भूकंप आया. धरती हिली. कई इमारतें ध्वस्त हो गईं. गिर गईं. मलबों के नीचे से कराहने की आवाजें आ रही हैं. कई लोगों के दबे होने की आंशका है. पहले बचावकर्मी आवाज सुनने का प्रयास करते थे. फिर स्निफर डॉग्स की मदद से लोगों को बचाने लगे. लेकिन अब मलबे में दबे जीवित लोगों को खोजना और आसान हो गया है. एक ऐसा यंत्र तैयार किया गया है, जो कई मीटर नीचे मलबे में दबे इंसान की चलती हुई धड़कन को भांप लेता है. (फोटोः Roter)
इस यंत्र का नाम है रेस्क्यू राडार (Rescue Radar). यह यंत्र मलबे के नीचे दबे उन लोगों को खोजने में मदद करता है जो जीवित होते हैं. जिनकी धड़कनें चल रही होती हैं. इसका उपयोग हाल ही में गाजियाबाद में गिरी एक इमारत से लोगों को सुरक्षित निकालने में किया गया था. इसके पहले इसका उपयोग नेपाल भूकंप और भूटान में भी किया जा चुका है. इसे मलबे के ऊपर रख कर जब ऑन किया जाता है तब यह जमीन के नीचे अल्ट्रा-वाइड बैंडविद (UWB) तकनीक की मदद से मूवमेंट और धड़कनों को कैप्चर करता है. (फोटोः Roter)
हैदराबाद में आयोजित GeoSmart India 2021 में रेस्क्यू राडार (Rescue Radar) को प्रदर्शित किया गया था. इसके साथ एक टैबलेट होता है, जो इसे ऑपरेट करने वाले बचावकर्मी को यह बताता है कि कितनी गहराई में कितने लोग दबे हैं. जिन लोगों की धड़कनें चल रही होती हैं, या फिर उनके शरीर में किसी तरह की हरकत हो रही होती है, उन्हें ये तुरंत डिटेक्ट कर लेता है. साथ ही उनकी सही लोकेशन भी बता देता है. इससे बचावकर्मी उस जगह को जल्द से जल्द खाली कराकर लोगों को निकालने का काम करते हैं. (फोटोः Roter)
रेस्क्यू राडार (Rescue Radar) बेहोश और होश में रहने वाले लोगों को भी पहचान करता है. क्योंकि इसकी तकनीक बेहद संवेदनशील है. हल्की सी भी शारीरिक हलचल या धीमी धड़कन या सांस को यह पकड़ लेता है. यह मलबे के नीचे GPR सिग्नल भेजता है. जैसे ही सिग्नल किसी जीवित व्यक्ति से टकराता है, वह तुरंत टैबलेट में यह बता देता है कि दबा हुआ इंसान कितनी नीचे हैं. (फोटोः Roter)
रेस्क्यू राडार (Rescue Radar) के टैबलेट पर मलबे में दबे व्यक्ति की गहराई के साथ एक सिग्नल आने लगता है, जो यह बताता है कि वह व्यक्ति कितना नीचे है. इतना ही नहीं यह रेस्क्यू के दौरान लगातार ऑन रहने पर मलबे में दबे इंसान की धीमी पड़ती धड़कनों के बारे में जानकारी देता है. जिससे बचावकर्मी तेजी से अपना काम निपटा सकते हैं, ताकि बेहोश या होश में मौजूद व्यक्ति को जल्द से जल्द बाहर निकाला जा सके. (फोटोः Roter)
यह राडार तेज आवाज और खराब मौसम में भी काम कर सकता है. अगर वाई-फाई का कनेक्शन टूट भी जाए तब भी यह राडार प्रभावित नहीं होता. नेटवर्क मिलते ही यह तुरंत वापस रीकनेक्ट करता है और मलबे में दबे इंसान की हालत का ब्यौरा देता है. इस राडार को रोटर कंपनी ने बनाया है. (फोटोः Roter)
रेस्क्यू राडार (Rescue Radar) का उपयोग शहरी खोज और बचाव कार्यों, प्राकृतिक आपदाओं, आतंकी हमलों, खनन संबंधी हादसों और ध्वस्त इमारतों के लिए किया जा सकता है. अगर इंसान 2 से 3 मीटर की गहराई में है और वह हलचल कर सकता है तो यह यंत्र काफी तेजी से उसे डिटेक्ट करता है. इसके अलावा ज्यादा गहराई में मौजूद बेहोश व्यक्ति की धड़कनों को पकड़ता है. एक मिनट से भी कम समय में यह बता देता है कि कितने लोग कितनी गहराई में दबे हैं. (फोटोः Roter)