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प्रकृति का बदलाः नष्ट हो रहा है Italy का ये 3000 साल पुराना कस्बा, नाम है 'मरता हुआ कस्बा'

aajtak.in
  • सिविटा,
  • 11 अप्रैल 2021,
  • अपडेटेड 8:57 PM IST
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इटली में मौजूद एक कस्बा जिसे दुनिया के प्राचीनतम शहरों में गिना जाता था, आज उसे प्रकृति खत्म कर रही है. इसे अब 'मरता हुआ कस्बा' (Dying Town) कहा जा रहा है. यह कस्बा पहले की तुलना में अब घटकर एक तिहाई ही बचा है. 3000 साल पुराने इस कस्बे को भूस्खलन, मिट्टी का कटाव और दरारें खत्म कर रही हैं. ये कस्बा एक पहाड़ी की चोटी पर बसा है. (फोटोः रॉयटर्स)

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अब यहां पर रह रहे कुछ लोगों ने यूनेस्को से अपील की है कि वो भले ही यह जगह छोड़कर चले जाएंगे लेकिन उनके घरों को बचाने का प्रयास किया जाए. क्योंकि ये कस्बा खत्म होगा तो उसके साथ ही इटली के इतिहास से एक पन्ना गायब हो जाएगा. इटली के इस 3000 साल पुराने कस्बे का नाम है सिविटा (Civita). (फोटोः रॉयटर्स)

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सदियों पहले सिविटा (Civita) अलग-अलग राज्यों और शहरों से सड़कों के जरिए बेहतरीन तरीके से जुड़ा हुआ था. लेकिन लगातार हुए भूस्खलन, भूकंप, दरार और मिट्टी के कटाव की वजह से इसका आकार घटता चला गया. इमारतें और अन्य ढांचे जमींदोज होते चले गए. अब सिर्फ पहाड़ी के ऊपर का हिस्सा ही बचा है. (फोटोः रॉयटर्स)

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जब सर्दियों में बादल नीचे की तरफ आते हैं तो ऐसे लगता है कि सिविटा (Civita) बादलों के ऊपर तैरता हुआ कोई किला हो. आसमान साफ रहता है तो यह कई लेयर वाले केक की तरह दिखाई देता है. क्योंकि ये जिस पहाड़ी पर स्थित है उसके पेड़-पौधे, फूल-पत्तियों और चट्टानों के रंग की वजह से वो केक जैसा दिखाई देता है. (फोटोः रॉयटर्स)

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लाखों साल पहले देश के अंदर आ रही समुद्री लहरों से आई मिट्टी, ज्वालामुखीय मैग्मा और राख से इस इलाके की जमीन विकसित हुई थी. सिविटा (Civita) में 907 साल पहले हुए भयावह भूस्खलन की वजह की स्टडी आज भी भूगर्भ विज्ञानी करते हैं. (फोटोः रॉयटर्स)

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जियोलॉजिस्ट लूका कॉस्टैन्टिनी ने कहा कि 3000 साल से लगातार हो रहे भूस्खलन, दरारों और मिट्टी के कटाव ने सिविटा (Civita) को खत्म करके अब एक छोटे से इलाके में सीमित कर दिया है. अब इस कस्बे में एक चौराहा और कुछ गलियां ही बची हैं. इनके ऊपर बने कुछ घर और चर्च. (फोटोः रॉयटर्स)

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सिविटा (Civita) कस्बे को बचाने के लिए जियोलॉजिस्ट ने नरम ज्वालामुखीय पत्थरों के अंदर टूफो (Tufo) नाम की व्यवस्था की थी. इसमें लोहे के रॉड्स को दो पथरीली दीवारों के बीच लगा दिया जाता है ताकि भूस्खलन और दरारों से बचा जा सके. मिट्टी के कटाव का इमारतों पर असर न पड़े या कम हो. (फोटोः रॉयटर्स)

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बैगनोरेजियो (Bagnoregio) शहर का ही कस्बा है सिविटा. इस शहर के मेयर लूका प्रोफिली ने कहा कि हमारा मकसद है सिविटा को बचाना. इस शहर को एट्रूस्कैन्स (Etruscans) ने बनवाया था. इस शहर ने रोमन काल देखा है. इसके बाद पूरा मेडिवल पीरियड देखा है. अब यह वर्तमान में खड़ा है लेकिन घायल अवस्था में. यह जगह अब बेहद नाजुक हो गया है. (फोटोः रॉयटर्स)

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इस जगह की नाजुकता (Fragility) को भूगर्भ विज्ञानी एक्सटेंसोमीटर (Extensometer) से नापते हैं यह एक टेलिस्कोपिक रॉड होता है जो किसी भी जमीन के मूवमेंट को बताता है. अब जो बचा हुआ सिविटा (Civita) वो दो फुटबॉल मैदान से कम क्षेत्रफल का बचा हुआ है. इसका इकलौता बचा हुआ चौराहा एक बास्केटबॉल कोर्ट के साइज का है. (फोटोः रॉयटर्स)

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जब यह पूरी तरह से बसा हुआ शहर था तब यह अपने अभी के आकार से तीन गुना ज्यादा बड़ा था. लेकिन सदियों से हो रहे भूस्खलन ने इसके आसपास के इलाके को जमीन में मिला दिया. आज इस जगह पर कुछ पर्यटक घूमने जाते हैं. उनके लिए एक ऊंचा सा रैंप बना हुआ है. जिसपर लोग या तो पैदल जाते हैं या फिर गोल्फ कार्ट से. (फोटोः रॉयटर्स)

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सिविटा (Civita) में इस समय कुल मिलाकर 10 से 14 लोग रहते हैं. 20 वर्षीय स्टेफानो लुकारिनी ने पहले लॉकडाउन से ठीक पहले मार्च 2020 में यहां पर एक रेस्टोरेंट खोला था. स्टेफानो ने बताया कि वो समय अच्छा नहीं था रेस्टोरेंट खोलने के लिए लेकिन क्या करें पता नहीं था कि महामारी में नुकसान होगा. लेकिन उन्हें उम्मीद है कि सरकार इस कस्बे को बचाएगी और वो अपना रेस्टोरेंट वापस फायदे में ले आएंगे. (फोटोः रॉयटर्स)

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मेयर लूका प्रोफिली के प्रवक्ता रॉबर्टो पोमी ने बताया कि इटली की सरकार ने इस साल जनवरी में यूनेस्को (UNESCO) में अपील की है कि इसे वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित किया जाए. इसके संरक्षण का काम शुरू हो. उन्हें उम्मीद है कि अगले साल जून तक उन्हें ये मान्यता मिल सकती है. अगर ऐसा होता है तो दुनिया के सर्वश्रेष्ठ भूगर्भविज्ञानी और संरक्षणकर्ता इस कस्बे को बचाने में सफल होंगे. (फोटोः रॉयटर्स)

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