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साइंस न्यूज़

NASA ने पहली बार बनाया मंगल ग्रह का अंदरूनी नक्शा, हुआ ये शानदार खुलासा

aajtak.in
  • पासाडेना,
  • 26 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 4:06 PM IST
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जीवन, भौगोलिक परिस्थितियों, मौसम, चुंबकीय शक्ति जैसी कई प्राकृतिक प्रणालियों का संचालन धरती के केंद्र में मौजूद इंजन से होता है. मंगल ग्रह इससे अलग नहीं है. इसका खुलासा अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने हाल ही में मंगल ग्रह का नक्शा बनाकर जारी किया. यह नक्शा मंगल ग्रह की जमीन से लेकर केंद्र तक हर परत का है. इस काम में नासा की मदद की है उसके द्वारा भेजे गए निडर लैंडर रोबोट इनसाइट मिशन (InSight Mission) ने. यह रोबोट मंगल ग्रह की भौगोलिक परिस्थितियों की जांच कर रहा है. (फोटोः डेविड डुक्रो/आईपीजीपी)

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नासा का इनसाइट मिशन (InSight Mission) नवंबर 2018 में मंगल ग्रह पर उतरा था. यह मंगल ग्रह पर आने वाले भूकंपों (Marsquakes) से निकलने वाली लहरों की जांच करता है. लहरों के चलने और रुकने से यह पता चलता है कि जमीन के नीचे किस जगह पर कौन सी परत है. या पत्थर है, या बहता हुआ धातु है. ऐसा पहली बार हुआ है जब वैज्ञानिकों ने किसी अन्य ग्रह का पूरा अंदरूनी नक्शा बनाया है. यह स्टडी हाल ही में साइंस जर्नल में प्रकाशित हुई है. यह स्टडी तीन हिस्सों में है. तीनों हिस्सों को अलग-अलग प्रकाशित किया गया है. (फोटोःगेटी)

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नक्शे में साफ तौर पर दिख रहा है कि मंगल ग्रह का ऊपरी हिस्सा यानी क्रस्ट (Crust) दो या तीन परतों का बना है, जो कि ज्वालामुखीय पदार्थों का मिश्रण है. इसके बाद वाली परत जो पूरी तरह से मध्य में आती है, उसे मैंटल (Mantle) कहते हैं. यह खुरदुरी टॉफी जैसे पदार्थों का मिश्रण है. यहां खाने वाली टॉफी की बात नहीं बल्कि उसके रंग की हो रही है. इसके बाद आता है मंगल ग्रह का आखिरी हिस्सा जो कि उसका केंद्र यानी कोर (Core) है. इसमें नारंगी-लाल-पीले रंग का तरल मिश्रण है, जो कि बेहद गर्म है. (फोटोःगेटी)

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नासा द्वारा हाल ही में भेजे गए लैंडर्स और रोवर्स और चीन के रोबोटिक रोवर के डेटा का एनालिसिस करने के बाद सौर मंडल के नीले ग्रह यानी धरती और लाल ग्रह यानी मंगल की भौगोलिक परतों के अंतर का पता चला है. मंगल ग्रह के अंदरूनी हिस्सों पर स्टडी कई सालों से हो रही थी. जैसे धरती के मैंटल की जानकारी 1889 में हुई थी. यह तब पता चली थी जब जापान के नीचे भूकंपीय लहरों ने जर्मनी के नीचे की परत हिला दिया था. (फोटोःगेटी)

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धरती के बाहरी तरल परत की जानकारी 1914 में हुई थी. जबकि ठोस केंद्र का पता 1936 में चला था. ऐसी ही कुछ जानकारी चांद के बारे तब पता चली थी, जब अपोलो से गए एस्ट्रोनॉट्स ने उसकी सतह पर सीस्मोमीटर (Seismometers) यंत्र लगाया था. अब इन्ही बेसिक यंत्रों, आंकड़ों और फॉर्मूले की मदद से ही मंगल ग्रह का नक्शा बनाया गया है. रॉयल हॉलोवे यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन की भूकंप विज्ञानी पॉउला कोयलेमीजर ने कहा कि यह नक्शा अंतरिक्ष विज्ञान की बड़ी उपलब्धि है. पहली बार किसी अन्य ग्रह का नक्शा बनाया गया है. (फोटोःगेटी)

