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OSIRIS-REx Asteroid Study: उल्कापिंड से सैंपल लेकर धरती पर आ रहा है NASA का कैप्सूल, जानिए सौर मंडल के कौन से राज खोलेगा

आजतक साइंस डेस्क
  • वॉशिंगटन,
  • 15 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 11:52 AM IST
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हमारे सौर मंडल में करोड़ों किलोमीटर की यात्रा करने के बाद NASA का एक खास कैप्सूल इसी महीने धरती पर लौट रहा है. इसका नाम है ओसिरी-रेक्स (OSIRI-REx). यह धरती और मंगल ग्रह के बीच मौजूद एक उल्कापिंड की मिट्टी और पत्थरों का सैंपल लाने अंतरिक्ष में गया था. मिनी फ्रिज जितना बड़ा कैप्सूल के उटाह में उतरेगा. (सभी फोटोः NASA)

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OSIRI-REx का पूरा नाम है ओरिजिंस, स्पेक्ट्रल इंटरप्रिटेशन, रिसोर्स आइडेंटिफिकेशन एंड सिक्योरिटी रिगोलिथ एक्सप्लोरर. यह अमेरिका का पहला मिशन है, जिसे उल्कापिंड का सैंपल लाने के लिए भेजा गया था. इसने तीन साल पहले Bennu Asteroid से सैंपल कलेक्ट किया था. तब ये धरती की तरफ लौटने की यात्रा कर रहा है. 

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यह कैप्सूल अपने साथ करीब 230 ग्राम सैंपल लेकर आ रहा है. यह जिस कैप्सूल में रखा है, वह लावा से दोगुना ज्यादा गर्म तापमान बर्दाश्त कर सकता है. यह धरती में जिस गति से आएगा, उसकी उम्मीद करना भी मुश्किल है. क्योंकि यह इंसानों द्वारा बनाया गया दूसरा सबसे तेज वायुमंडल में घुसने वाला कैप्सूल है. या यूं कहें कि वस्तु है. 

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यह कैप्सूल 45 किलोग्राम का है. फिलहाल यह अंतरिक्ष में हाइपरसोनिक गति में यात्रा करते हुए धरती की ओर बढ़ रहा है. इसमें एक तरफ हीटशील्ड लगी है, जो इसे धरती के वायुमंडल में आते समय उसे जलने से बचाएगी. उम्मीद है कि यह 24 सितंबर को किसी समय उटाह के रेगिस्तान में लैंड करेगा.  

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धरती के वायुमंडल में प्रवेश करते समय इसकी स्पीड आवाज की गति से 36 गुना ज्यादा रहेगी. जैसे ही ये वायुमंडल पार करेगा, इसे हवा, बारिश या अन्य प्रकार के मौसम का भी सामना करना होगा. उम्मीद है कि यह उटाह के ग्रेट सॉल्ट लेक रेगिस्तान में किसी जगह पर लैंड कर सकता है. यह रेगिस्तान अपनी गर्मी और नमक की खेती के लिए जाना जाता है.

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NASA के वैज्ञानिक और मौसम विज्ञानी इस पूरी यात्रा पर नजर रख रहे हैं. साथ ही जब OSIRI-REx धरती के वायुमंडल में लैंड करेगा, तब उस पर नजर रखेंगे. ताकि वह कहीं किसी और दिशा या इलाके में न जाएं. इस यान को बेनू एस्टेरॉयड की स्टडी के लिए सात साल पहले लॉन्च किया गया था. 

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नासा लैंगले रिसर्च सेंटर के रिसर्च इंजीनियर एरिक क्वीन ने बताया कि हमारी नजर इस समय उटाह के रेगिस्तानों और आसमान की तरफ है. जो कैप्सूल वायुमंडल में सैंपल लेकर आएगा, उस पर आकाशीय बिजली या बर्फ का भी असर नहीं होगा. सबसे बड़ी चिंता हवाओं का है, क्योंकि हवा तेज होगी तो दिक्कत पैराशूट के नियंत्रण को लेकर होगी. 

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हालांकि उम्मीद है कि कैप्सूल अपने पैराशूट के सहारे 58 किलोमीटर x 14 किलोमीटर की रेंज में कहीं पर भी गिर सकता है. हमारे हेलिकॉप्टर, टीम, इंजीनियर और गाड़ियां उसे उठाने के लिए तैयार रहेंगे. इतना ही नहीं हम कैप्सूल की सही लैंडिंग के समय मौसम की जांच के लिए 60 हजार फीट की ऊंचाई पलर एक वेदर बैलून भी तैनात कर रहे हैं. 

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ये मौसम की जानकारी देने वाले गुब्बारे तापमान, ह्यूमिडिटी, प्रेशर और वायुमंडल पार करते ही हवा की गति के बारे में बताएगा. यह गुब्बारा 18 फीट प्रति सेकेंड की गति से ऊपर जाएगा. इस दौरान यह लगातार इन सब चीजों का डेटा नासा को भेजता चला जाएगा, ताकि कैप्सूल की लैंडिंग के समय सारी जानकारी मिलती रहे. 

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