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Russia Ukraine War: रूस ने यूक्रेन पर दागी Hypersonic Missile! पहली बार युद्ध में उतरा यह हथियार

aajtak.in
  • मॉस्को/कीव,
  • 19 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 11:14 PM IST
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रूस यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) में अत्याधुनिक हथियारों का उपयोग हो रहा है. ऐसा कहा जा रहा है कि रूस ने यूक्रेन पर अपने नए हाइपरसोनिक मिसाइल (Hypersonic Missile) से हमला किया है. शुक्रवार को इस मिसाइल का पहली बार दुनिया में किसी युद्ध में उपयोग किया गया है. अगर यह सच है तो दोनों देशों के बीच हथियारों के उपयोग को लेकर चल रही होड़ खतरनाक स्थिति में जा रही है. (फोटोः एपी)

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कहां हुआ हाइपरसोनिक मिसाइल का हमला? (Where Hypersonic Missile Hit)

Bloomberg News के मुताबिक रूस ने जिस हाइपरसोनिक मिसाइल (Hypersonic Missile) से हमला किया है, उसका नाम किंझाल (Kinzhal) है. इसे डैगर (Dagger) यानी खंजर भी बुलाया जाता है. रूस ने इस मिसाइल से दक्षिण-पश्चिम यूक्रेन के एक अंडरग्राउंड वेयरहाउस पर हमला किया. हालांकि रूस की तरफ से इसकी पुष्टि अभी तक नहीं की गई है. (फोटोः रॉयटर्स)

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कब से रूस के पास ये मिसाइल (Russia has Hypersonic Missile from 2018)

रूस के सरकारी मीडिया संस्थान TASS की रिपोर्ट के अनुसार Russia ने अपने हाइपरसोनिक मिसाइल (Hypersonic Missile) का प्रदर्शन पहली बार साल 2018 में किया था. रूस के रक्षा मंत्रालय ने 1941-45 में जीते ग्रेट पैट्रियॉटिक वॉर के 73वें वर्षगांठ पर विक्ट्री डे मिलिट्री परेड में रेड स्क्वायर पर प्रदर्शित किया था. उसने इसे अपने MiG-31K लड़ाकू विमान में तैनात किया है. यह मिसाइल हवा से जमीन पर मार करती है. जिसकी रेंज 2000 किलोमीटर है. (फोटोः गेटी) 

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हाइपरसोनिक मिसाइल क्या होते है? (What is Hypersonic Missile)

हाइपरसोनिक मिसाइल (Hypersonic Missile) वो हथियार होते हैं, जो ध्वनि की गति से पांच गुना ज्यादा गति में चले. यानी कम से कम मैक 5 (Mach 5). साधारण भाषा में इन मिसाइलों की गति 6100 किलोमीटर प्रति घंटा होती है. इनकी गति और दिशा में बदलाव करने की क्षमता इतनी ज्यादा सटीक और ताकतवर होती हैं, कि इन्हें ट्रैक करना और मार गिराना अंसभव होता है. (फोटोः गेटी)

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किन देशों के पास हैं हाइपरसोनिक मिसाइल? (Which Countries have Hypersonic Missile)

हाइपरसोनिक मिसाइल (Hypersonic Missile) अमेरिका, रूस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और चीन के पास हैं. कहा जाता है कि उत्तर कोरिया भी ऐसी मिसाइल विकसित करने में लगा है. जो धरती से अंतरिक्ष या धरती से धरती के दूसरे हिस्से में सटीकता से मार कर सकते हैं. वैसे भारत भी ऐसी मिसाइल को विकसित करने में जुटा हुआ है. लेकिन इसके बारे में अभी शुरुआती प्रयास किए जा रहे हैं. (फोटोः गेटी)

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रूस का हाइपरसोनिक अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (Russian Hypersonic Intercontinental Ballistic Missile)

कहा जाता है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) के निर्देश पर रूसी सरकार हाइपरसोनिक अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (Russian Hypersonic Intercontinental Ballistic Missile) बना चुकी है. जिसका नाम है एवनगार्ड (Avangard) है. यह मिसाइल मैक 20 यानी Mach 20 की गति से चलेगी. मतलब ध्वनि की गति से 20 गुना ज्यादा रफ्तार. यानी 24,696 किलोमीटर प्रतिघंटा की स्पीड से. रूस के पास एवनगार्ड हाइपरसोनिक हथियार है, जिसे ICBM मिसाइल में लगाकर छोड़ा जाता है. रूस ने इस हथियार को अपनी सेना साल 2019 में शामिल कर लिया है. (फोटोः गेटी)

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भारत के पास हाइपरसोनिक हथियार है या नहीं (India Hypersonic Weapons)

भारत हाइपरसोनिक ग्लाइडर हथियार बना रहा है, उसका परीक्षण भी कर चुका है. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने मानव रहित स्क्रैमजेट का हाइपरसोनिक स्पीड फ्लाइट का सफल परीक्षण साल 2020 में किया था. इसे एचएसटीडीवी (हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल- Hypersonic Technology Demonstrator Vehicle) कहते हैं. हाइपरसोनिक स्पीड फ्लाइट के लिए मानव रहित स्क्रैमजेट प्रदर्शन विमान है. जो विमान 6126 से 12251 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़े, उसे हाइपरसोनिक विमान कहते हैं. (फोटोः डीआरडीओ)

