चूना पत्थर से बनाई गई थीं. कई तो बेहद प्राचीन थीं. जिसकी वजह से अब तक टिकी रही लेकिन इस बार के भूकंप ने उन्हें हिला ही नहीं बल्कि पूरी तरह से गिरा डाला. इन इमारतों में फंसने और दबने की वजह से हजारों लोगों की मौत हुई है. (फोटोः एपी)
1994, 2004 और 2016 में आए 6 और 6.3 तीव्रता के भूकंपों ने मोरक्को को हिलाया था. 1960 से लेकर अब तक करीब 15 हजार लोग मारे जा चुके हैं. सबसे बुरा हादसा अगदीर भूकंप था. यह फरवरी 1960 में आया था. यह तो तय है कि भूकंप की भविष्यवाणी नहीं हो सकती. भविष्य में भी कोई संभावना नहीं दिख रही है. (फोटोः एएफपी)
मोरक्को में नीयर-सरफेस सॉयल कंडिशंस और इमारतों की स्टडी नहीं होती है. यानी किसी भरोसेमंद वैज्ञानिक संस्थान से सीस्मिक हजार्ड स्टडी कराई जाए. किस इलाके में भूकंप का कितना खतरा है. कहां किस तरह की इमारत बननी चाहिए. उसमें कौन सा मैटेरियल इस्तेमाल होना चाहिए. (फोटोः एएफपी)
अगर इमारत के नीचे की मिट्टी कमजोर है, तो वहां पर किस तरह की आकृति टिकेगी. वह कितनी तीव्रता का भूकंप बर्दाश्त कर पाएगी. यह पता करना पड़ेगा. क्योंकि एक शहर से दूसरे शहर के बीच मिट्टी बदल जाती है. यानी जमीन के ठीक नीचे की सतह की मजबूती बदल जाती है. कहीं ज्यादा मजबूत तो कहीं कम. (फोटोः एपी)
भूकंप विज्ञानियों को पता है कि लोग कभी भी भूकंप की वजह से नहीं मारे जाते. लोग मारे जाते हैं इमारतों में दबने की वजह से. इसलिए जरूरत है कि इमारतों के निर्माण को लेकर कड़े नियम और कायदे बनाए जाएं. उन्हें ढंग से फॉलो कराया जाए. साथ ही भूकंप के खतरों वाले इलाकों की स्टडी हो. (फोटोः एपी)