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साइंस न्यूज़

Omicron Virus Origin: क्या चूहों से आया कोरोना का ये खतरनाक वैरिएंट?

aajtak.in
  • बर्लिन,
  • 03 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 5:18 PM IST
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Omicron वैरिएंट कहां से आया? इसका जन्म कहां से हुआ? इसकी खोज वैज्ञानिक कर रहे हैं. इस बीच एक थ्योरी ये आई है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट चूहों से आया है. वैज्ञानिकों का कहना है कि यह खतरनाक और संक्रामक वैरिएंट नॉन ह्यूमन एनिमल स्पीसीज (Nonhuman Animal Species) से आया है. संभवतः रोडेंट (Rodent) यानी चूहों से. हालांकि रोडेंट में कई अन्य जीव भी आते हैं. (फोटोः गेटी)

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STAT नाम के मीडिया संस्थान ने यह खबर प्रकाशित की है कि ओमिक्रॉन (Omicron) की ओरिजिन तब हुई होगी जब किसी चूहे को पिछले साल के मध्य में कोरोना का संक्रमण हुआ होगा. कई जीवों में म्यूटेशन करने के बाद कोरोना वायरस के इस नए बदले हुए वैरिएंट ने इंसानों को संक्रमित किया होगा. इस पूरी प्रक्रिया को रिवर्स जूनोसिस (Reverse Zoonosis) कहते हैं. (फोटोः गेटी)

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रिवर्स जूनोसिस (Reverse Zoonosis) को समझने के लिए पहले जूनोसिस समझना होगा. जूनोसिस मतलब जानवरों से इंसानों में आने वाली बीमारी. जबकि इंसानों से जानवरों में वायरस का जाना...वहां फिर से अपना रूप बदलना यानी म्यूटेशन करना और उसके बाद वापस इंसानों को संक्रमित करना. इसे रिवर्स जूनोसिस कहते हैं. (फोटोः गेटी)

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स्क्रिप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट (Scripps Research Institute) के इम्यूनोलॉजिस्ट क्रिस्टियन एंडरसन कहते हैं कि ओमिक्रॉन वैरिएंट कई वैरिएंट्स के म्यूटेशन के बाद बना है. इसमें खुद 30 से ज्यादा म्यूटेशन हुए हैं. इसलिए पूरी तरह से संभव है कि यह रिवर्स जूनोसिस की प्रक्रिया से होकर गुजरा हो. कुछ थ्योरीज ये भी कह रही हैं कि किसी कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले इंसान में कोरोना वायरस ने खुद को म्यूटेट करके ओमिक्रॉन के रूप में उभरा हो. (फोटोः गेटी)

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क्रिस्टियन कहते हैं कि ऐसा भी हो सकता है कि रिवर्स जूनोसिस के बाद जूनोसिस की नई प्रक्रिया हुई हो. इसके बाद किसी इंसान में यह वायरस आया हो. इसके लिए हमें कोरोना वायरस की जीनोम सिक्वेंसिंग गहरे स्तर पर जाकर करनी होगी. क्योंकि इस ओमिक्रॉन वायरस (Omicron Virus) में 32 म्यूटेशन सिर्फ उसकी बाहरी कंटीली परत पर बताए जा रहे हैं. (फोटोः गेटी)

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तुलेन मेडिकल स्कूल (Tulane Medical School) में माइक्रोबायोलॉजी और इम्यूनोलॉजी के प्रोफेसर रॉबर्ट गैरी कहते हैं कि ओमिक्रॉन में 32 में से 7 ऐसे म्यूटेशन है जो चूहों को संक्रमित कर सकते हैं. जबकि, कोरोना वायरस के पहले वैरिएंट अल्फा (Alpha) में कुल सात म्यूटेशन ही हुए थे. हालांकि रॉबर्ट गैरी इस बात को लेकर अब भी दुविधा में है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट (Omicron Variant) जानवरों से निकला या फिर इंसानों में विकसित हुआ. (फोटोः गेटी)