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भारत के एचएसटीडीवी (HSTDV) का परीक्षण 20 सेकंड से भी कम समय का था. हालांकि, फिलहाल इसकी गति करीब 7500 किलोमीटर प्रति घंटा थी, लेकिन भविष्य में इसे घटाया या बढ़ाया जा सकता है. इस यान से यात्रा तो की ही जा सकती है, साथ ही दुश्मन पर पलक झपकते ही बम गिराए जा सकते हैं. या फिर इस यान को ही बम के रूप में गिराया जा सकता है. (फोटोः डीआरडीओ) 

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ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक मिसाइल भी हो रही है तैयार (BrahMos-2 Hypersonic Missile)

रूस और भारत मिलकर ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक मिसाइल बना रहे हैं. इसमें वही स्क्रैमजेट इंजन लगाया जाएगा, जो इसे शानदार गति और ग्लाइड करने की क्षमता प्रदान करेगा. इस मिसाइल की रेंज अधिकतम 600 किलोमीटर होगी. लेकिन इसकी गति बहुत ज्यादा होगी. यह मैक-7 यानी 8,575 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से दुश्मन पर धावा बोलेगी. इसे जहाज, पनडुब्बी, विमान या जमीन पर लगाए गए लॉन्चपैड से जागा जा सकेगा. 

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HGV- हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल

भारत का यह पहला हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल होगा. फिलहाल यह कॉन्सेप्ट के स्तर पर है.  उम्मीद जताई जा रही है कि यह मैक-5 यानी करीब 4000 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ेगा. भारत सरकार के साथ एक निजी कंपनी मिलकर इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही है. इसका आधिकारिक नाम HGV-202F रखा गया है. इसके डिजायन की तस्वीर सामने नहीं आई है. 

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चीन विकसित कर रहा है घातक हाइपरसोनिक हथियार (Hypersonic Weapons of China)

हो सकता है कि चीन ने अपने नए हाइपरसोनिक हथियार DF-ZF का परीक्षण हाल ही में किया हो लेकिन उसके बारे में दुनिया को जानकारी न दी हो. यह हथियार 6173 किलोमीटर प्रतिघंटा से लेकर 12,360 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार हासिल करने की क्षमता रखता है. यह ग्लाइडर की तरह है, जो पारंपरिक और परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है. ये हथियार पहले सीधे अंतरिक्ष की ओर जाते हैं, फिर टारगेट के ऊपर पंहुचने से पहले धरती के गुरुत्वाकर्षण की उपयोग करके तेजी से नीचे आते हैं. उसके बाद काफी नीची उड़ान भरते हुए यानी ग्लाइड करते हुए टारगेट पर हमला करते हैं. (फोटोः ग्लोबल टाइम्स/ट्विटर)

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चीन के DF-17 में कम ऊंचाई में उड़ने की क्षमता है. वैसे तो वह बैलिस्टिक मिसाइल है लेकिन वह हाइपरसोनिक हथियार की तरह भी काम कर सकता है, क्योंकि उसका अगला हिस्सा ग्लाइडर की तरह बनाया गया है. उसके अगले हिस्से में विंग्स है, जो उसे कम ऊंचाई पर ग्लाइड करने की ताकत प्रदान करते हैं. यह 1800-2000 किलोमीटर की रेंज में आने वाले टारगेट को बर्बाद कर सकता है. चीन ने दो साल पहले 1 अक्टूबर 2019 को तियानमेन चौराहे पर DF-17 मिसाइल का प्रदर्शन किया. यह चीन की नई अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल है, जो पारंपरिक और परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है. लेकिन इन सबसे अलग जो बात गौर करने लायक है, वो ये कि इसमें हाइरपसोनिक ग्लाइड सिस्टम (Hypersonic Glide System) लगा है. यानी यह मिसाइल समुद्र के ऊपर कम ऊंचाई पर भी तेजी से उड़ सकता है. 

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कितने प्रकार के होते हैं हाइपरसोनिक हथियार? (Types of Hypersonic Weapons)

हाइपरसोनिक हथियार मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं. पहला- ग्लाइड व्हीकल्स यानी हवा में तैरने वाले. दूसरा- क्रूज मिसाइल. अभी दुनिया का फोकस ग्लाइड व्हीकल्स पर है. जिसके पीछे छोटी मिसाइल लगाई जाती है. फिर उसे मिसाइल लॉन्चर से छोड़ा जाता है. एक निश्चित दूरी तय करने के बाद मिसाइल अलग हो जाती है. उसके बाद ग्लाइड व्हीकल्स आसानी से उड़ते हुए टारगेट पर हमला करता है. इन हथियारों में आमतौर पर स्क्रैमजेट इंजन लगा होता है, जो हवा में मौजूद ऑक्सीजन का उपयोग करके तेजी से उड़ता है. इससे उसे एक तय गति और ऊंचाई मिलती है. 

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