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सच में होते हैं पोकेमॉन के Pikachu, तिब्बत की सर्दी में जिंदा रहने के लिए खाते हैं 'गंदी चीज'

aajtak.in
  • बीजिंग,
  • 21 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 4:21 PM IST
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पोकेमॉन (Pokemon) कार्टून सीरीज का पिकाचु (Pikachu) असल में होता है. ये चीन में स्थित तिब्बत के पठारों में पाया जाता है. ये चूहे से थोड़ा बड़ा और खरगोश से छोटे आकार का होता है. लेकिन इतनी ऊंचाई पर रहने की वजह से इसे ऐसी चीज खानी पड़ती है, जिसके बारे में कोई उम्मीद नहीं कर सकता. क्योंकि इतनी सर्दी में जिंदा रहने के लिए उसे याक (Yak) का मल खाना पड़ता है. (फोटोः गेटी)

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इन छोटे असली पिकाचु को आम भाषा में प्लैट्यू पिका (Plateau Pika) कहते हैं. जबकि वैज्ञानिक भाषा में इन्हें ओचोटोना कर्जोनी (Ochotona Curzoniae) पुकारा जाता है. चीन में क्निघई-तिब्बत के पठारों और सिचुआन प्रांत में सर्दियों में पारा माइनस 30 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है. ऐसे में इन पिकाचु को खाना नहीं मिलता. इनके लिए बड़ी दिक्कत हो जाती है. क्योंकि हरी घास और पेड़ पौधे लगभग सूख जाते हैं. चारों तरफ बर्फ ही बर्फ होती है. (फोटोः गेटी)

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खाना नहीं मिलने की वजह से ये सर्दियों में खुद का मेटाबॉलिज्म (Metabolism) यानी उपाप्चय की दर कम कर लेते हैं. घास-फूस नहीं मिलने की वजह से इन्हें जिंदा रहने के लिए याक का मल खाना पड़ता है. याक का मल गर्म होता है, साथ ही उसमें घास और हरी पत्तियों के अवशेष होते हैं, जिनमें बचा हुआ पोषक तत्व इन्हें जिंदा रखता है. यह खुलासा किया है स्कॉटलैंड के अबरदीन यूनिवर्सिटी के बायोलॉजी प्रोफेसर जॉन स्पीकमैन और चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेस के वैज्ञानिकों ने. (फोटोः गेटी)

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जॉन स्पीकमैन ने कहा कि कई खरगोश और पिका ऐसी स्थितियों में जिंदा रहने के लिए अपने ही मल को खा लेते हैं. मल खाने को कोप्रोफैगी (Coprophagy) कहते हैं. ये जीव ऐसा इसलिए करते हैं ताकि जरूरी पोषक तत्वों की कमी को पूरा कर सकें. साथ ही इससे शरीर गर्म रहता है, जो उन्हें भयावह सर्दी से बचाता है. लेकिन अन्य प्रजाति के जीवों में मल खाने की प्रक्रिया बेहद दुर्लभ होती है. (फोटोः गेटी)

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असली पिकाचु यानी पिका छोटे स्तनधारी जीव हैं जो उत्तरी अमेरिका और एशिया में पाए जाते हैं. प्लैट्यू पिका आमतौर पर समुद्र तल से 16,400 फीट की ऊंचाई पर रहते हैं. ये सर्दियों में हाइबरनेट नहीं करते. न ही किसी गर्म स्थान पर जाने का प्रयास करते हैं. इसलिए सर्दियों में ये खुद को जिंदा कैसे रखते थे, यह कई दशकों तक रहस्य बना हुआ था. जिसका खुलासा अब जाकर हुआ है. (फोटोः गेटी)

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इसे स्टडी करने के लिए जॉन स्पीकमैन की टीम ने प्लैट्यू पिका यानी असली पिकाचु पर 13 सालों तक अलग-अलग तकनीकों के जरिए नजर रखी. उनकी फिल्में बनाई गईं. तापमान नापने के यंत्र और सेंसर्स लगाए गए. इतने सालों की स्टडी के बाद यह खुलासा हुआ कि ये याक का मल खाकर खुद को जिंदा और सुरक्षित रखते थे. इस स्टडी को 19 जुलाई को प्रोसीडिंग्स ऑफ नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित किया गया है. (फोटोः गेटी)
 

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अपनी ऊर्जा बचाने के लिए असली पिकाचु अपने शरीर का तापमान गिरा देते हैं. वो ज्यादा काम नहीं करते. सिर्फ याक का मल खोजकर खाने के लिए निकलते हैं. याक का मल खाते हुए इनका वीडियो भी बनाया गया है. तिब्बत के पठारों पर याक बहुतायत में पाए जाते हैं. उनके मल को पिका आसानी से पचा लेता है. क्योंकि वह याक के आहार नाल से पहले ही गुजर चुका होता है. (फोटोः गेटी)

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याक का मल खाने में पिका को कम ऊर्जा लगानी पड़ती है. क्योंकि ये जल्दी पचने वाला होता है. यानी इससे ऊर्जा पूरी मिलती है और मेहनत कम. इससे पिका के शरीर की एनर्जी बची रहती है. साथ मल खाने से गर्मी आती है और शरीर में पानी की कमी भी पूरी होती है. (फोटोः गेटी)

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जॉन स्पीकमैन कहते हैं कि अगर आपको पिका यानी असली पिकाचु खोजना है तो जहां भी आपको याक की संख्या ज्यादा दिखे, समझ जाइए कि इसके आसपास पिकाचु के होने की संभावना ज्यादा है. हालांकि पिकाचु की दो प्रजातियां अक्सर याक के मल को खाने के लिए हाथापाई पर उतर आती हैं. जिससे कई बार पिकाचु बुरी तरह से जख्मी हो जाते हैं. (फोटोः गेटी)

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जॉन ने बताया कि फिलहाल हम यह स्टडी कर रहे हैं कि याक का मल खाने से पिकाचु को असल में और क्या-क्या फायदे होते हैं. हो सकता है कि मल खाने से इनके अंदर कुछ पैरासाइट पनप रहे हों. जो भविष्य में खतरनाक साबित हो सकते हैं. क्योंकि प्लैट्यू पिका वहीं रहते हैं जहां याक होते हैं. याक को इंसान पालता है. ऐसे में भविष्य में बीमारियों से संबंधित खतरे की जांच करनी जरूरी है. (फोटोः गेटी)

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