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साइंस न्यूज़

बृहस्पति ग्रह के चांद Europa पर समुद्र में कार्बन की खोज, एलियन जीवन की संभावना

आजतक साइंस डेस्क
  • टेक्सास,
  • 22 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 2:33 PM IST
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बृहस्पति ग्रह (Jupiter) के कई चंद्रमाओं में से एक यूरोपा (Europa) पर जीवन होने की संभावना है. वह भी एलियन जीवन. क्योंकि वैज्ञानिकों को हाल ही में सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह के इस बर्फीले चंद्रमा के समुद्र में कार्बन मिला है. कार्बन का होना जीवन होने की संभावना हो बढ़ा देता है. यूरोपा पर बर्फीले समुद्र हैं. (फोटोः गेटी)

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नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप (JWST) ने जब यूरोपा की तरफ नजरें घुमाई तो पता चला कि उसके समंदर में कार्बन की मात्रा है. क्योंकि इस चांद की सतह पर 16 किलोमीटर मोटी बर्फ की परत है. जिसके ऊपर कार्बन डाईऑक्साइड का घेरा आता-जाता रहता है. यानी इस मोटी बर्फीली परत के नीचे नमकीन समुद्र है. (फोटोः गेटी)

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इस खोज में यह पता नहीं चल पा रहा है कि वहां एलियन जीवन है या नहीं. हो सकता है कि इस बर्फीले समुद्र के अंदर सूक्ष्म रूप में जीवन मौजूद हो. जैसे ठंडी जगह पर रहने वाले सूक्ष्म जीव. यानी बैक्टीरिया या वायरस. सौर मंडल में अगर कहीं जीवन खोजने की शुरुआत की जा सकती है, तो यूरोपा सबसे उपयुक्त जगह मानी जाती है. (फोटोः NASA)

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टेक्सास के साउथवेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट में मौजूद जियोकेमिस्ट डॉ. क्रिस्टोफर ग्लेन कहते हैं कि मैं इस बात से बहुत खुश हूं, कि वहां पर कार्बन मिला है. जीवन का पता नहीं चला है. लेकिन कार्बन का मिलना ये बताता है कि यूरोपा के बर्फीले समुद्र में जीवन किसी न किसी रूप में मौजूद हो सकता है. बस उसकी जांच करनी होगी. (फोटोः NASA)

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बृहस्पति का यूरोपा धरती के चंद्रमा से थोड़ा ही छोटा है. ऐसा माना जाता है कि कुछ स्तर तक विपरीत परिस्थितियों में में भी कुछ जीव रह लेते हैं. यूरोपा का तापमान माइनस 140 डिग्री सेल्सियस तक जाता है. सात ही वहां पर बृहस्पति ग्रह का रेडिएशन जरूर आता है. यूरोपा के समंदर 64-160 किलोमीटर गहरे हैं. (फोटोः NASA)

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धरती के चंद्रमा के बाद यूरोपा ही जीवन खोजने के लिए सबसे सटीक माना जाता है. वैज्ञानिक उसके बर्फीले समुद्र के 16 से 24 किलोमीटर नीचे जीवन की खोज करने का मौका तलाश रहे हैं. ये उम्मीद है कि यूरोपा के समुद्र के नीचे जीवन के लिए जरूरी बायोलॉजिकल मैटेरियल मौजूद है. जो जीवन को आगे बढ़ाने या पनपने में मदद करेगा. (फोटोः NASA)

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इससे पहले हुए रिसर्च से यह पता चला था कि यूरोपा पर सॉलिड कार्बन डाईऑक्साइड से बना बर्फ है. लेकिन यह पक्का नहीं हो पा रहा है यूरोपा के समुद्र के अंदर कार्बन उत्सर्जन कैसे हो रहा है. क्या ये किसी उल्कापिंड की टक्कर से बना था. जो बनता जा रहा है लगातार. फिर वैज्ञानिकों ने जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप को काम पर लगाया. (फोटोः NASA)

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JWST का फोकस 1800 वर्ग किलोमीटर के यूरोपा के तारा रेगियो इलाके पर था. इस इलाके केओस टेरेन कहते हैं. यहां पर यूरोपा की सतह पर बर्फीली दरारें हैं. बर्फ के नुकले पहाड़ हैं. यह पूरा इलाका बर्फ से ही बना है. साथ ही इस इलाके में नमक की मात्रा भी काफी ज्यादा है. यहां बर्फीले समुद्र के नीचे से कार्बन डाईऑक्साइड आता है. (फोटोः NASA)

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