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Pfizer की वैक्सीन कोरोना के खिलाफ 91% प्रभावी, अफ्रीकी वैरिएंट से भी बचाएगी

aajtak.in
  • न्यूयॉर्क,
  • 02 अप्रैल 2021,
  • अपडेटेड 9:50 AM IST
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कोरोना वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां फाइजर और बायोएनटेक ने दावा किया है कि उनकी वैक्सीन कोविड-19 से बचाने में 91.3 फीसदी प्रभावी है. साथ ही यह अफ्रीकी कोरोना वैरिएंट से भी बचाएगी. कंपनी का दावा है कि उनकी वैक्सीन दक्षिण अफ्रीका के कोरोना वैरिएंट B.1.351 से भी लोगों को बचाएगी. हालांकि, वैक्सीन की एफिकेसी नवंबर में किए गए 95 फीसदी के दावे से कम है. लेकिन 91.3 फीसदी क्षमता दिखाना भी यह बताता है कि यह कोरोना से लोगों को बचा लेगी. (फोटोः गेटी)

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फाइजर और बायोएनटेक ने नवंबर में 44 हजार लोगों पर क्लीनिकल ट्रायल करने के बाद कहा था कि उनकी वैक्सीन कोरोना के खिलाफ 95 फीसदी इफेक्टिव है. लेकिन अभी वायरस के कई रूप बन चुके हैं. यह तेजी से म्यूटेट हो रहा है. नए स्ट्रेन और वैरिएंट्स आ रहे हैं. इसलिए कंपनी ने दावा किया है कि उनकी वैक्सीन नए वैरिएंट्स से भी लोगों को बचाएगी. (फोटोः गेटी)

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ब्रिटेन के इंपीरियल कॉलेज लंदन में इम्यूनोलॉजी के प्रोफेसर डैनी अल्टमैन कहते हैं कि फाइजर का डेटा बताता है कि हमारे पास अब भी ताकतवर वैक्सीन मौजूद हैं. वहीं, फाइजर के सीईओ अलबर्ट बोरूला ने कहा कि इस बार हमने 12 हजार लोगों को वैक्सीन दिया था. इन्हें छह महीने पहले वैक्सीन दी गई थी. ये सामान्य कोरोनावायरस से तो सुरक्षित हैं ही, इन्हें नए वैरिएंट्स का भी असर नहीं हुआ. (फोटोः गेटी)

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अमेरिका ने फिलहाल इस वैक्सीन को आपातकालीन स्थिति के अनुसार उपयोग में लाने की अनुमति दी है. जबकि, कंपनी चाह रही है कि इसे पूरी तरह से उपयोग में लाने की अनुमति दे दी जाए. बायोएनटेक के सीईओ ऊगूर साहीन ने कहा कि वैक्सीन के नए डेटा से ये बात पुख्ता हो चुकी है कि ये कोरोनावायरस को रोकने के लिए 91.3 फीसदी सक्षम है. साथ ही नए वैरिएंट्स से भी बचाता है. (फोटोः गेटी)

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हालांकि लोगों को चिंता है कि दक्षिण अफ्रीकी और ब्राजील के कोरोनावायरस स्ट्रेन की. क्योंकि दक्षिण अफ्रीका के कोरोना वैरिएंट से संक्रमित 300 लोग अमेरिका के 25 राज्यों में मिले हैं. शुरुआती जांच में पता चला था कि फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन अफ्रीकी वैरिएंट से बचा तो रही है लेकिन बहुत क्षमता के साथ नहीं. (फोटोः गेटी)

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फिर कंपनी ने साउथ अफ्रीका में भी इस वैक्सीन का ट्रायल चलाया. इस बार इनकी वैक्सीन ने दक्षिण अफ्रीका के कोरोना वैरिएंट B.1.351 के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन किया है. हालांकि सैन डिएगो स्थित ला जोल्ला इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी की वायरोलॉजिस्ट शेन क्रोटी ने कहा कि कंपनी अफ्रीकी वैरिएंट के सैंपल कम लिए थे. इसलिए इसकी और स्टडी होनी चाहिए. लेकिन वैक्सीन ने अफ्रीकी वैरिएंट के खिलाफ मजबूती से काम किया है. (फोटोः गेटी)

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बायोएनटेक ने कहा है कि भविष्य में हम सभी को बूस्टर शॉट की जरूरत पड़ेगी. यानी दूसरे डो़ज के छह महीने बाद या 9 महीने बाद एक डोज वैक्सीन की और लगानी चाहिए. ताकि कोरोनावायरस के नए वैरिएंट्स से बचा जा सके और नए वैरिएंट्स के म्यूटेशन को रोका जा सके. हालांकि फाइजर की वैक्सीन को FDA ने कोरोनावायरस की गंभीर स्थिति को रोकने के लिए 95 फीसदी इफेक्टिव माना था. (फोटोः गेटी)

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फाइजर की वैक्सीन को लेकर सुरक्षा संबंधी कोई गंभीर दिक्कत भी नहीं है. हाल ही में कंपनी ने 12 से 15 साल के बच्चों के लिए भी वैक्सीन बनाई है. जो कि कोरोनावायरस से 100 फीसदी बचाव का दावा कर रही है. इसके आपातकालीन उपयोग के लिए कंपनी ने अमेरिकी और यूरोपीय सरकार ने अनुमति मांगी है. (फोटोः गेटी)

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