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मंगल ग्रह पर पहले भेजे गए सभी मिशन से मोटी-मोटी जानकारी हासिल हुई थी. लेकिन इनसाइट मिशन (InSight Mission) के भूकंपीय सर्वे ने नक्शे को एक सटीकता तक पहुंचा दिया है. अब मंगल ग्रह की उत्पत्ति से संबंधित सिमुलेटेड मॉडल्स बनाए जा सकते हैं. जो कि मंगल ग्रह से जुड़े रहस्यों का खुलासा करने में मदद करेंगे. इनसाइट मिशन से मिली जानकारी के आधार पर अन्य ग्रहों का अध्ययन करने में भी आसानी होगी. क्योंकि ये धरती से अलग हैं. जब भी दुनिया में कुछ अलग होता है, तब इंसान उसे समझने का प्रयास करता है. (फोटोःगेटी)

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कैलिफोर्निया के पासाडेना में स्थित नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के प्लैनेटरी सीस्मोलॉजिस्ट मार्क पैनिंग कहते हैं कि अगर आप डॉक्टर हैं और सिर्फ एक मरीज पर अपनी प्रैक्टिस करते रहते हैं, तो आप अच्छे डॉक्टर नहीं बन पाएंगे. इसलिए हमें धरती के अलावा अन्य ग्रहों का भी अध्ययन करना जरूरी है. मंगल ग्रह धरती का रिश्तेदार है. छह गुना कम वॉल्यूम है साथ ही विचित्र तरीके से छोटा भी. (फोटोःगेटी)

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टोक्यो स्थित अर्थ-लाइफ साइंस इंस्टीट्यूट की भूकंप विज्ञानी क्रिस्टीन हॉउजर कहती हैं कि मंगल ग्रह के जियोकेमिकल सबूतों के आधार पर यह पता चला है कि सौर मंडल के शुरुआती दिनों में मंगल ग्रह पर कैसी स्थिति रही होगी. क्यों मंगल ग्रह धरती और बुध से अलग है. जबकि धरती और बुध को मंगल ग्रह का जियोलॉजिकल ट्विन (Geological Twin) कहा जाता है. इनसाइट मिशन की मदद से हमें मंगल ग्रह की समझ बढ़ेगी, ताकि हम दूसरे ग्रहों पर भी ऐसे अध्ययन कर सकें. (फोटोःगेटी)

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पिछले दो सालों में नासा के इनसाइट मिशन (InSight Mission) लाल ग्रह के चुंबकत्व यानी मैग्नेटिज्म (Magnetism) को समझने का प्रयास किया है. मंगल ग्रह की इस चुंबकीय शक्ति में सूरज के चारों तरफ चक्कर लगाते समय बदलाव आता रहता है. जिसकी वजह से मंगल ग्रह की सतह के नीचे भूकंपीय लहरें उठती रहती हैं. इन लहरों की वजह से मंगल ग्रह पर भूकंप आता रहता है. ज्यादातर भूकंप छिछले यानी कम गहराई में उठते हैं. लेकिन इनमें कुछ बहुत ताकतवर भी होती हैं. ये मंगल ग्रह की अलग-अलग परतों से टकराकर वापस लौटती हैं. ये लहरें भी इनसाइट में दर्ज हो रही हैं. (फोटोःगेटी)

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स्विट्जरलैंड में स्थित ETH Zurich में जियोफिजिसिस्ट आमिर खान ने कहा कि मंगल ग्रह का मैंटल उसकी बाहरी परत से ज्यादा मोटी है. लेकिन मैंटल के ऊपरी हिस्से खुरदुरी परत है. जिसे धरती पर टेक्टोनिक प्लेट्स कहते हैं. लेकिन मंगल ग्रह पर टेक्टोनिक प्लेट्स नहीं बने हैं. इसलिए इस ग्रह पर उठी भूकंप की लहर बहुत दूर तक यात्रा करती है. किसी प्लेट से टकराकर रुक नहीं जाती. इसकी वजह से ही मंगल ग्रह के ऊपरी परतों का विभाजन नहीं हुआ है. (फोटोःगेटी) 

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