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Polar Bears: क्लाइमेट चेंज से आफत, अमेरिका से रूस भागने को मजबूर हुए ध्रुवीय भालू!

aajtak.in
  • लंदन,
  • 04 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 10:47 AM IST
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बाढ़ और सूखे की वजह से इंसानों को कई बार अपना घर, इलाका और देश छोड़ना पड़ा है. लेकिन अब हम इंसानों द्वारा किए जा रहे जलवायु परिवर्तन की वजह से जानवरों को भी अपना घर छोड़ना पड़ रहा है. अमेरिका के पोलर बीयर यानी ध्रुवीय भालू जिन्हें हम आम भाषा में सफेद भालू भी कहते हैं, वो अपना घर छोड़कर रूस की तरफ भागने को मजबूर हो गए हैं. पिछले कुछ महीनों में बड़े पैमाने पर सफेद भालुओं का विस्थापन हुआ है. वह भी बढ़ती गर्मी और जलवायु परिवर्तन की वजह से. (फोटोः गेटी)

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इंग्लैंड के मीडिया संस्थान द टेलीग्राफ में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार पश्चिमी अलास्का के उतकियागविक यानी बैरो में रहने वाले ध्रुवीय भालू अब रूस के चकची सागर (Chukchi Sea) की ओर सामूहिक तौर पर जा रहे हैं. स्थानीय लोगों ने इन्हें बड़े पैमाने  पर विस्थापित होते हुए देखा है. यह खबर न तो भालुओं के लिए अच्छी है, न ही इंसानों के लिए. क्योंकि अगर किसी इकोसिस्टम का कोई महत्वपूर्ण जीव किसी भी वजह से विस्थापित होता है तो उससे पूरा इकोसिस्टम प्रभावित होता है. (फोटोः गेटी)

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हाल ही में बॉक्सिंग डे के दिन अलास्का के कोडिएक द्वीप पर तापमान अधिकतम 19.4 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया था. यह तापमान ध्रुवीय भालुओं के लिए सही नहीं है. अलास्का पर इस समय ज्यादा तापमान की वजह से बर्फ तेजी से पिघल रही है. दूसरी बात रूस के चकची सागर में खाने की कमी नहीं है. भालुओं को अब अलास्का की तरफ न तो सही तापमान मिल रहा है, न ही सही तरीके से खाने के लिए मछलियां और अन्य जीव मिल पा रहे हैं.  (फोटोः गेटी)

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ध्रुवीय भालुओं की आदत होती है कि जहां सही परिस्थितियां मिलती हैं, वहां वो चले जाते हैं. लेकिन इस बार इनका विस्थापन बड़े पैमाने पर देखा गया है. क्योंकि अलास्का की खाड़ी में स्थित कोडिएक द्वीप पर हाल ही रिकॉर्ड तोड़ तापमान बढ़ा हुआ है. यह इलाका बीयुफोर्ट सागर के पास है. यहां पर समुद्री बर्फ पिघलती जा रही है. क्योंकि तापमान 19.4 डिग्री सेल्सियस पार कर चुका है.  (फोटोः गेटी)

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स्थानीय लोगों का कहना है कि अमेरिका के सुदूर उत्तरी छोर से ये भालू अब दिखाई नहीं दे रहे हैं. वो एकदम से गायब हो गए हैं. अलास्का में व्हेल मछलियों का शिकार करने वाले कैप्टन हर्मन आहशोक ने कहा कि इससे पहले ऐसा नजारा कभी नहीं देखा. यहां पर पोलर बीयर दिख जाते थे, लेकिन इस समय आप एक भी ध्रुवीय भालू देखने को नहीं मिल रहा है. 1990 के दशक में यहां पर 127 ध्रुवीय भालू देखने को मिल जाते थे. हमारे पास इनकी निगरानी के लिए पेट्रोल टीम है.  जो सिर्फ यह देखती है कि ध्रुवीय भालुओं पर कोई आफत तो नहीं है. वो सही सलामत हैं या नहीं.  (फोटोः गेटी)

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लेकिन जब बर्फ पिघलनी शुरु होने लगी तो भालुओं की संख्या भी कम होती चली गई. पिछले 50 सालों में अमेरिका के इस हिस्से का तापमान 4.8 डिग्री सेल्सियस बढ़ा है. वैश्विक तापमान (Global Warming) बढ़ने की वजह से ध्रुवीय भालू बड़े पैमाने पर विस्थापित हो रहे हैं. वो अमेरिका के सुदूर उत्तरी इलाके से भागकर रूस की तरफ जा रहे हैं.  (फोटोः गेटी)

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42 ब्लेड की तरह तेज दांतों, डिनर प्लेट के बराबर आकार के पंजे और सफेद फर व काली त्वचा के नीचे 4 इंच की मोटी फैट की परत लेकर घूमने वाले ये दैत्याकार जीव जलवायु परिवर्तन की वजह से अपना घर छोड़ने को मजबूर हैं. रूस के चकची सागर के पास स्थित रैंगल आइलैंड (Wrangle Island) पर साल 2017 में 589 ध्रुवीय भालू थे. जो साल 2020 में बढ़कर 747 हो चुके थे.  (फोटोः गेटी)

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अलास्का साइंस सेंटर की जीव विज्ञानी डॉ. केरिन रोड ने बताया कि चकची सागर के आसपास भालुओं की संख्या करीब 3000 के आसपास हो गई है. भालू बेहतर मौसम और जगहों पर जा रहे हैं, ताकि वो सर्वाइव कर सकें. यह अच्छी बात है. लेकिन इतनी बड़ी मात्रा में एक जगह से विस्थापन होना और दूसरी जगह जाकर रहना, ये दिक्कत की बात है. क्योंकि इससे दोनों जगहों की परिस्थितियों में तेजी से बदलाव आएगा.  (फोटोः गेटी)

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वहीं, एक तरफ वैज्ञानिकों का कहना है कि असल में ये अमेरिका के ध्रुवीय भालू हैं ही नहीं, ये रूस के पोलर बीयर हैं, जो अलास्का जाते हैं, फिर स्थितियां बिगड़ने पर वापस रूस की तरफ चले आते हैं. यह प्रक्रिया कई दशकों से होती चली आ रही है. लेकिन जलवायु परिवर्तन तो हो ही रहा है, तापमान लगातार बढ़ रहा है. इसका असर तो भालुओं के जीवनशैली पर पड़ेगा ही.  (फोटोः गेटी)

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ध्रुवीय भालुओं की पसंदीदा जगह है रूस के आसपास का ठंडा इलाका. वो आमतौर पर वहीं रहना चाहते हैं, क्योंकि वहां उनके हिसाब से सालभर तापमान सही रहता है. खाने की कमी नहीं होती. लेकिन जिस तरह से समुद्री बर्फ पिघलती जा रही है, द्वीपों पर से ग्लेशियर खत्म हो रहे हैं. उससे भालुओं के रहन-सहन पर असर पड़ेगा. वो गर्मी वाले इलाकों से भागकर सर्दी वाले इलाकों की तरफ जाएंगे.  (फोटोः गेटी)

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