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साइंस न्यूज़

Chandrayaan-3 के बाद अब NASA का मून मिशन, जारी किया अपने रोवर वाइपर का Video

aajtak.in
  • वॉशिंगटन,
  • 06 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 6:21 PM IST
NASA's Viper Moon Rover
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चंद्रमा पर मून मिशन की लाइन लगी है. जापान का मून मिशन मौसम की वजह से टाला गया. रूस का मिशन फेल हो गया. सिर्फ Chandrayaan-3 ने सफल लैंडिंग की. अब अमेरिका मून मिशन करने जा रहा है. इसका नाम है VIPER यानी वोलाटाइल्स इनवेस्टिगेटिंग पोलर एक्सप्लोरेशन रोवर. यह चांद के दक्षिणी ध्रुव पर जाएगा. (सभी फोटोः NASA)

NASA's Viper Moon Rover
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चांद पर VIPER की संभावित लैंडिंग अगले साल होगी. नासा ने ट्वीट के जरिए एक वीडियो शेयर किया है. जिसमें दिखाया गया है कि कैसे उनका रोवर काम करेगा. हालांकि यह एक प्रोटोटाइप है. लेकिन रहेगा ऐसा ही. 

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VIPER को नासा के एम्स रिसर्च सेंटर ने बनाया है. यह रोवर 430 किलोग्राम का होगा. यह करीब 8 फीट ऊंचा और 5-5 फीट लंबा और चौड़ा होगा. इसे चांद की तरफ अगले साल नवंबर में लॉन्च किया जाएगा. लॉन्चिंग Elon Musk की स्पेस कंपनी SpaceX के फॉल्कन हैवी रॉकेट से होगी. 

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लॉन्चिंग के लिए केनेडी स्पेस सेंटर को चुना गया है. इसमें चार यंत्र लगे होंगे जो अलग-अलग तरह की चीजों का अध्ययन करेंगे. ये हैं- न्यूट्रॉन स्पेक्ट्रोमीटर सिस्टम (NSS), नीयर इंफ्रारेड वोलाटाइल्स स्पेक्ट्रोमीटर सिस्टम (NIRVSS), द रिगोलिथ एंड आइस ड्रिल फॉर एक्प्लोरिंग न्यू टरेन (TRIDENT) और मास स्पेक्ट्रोमीटर ऑब्जरविंग ऑपरेशंस (MSolo). 

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वाइपर रोवर एक गोल्फ कार्ट के आकार का है. इसे भी चांद के दक्षिणी ध्रुव के इलाके में उतारा जाएगा. यह वहां पर कम से कम 100 दिन काम करेगा. यानी यह चांद के तीन दिन और तीन रात की साइकिल कवर करेगा. इसमें जो यंत्र हैं, उसमें तीन स्पेक्ट्रोमीटर हैं. जबकि एक 3.28 फीट लंबा ड्रिलिंग आर्म है. 

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इसकी बैटरी सोलर पैनल के जरिए चार्ज होगी. जिसकी अधिकतम क्षमता 450 वॉट होगी. यह 720 मीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चांद की सतह पर चल पाएगा. यह नासा के डीप स्पेस नेटवर्क से एक्स-बैंड डायरेक्ट टू अर्थ के जरिए संपर्क करेगा. यह अधिकतम 20 किलोमीटर के इलाके में चक्कर लगाएगा. 

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यह चांद की सतह के नीचे मौजूद बर्फ का पता लगाएगा. ताकि भविष्य में इंसानों की बस्ती बसाने में आसानी हो. यह पता करेगा कि क्या चांद पर पानी मौजूद है. यह वहां पर तापमान भी बर्दाश्त करेगा. हालांकि चांद पर इस प्रोजेक्ट को भेजने का फायदा ये है कि वहां रेडियो कमांड जल्दी और आसानी से पहुंच जाता है. 

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