इस साल मॉनसून खत्म नहीं हो रहा है. पहले गुजरात, फिर आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में जमीन से उठने वाले साइक्लोन ने आफत बरसाई. अभी ये मुसीबत खत्म नहीं हुई है. अगले हफ्ते फिर इस तरह के मौसम की आशंका जताई जा रही है. इस नई मुसीबत का नाम है जमीन से पैदा होने वाला साइक्लोन (Land Based Cyclone).
बंगाल की खाड़ी में डिप्रेशन बना. आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भयानक बारिश हुई. बाढ़ आई. 33 लोग मारे गए. इसके पहले गुजरात में डिप्रेशन बना और उसने वड़ोदरा और आसपास के जिलों में आफत बरसाई.
मौसम विभाग की माने तो जमीन से बनने वाला साइक्लोन अरब सागर और जमीन की गर्मी की वजह से पैदा हुई नमी को खींचता है. इसी वजह से आंध्र प्रदेश में 24 घंटे में हैरतअंगेज तरीके से 520 मिलिमीटर बारिश हुई.
30 अगस्त को शुरू हुई बारिश 3 सितंबर तक बेहद तीव्र हो गई. आंध्र प्रदेश का बड़ा इलाका पानी में डूब गया. राज्य में साल भर में जितना पानी बरसता है, उसका 27 फीसदी सिर्फ 48 घंटे में बरस गया. चारों तरफ बाढ़ आ गई.
मॉनसून के समय लो प्रेशर सिस्टम यानी कम दबाव का क्षेत्र बनना आम बात है. इसे मॉनसून लो कहते हैं. जो बाद में तीव्र होकर मॉनसून डिप्रेशन में बदल जाता है. मॉनसून में बनने वाले ये लो प्रेशर एरिया और डिप्रेशन लंबे समय तक रहते हैं.
लो प्रेशर एरिया बेहद धीमे चलते हैं. ये कम समय में ज्यादा बारिश करते हैं. चाहे वह गुजरात का डिप्रेशन हो या फिर अब आंध्र प्रदेश और तेलंगाना का. इन दोनों राज्यों के कुछ इलाकों में तो 24 घंटे में 500 मिलिमीटर बारिश हो गई.
अगली मुसीबत 9 सितंबर के आसपास आने वाली है. पश्चिम बंगाल के रास्ते यह जमीन की तरफ आएगी. इसकी वजह से पूर्वी और मध्य भारतीय राज्यों में 10 सितंबर को तेज से बहुत तेज बारिश होने की आशंका है. ये एकदम वैसा ही इवेंट है, जैसा गुजरात, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में हुआ था.
1 सितंबर 2024 को यूरेपियन स्पेस एजेंसी के सेंटीनल-1 सैटेलाइट से जो तस्वीरें मिलीं, उसमें खम्मम, महबूबनगर, सूर्यपेट, गुंटूर, कृष्णा और विजयवाड़ा पानी में डूबे हुए थे. भयानक बाढ़ की स्थिति थी. 1600 एकड़ जंगल बर्बाद हो गया.
सबसे बुरी हालत आंध्र प्रदेश के गुंटूर की है. इस जिले के उप्पलपदु में बुरा हादसा हुआ. वहां एक इंसान और उसके दो बच्चे बाढ़ में डूबकर मर गए. तेलंगाना में वायरा नदी और मढीरा झील लिमिट से ऊपर बह रही है. हजारों लोगों को रेस्क्यू किया गया. सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया.
अभी पूर्वी विदर्भ और तेलंगाना के ऊपर जो मौसम बना है, वो कुछ दिन तक प्रभावित करता रहेगा. यह उत्तर-पश्चिम की तरफ 8 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से आगे बढ़ रहा है. लेकिन ये धीरे-धीरे कमजोर होता जाएगा.
वैज्ञानिकों ने शहरों में इस तरह के मौसम में आने वाली बाढ़ की वजह बेतरतीब अर्बन डेवलपमेंट को माना है. स्टॉर्मवाटर मैनेजमेंट अच्छा नहीं है. जंगल और कॉन्क्रीट के बीच संतुलन नहीं है. रेनवाटर हार्वेस्टिंग नहीं है. इसलिए शहरों में ऐसे मौसम से ज्यादा हालत खराब होती है.