अक्सर लोगों को एक्सरसाइज यानी व्यायाम करने के बाद तनाव में कमी महसूस होती है. दर्द कम हो जाता है. बेचैनी कम होती है. कई बार तो उत्साह की मात्रा बढ़ जाती है. आखिरकार ऐसा क्यों होता है? कभी सोचा है आपने. तो ये जान लीजिए कि आपके शरीर में गांजे और भांग का वो रसायन होता है, जिससे आपको रिलैक्स फीलिंग आती है. बस उसका रूप और रसायनिक फॉर्मूला थोड़ा अलग है. उसके लिए आपको थोड़ी शारीरिक मेहनत करनी होगी.
व्यायाम के बाद या दौड़ने के बाद शरीर में महसूस होने वाली अच्छी अनुभूति को रनर्स हाई (Runner's High) कहते हैं. जैसे शराब पीने या गांजा-भांग लेने के बाद लोग कहते हैं कि वो हाई हैं. रनर्स हाई एक प्राकृतिक प्रक्रिया है. जो इंसानों और जानवरों के शरीर में दर्द और तनाव को कम करने लिए होती है. इसके पीछे एंडोरफिन्स (Endorphins) नाम के रसायन का महत्वपूर्ण योगदान है. (फोटोः गेटी)
दो दशकों से इस विषय पर रिसर्च चल रही है. अब एक नई रिसर्च में पता चला है कि एक्सरसाइज करने से शरीर के अंदर मौजूद एंडोकैनाबिनॉयड्स (Endocannabinoids) रिलीज होते हैं, जो दिमाग और शरीर के बीच संतुलन बनाते हैं. इस प्रक्रिया को होमियोस्टेसिस (Homeostasis) कहते हैं. शरीर में होने वाली यह प्राकृतिक प्रक्रिया व्यायाम की वजह से शरीर और मन में होने वाले फायदों पर और स्टडी करवा सकती है.
वायेन स्टेट यूनिवर्सिटी में साइकेट्री एंड बिहेविरल न्यूरोसाइंस में एसिसटेंट प्रोफेसर हिलेरी ए. मारुसाक ने कहा कि हमने बच्चों और किशोरों में एक्सरसाइज से पड़ने वाले शारीरिक और मानसिक असर को देखा है. इससे उन्हें बेचैनी दूर करने में और तनाव के प्रबंधन में मदद मिलती है. लगातार व्यायाम करने से यह दिक्कत खत्म हो जाती है कि आप तनाव में रहते हैं. बेचैन होते हैं. नींद कम आती है. ये सब ठीक हो जाता है.
कुछ दशकों से लगातार व्यायाम और उसके फायदों पर रिसर्च चल रही है. जिसमें बताया गया है कि अलग-अलग तरह के एक्सरसाइज की वजह से आप समय पूर्व मृत्यु, डायबिटीज, हाइपरटेंशन, कैंसर और दिल संबंधी बीमारियों से बच सकते हैं. पिछले दो दशकों से इस बात पर रिसर्च चल रही है कि व्यायाम से मानसिक स्वास्थ्य भी ठीक रहता है. लगातार एक्सरसाइज से बेचैनी, डिप्रेशन, पर्किन्सन्स डिजीज और अन्य दिमाग संबंधी बीमारियों से मुक्ति मिलती है.
लगातार एक्सरसाइज से आपकी संज्ञानात्मक शक्ति बढ़ती है. मूड स्विंग कम होते हैं. तनाव कम होता है. सेल्फ-एस्टीम बढ़ा रहता है. हालांकि यह बात किसी वैज्ञानिक को समझ में नहीं आई कि मानसिक स्वास्थ्य कैसे सुधरता है. लेकिन एक्सरसाइज करने से मेटाबॉलिज्म बढ़ता है. खून का बहाव बढ़ता है. साथ ही दिमाग में नई कोशिकाएं पैदा होती हैं, जिसे न्यूरोजेनेसिस (Neurogenesis) कहते हैं. दिमाग में कुछ खास प्रकार के रसायनों की मात्रा भी बढ़ती है.
दिमाग में जिन रसायनों की मात्रा बढ़ती है, उनमें से कुछ न्यूरोट्रोफिक फैक्टर्स (Neurotrophic Factors) कहलाते हैं. इन्हें ब्रेन डिराइव्ड न्यूरोट्रॉफिक फैक्टर्स (BDNF) भी कहते हैं. ये दिमाग की प्लास्टिसिटी (Plasticity) यानी दिमाग की कोशिकाओं के कार्य में बदलाव के लिए जिम्मेदार होते हैं. इनकी वजह से सीखने और याद्दाश्त की क्षमता भी बढ़ती है.
वैज्ञानिकों ने यह भी पाया है कि एक्सरसाइज करने से खून में एंडोरफिन्स (Endorphins) की मात्रा बढ़ जाती है. यह एक तरह का प्राकृतिक ओपिऑयड (Opioid) है. ओपिऑयड दिमाग में अलग-अलग तरह का काम करते हैं. जिनमें दर्द से आराम भी दिलाना भी शामिल है. चाहे वह शारीरिक दर्द हो या मानसिक. 80 के दशक में हुए कुछ रिसर्च के अनुसार एंडोरफिन्स की वजह से उत्साह की जो भावना आती है, उसे ही रनर्स हाई (Runners High) माना जाता था. (फोटोः गेटी)
कैनाबिनॉयड्स (Cannabinoids) कैनेबिस यानी भांग से निकलने वाला एक रसायन है, जिसे THC के नाम से भी जाना जाता है. यानी टेट्राहाइड्रोकैनाबिनॉल (tetrahydrocannabinol). इसे लेने के बाद लोग हाई महसूस यानी नशे में महसूस करते हैं. या फिर आपने कैनाबिडियॉल (Cannabidiol) या CBD कहते हैं. इससे कुछ खाने के व्यंजन, दवाएं, तेल और कुछ अन्य उत्पाद बनते हैं.
लेकिन लोगों को यह नहीं पता कि इंसान खुद अपने शरीर में कैनाबिनॉयड्स बनाते हैं. जिन्हें एंडोकैनाबिनॉयड्स (Endocannabinoids) कहते हैं. यह एक खास तरह के छोटे मॉलिक्यूल्स होते हैं, जो लिपिड्स या फैट से बनते हैं. ये शरीर और दिमाग में घूमते हैं. जिससे शरीर में कई तरह के फायदे होते हैं. जैसे शरीर का दर्द, मानसिक वेदना, तनाव, बेचैनी कम करना, सूजन कम करना या फिर इम्यूनिटी को बढ़ाना.