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नेपालः 9 साल की सबसे भयावह 'जंगली आग', उड़ानों में देरी, स्कूल 4 दिन के लिए बंद

aajtak.in
  • काठमांडू,
  • 07 अप्रैल 2021,
  • अपडेटेड 12:10 PM IST
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इस समय जंगल की आग से सिर्फ भारत का उत्तराखंड ही परेशान नहीं है. उत्तराखंड के पड़ोस में स्थित नेपाल की हालत भी बहुत खराब है. यहां पर जंगलों में ऐसी आग लगी है, जिसे नेपाल की सरकार पिछले दस सालों की सबसे भयावह आग बता रही है. इसकी वजह से राजधानी काठमांडू की वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो गई है कि उसे मंगलवार को दुनिया की सबसे ज्यादा खराब वायु गुणवत्ता वाला शहर कहा गया. (फोटोःगेटी)

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IQAir के मुताबिक 6 अप्रैल को काठमांडू की एयर क्वालिटी दुनिया में सबसे ज्यादा खराब थी. इसकी वजह है उसके आसपास लगे जंगलों की आग. इसकी वजह से इतना घना धुआं छाया है कि काठमांडू से कुछ अंतरराष्ट्रीय उड़ानें देरी से रवाना की गई. कुछ की लैंडिंग भी देरी से हुई. पिछले हफ्ते धुएं की वजह से नेपाल के कुछ शहरों में चार दिनों के लिए स्कूल भी बंद कर दिए गए थे. (फोटोःगेटी)

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नेपाल नेशनल डिजास्टर रिस्क रिडक्शन एंड मैनेजमेंट अथॉरिटी (NNDRRMA) के प्रवक्ता उद्दव प्रसाद रिजाल ने कहा कि इस सीजन में सबसे ज्यादा जंगल की आग देखने को मिल रही है. ऐसे हादसे करीब 9 साल पहले देखने को मिले थे. अग्निशमन विभाग के कर्मचारी लगातार इस आग को बुझाने के लिए प्रयास कर रहे हैं. (फोटोःगेटी)

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नेपाल की सरकार के मुताबिक पिछले साल नवंबर महीने से लेकर अबतक नेपाल में 2700 से ज्यादा बार जंगलों में आग लग चुकी है. यह पिछले साल इसी सीजन की तुलना में 14 गुना ज्यादा है. उद्दव प्रसाद रिजाल ने कहा कि सर्दियां नवंबर से फरवरी तक रहती हैं. लेकिन इस बार सर्दियां सूखी थी. जिसकी वजह से जंगलों में आग की घटनाएं बढ़ गईं. (फोटोःगेटी)

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रिजाल ने बताया कि आग लगने का सीजन नवंबर में शुरू होता है. ये जून में मॉनसून के आने तक बना रहता है. इसके पीछे सिर्फ प्राकृतिक कारण ही नहीं है. इसके लिए इंसान भी जिम्मेदार हैं. कुछ किसान अपने मवेशियों के चारे को उगाने के लिए जंगल के कुछ हिस्सों में आग लगा देते हैं. ये बाद में तेजी से बढ़ते विकराल रूप ले लेता है. (फोटोःगेटी)

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नेपाल के दक्षिणी इलाके में स्थित बारा जिले में एक ग्रामीण ने बताया कि उसके घर में सांस लेना भी मुश्किल है. एक हफ्ते से वो लोग स्थानीय जंगल की आग से निकल रहे धुएं की वजह से परेशान हैं. 60 वर्षीय भरत घाले कहते हैं कि मैंने अपनी जिंदगी में इससे भयानक आग नहीं देखी. इसके लिए सरकार को कोई खास तरह का सिस्टम बनाना चाहिए. (फोटोःगेटी)

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पर्यावरण विशेषज्ञ मधुकर उपाध्या कहते हैं कि इस जंगल की आग से बचा नहीं जा सकता. क्लाइमेट चेंज होने की वजह से और सर्दियों में मौसम सूखा रहने की वजह से नेपाल के जंगलों की आग की घटनाएं और बढ़ेगी. हमें जंगल की आग का रिस्क अगर कम करना है, तो मॉनसून में पानी को बचाना होगा. (फोटोःरॉयटर्स)

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मधुकर कहते हैं कि लोगों को, किसानों, पर्यटकों और ग्रामीणों को जागरूक करना होगा. उन्हें ये बताना होगा कि अगर उनकी गलती से आग लग भी जाए तो इसे सामुदायिक स्तर पर कैसे मिलकर बुझाया जा सकता है. या फिर आग को फैलने से रोका जा सकता है. (फोटोःरॉयटर्स)

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