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ओमिक्रॉन (Omicron) वैरिएंट में चूहों को संक्रमित करने वाले जीन है. ये बात तो पुख्ता हो गई है. क्योंकि जितना म्यूटेशन इस वैरिएंट में देखने को मिला है, उतना म्यूटेशन कोरोना वायरस के किसी अन्य वैरिएंट में अब तक नहीं देखा गया. इसलिए वैज्ञानिक इसे इस नजरिए से भी देख रहे हैं कि ये चूहों में विकसित हुआ हो. (फोटोः गेटी)

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यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना के इवोल्यूशनरी बायोलॉजिस्ट माइक वोरोबी कहते हैं कि यह बेहद हैरान करने वाला वैरिएंट है. क्योंकि अगर ये वैरिएंट बाहर किसी जीव को क्रोनिक बीमारी से संक्रमित कर सकता है तो ये इंसानों के साथ क्या-क्या करेगा. इसकी वजह से कई और खतरनाक वैरिएंट्स के सामने आने की आशंका भी पैदा हो रही है. हालांकि माइक फिलहाल इस बात को मानने को तैयार नहीं है कि ये चूहे से निकला है. उनका मानना है कि ये किसी कमजोर इम्यून सिस्टम वाले इंसान के शरीर में विकसित हुआ है. (फोटोः गेटी)

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ओमिक्रॉन की उत्पत्ति (Origin of Omicron) को लेकर सबसे ताकतवर थ्योरी जो चल रही है उसके मुताबिक कमजोर इम्यून सिस्टम वाले इंसान को कोरोना के किसी वैरिएंट ने संक्रमित किया होगा. उसके बाद उसे उसी दौरान किसी तरह के क्रोनिक इन्फेक्शन भी हुआ होगा. जिसकी वजह से कोरोना वायरस शरीर में घर बनाकर बैठ गया. धीरे-धीरे अपना रूप बदलता रहा. यानी म्यूटेट होता रहा. उसने इतना ज्यादा म्यूटेशन कर लिया कि वह भयानक ओमिक्रॉन वैरिएंट (Omicron Variant) बनकर सामने आ गया है. (फोटोः गेटी)

 

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बर्लिन स्थित शैरिट यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल (Charite University Hospital) के वायरोलॉजिस्ट क्रिश्चियन ड्रोस्टेन इन दोनों थ्योरी से इनकार करते हैं. वो कहते हैं कि ओमिक्रॉन (Omicron) सबसे पहले कमजोर वायरल सर्विलांस वाली आबादी में आया होगा. वहीं पर विकसित हुआ होगा और संक्रमण फैला रहा होगा. लेकिन किसी की नजर इस वैरिएंट पर नहीं पड़ी. क्रिश्चियन ड्रोस्टेन को लगता है कि ये वायरस दक्षिण अफ्रीका में पैदा ही नहीं हुआ. क्योंकि वहां पर बहुत ज्यादा मात्रा में जीनोम सिक्वेंसिंग चल रही थी. लेकिन यह सर्दियों के मौसम में दक्षिण अफ्रीका के किसी दूरस्थ दक्षिणी इलाके में विकसित हुआ होगा. (फोटोः गेटी)

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वहीं, यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग के इवोल्यूशनरी बायोलॉजिस्ट एंड्र्यू रामबौत ने कहा कि कोरोना काल में दुनिया की ऐसी कोई जगह हो ही नहीं सकती जहां पर नया वायरस विकसित हो और किसी को पता न चले. ये बात एकदम गलत है. क्योंकि दक्षिण अफ्रीका में कई अन्य बीमारियां भी हैं, जिनकी वजह से कोरोना को और गंभीरता से लिया जा रहा है. वहां लगातार जीनोम सिक्वेंसिंग होती रहती है. इसलिए ये संभव नहीं कि ये चुपचाप विकसित हुआ हो और किसी को पता न चला हो. (फोटोः गेटी)

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