Advertisement

साइंस न्यूज़

प्राचीन पलमीरा के 'रहस्यमयी भगवान' का पता लगा, सीरिया में मौजूद हैं मंदिर के अवशेष

aajtak.in
  • डमस्कस,
  • 13 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 8:38 PM IST
  • 1/9

सीरिया (Syria) के प्राचीन शहर पलमीरा (Palmyra) के शिलालेखों में एक अज्ञात देवता का वर्णन किया गया था. लेकिन ये देवता कौन थे, वैज्ञानिकों के लिए यह हमेशा से रहस्य था. लेकिन अब एक शोधकर्ता ने दावा किया है कि उन्होंने इस रहस्य को सुलझा लिया है. (Photo: Getty)

  • 2/9

प्राचीन शहर पलमीरा करीब 2,000 साल पहले व्यापार का केंद्र हुआ करता था, जो रोमन साम्राज्य को व्यापार मार्ग के जरिए एशिया के साथ जोड़ता था. (Photo: Getty)

  • 3/9

पोलिश सरकार की साइट साइंस इन पोलैंड (Science in Poland) के मुताबिक, पलमीरा में कई शिलालेखों में इस गुमनाम देवता का उल्लेख किया गया है. इस देवता को 'ब्रह्मांड के स्वामी' और 'दयालु' के रूप में जाना जाता है. इनमें से कई शिलालेख करीब 2,000 साल से भी पुराने हैं. (Photo: Getty)

Advertisement
  • 4/9

इस रहस्य को सुलझाने के लिए, पोलैंड में व्रोकला यूनिवर्सिटी (University of Wrocław) की एक शोधकर्ता, एलेक्जेंड्रा कुबियाक-श्नाइडर (Aleksandra Kubiak-Schneider) ने पलमायरा के शिलालेखों की तुलना, मेसोपोटामिया (Mesopotamia) में पाए गए शिलालेखों से की, जो पहली सहस्राब्दी ईसा पूर्व के हैं. (Photo: Getty)

  • 5/9

तुलना करने पर शोधकर्ता एलेक्जेंड्रा कुबियाक ने पाया कि मेसोपोटामिया में पूजे जाने वाले देवताओं को भी उन्हीं नामों से जाना जाता था, जिन नामों से पलमीरा के गुमनाम देवता को जाना जाता था. (Photo: Getty)

  • 6/9

उदाहरण के लिए, बेल-मर्दुक- बेबीलोन के सबसे बड़े देवता को भी 'दयालु' कहा जाता था. 'दुनिया के स्वामी' भी 'ब्रह्मांड के स्वामी' के जैसा ही नाम है, जिसका इस्तेमाल कभी-कभी बालशमिन के लिए किया जाता था जो एक आकाश देवता हैं. (Photo: Getty)

Advertisement
  • 7/9

एलेक्जेंड्रा कुबियाक का कहना है कि पलमीरा के शिलालेखों में वर्णित गुमनाम 'देवता' सिर्फ एक नहीं, बल्कि कई देवता हैं, जिनमें बेल-मर्दुक और बालशमिन शामिल हैं. उन्होंने यह भी कहा कि लोगों ने देवताओं को सम्मान देने के लिए, उनके नामों का इस्तेमाल नहीं किया. (Photo: Getty)

  • 8/9

उन्होंने कहा कि जब लोग देवों का आह्वान करते हुए शिलालेख लिख रहे थे, तो उनकी प्रार्थना हमेशा किसी एक देवता तक नहीं पहुंच रही थी, बल्कि किसी ऐसे देवता के पास पहुंच रही थी जो उनकी प्रार्थना को सुनता था. यानी कोई एक गुमनाम देवता नहीं था, बल्कि हर वो देवता था जो उनकी प्रार्थना सुनता था और वही प्रशंसा का पात्र होता था. (Photo: Getty)

  • 9/9

एलेक्जेंड्रा कुबियाक-श्नाइडर ने अपने शोध के नतीजे हाल ही में, ई-बुक "Dedications without theonym of Palmyra Blessed (be) his name for eternity में प्रकाशित किए हैं. (Photo: joe planas/unsplash)

 

Advertisement
Advertisement
Advertisement