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Russia: इस ज्वालामुखी ने गांवों में बना दिया राख का 'कब्रिस्तान', देखिए डरावनी Photos

aajtak.in
  • मॉस्को,
  • 12 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 8:26 AM IST
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रूस का सबसे सक्रिय ज्वालामुखी शिवेलुच (Shiveluch Volcano) 11 मार्च 2023 को फटा. आसमान में 20 किलोमीटर ऊपर तक राख का गुबार गया. इस विस्फोट की वजह से 1.08 लाख वर्ग किलोमीटर तक राख फैल गई. रसियन एकेडमी ऑफ साइंसेस जियोफिजिकल सर्वे ने बताया कि छह घंटे में काफी बड़ा इलाका राख से ढंक गया. (सभी फोटोः एपी/रॉयटर्स)

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ज्वालामुखी से लावा बहकर नीचे की तरफ आया. जिससे बर्फ पिघली. इसकी वजह से गांवों में सड़कों पर गीली मिट्टी बहकर आई. कीचड़ हो गया. इन गांवों में 3.5 इंच राख जमा हो गई. ऐसा 60 साल में पहली बार हुआ है. जब इतनी मोटी राख की परत जमा हुई हो. 
 

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शिवेलुच ज्वालामुखई पूर्वी कामचाटका इलाके में मौजूद है. इसके आसपास के गांव तो पूरी तरह से राख के रंग में रंग गए हैं. साइंटिस्ट डैनिला चेब्रो ने बताया कि यह ज्वालामुखी पिछले साल से फटने का इंतजार कर रहा था. विस्फोट से पहले इसने काफी तैयारी की है. 

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शिवेलुच के फटने से 24 घंटे पहले कामचाटका इलाके में 5.8 तीव्रता का भूकंप आया था. कामचाटका प्रायद्वीप जापान के उत्तर-पूर्व में प्रशांत महासागर के पास स्थित है. इस जगह पर करीब 3 लाख लोग रहते हैं. डैनिला चेब्रो ने कहा कि फिलहाल ज्वालामुखी शांत है. उसमें कोई गतिविधि नहीं हो रही है. उम्मीद है कि अब यह शांत रहेगा. 

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ज्वालामुखी के क्रेटर से जो लावा बह रहा है वो नीचे गांव तक नहीं पहुंचेगा. हल्का-फुल्का विस्फोट अब भी हो रहा है. पिछले साल वैज्ञानिकों ने यह चेतावनी दी थी कि यह ज्वालामुखी 15 सालों से फटा नहीं है. क्योंकि यूरेशियन प्लेट लगातार निचले टेक्टोनिक प्लेटों से टक्कर खा रही है. ये इलाका रिंग ऑफ फायर के पास है.

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कामचाटका प्रायद्वीप 29 एक्टिव ज्वालामुखी है. वैज्ञानिकों ने बताया था कि रिंग ऑफ फायर इलाके में लगाता भूकंप आ रहे हैं. साथ ही चीन और हिमालयी इलाकों में भी. जिसका असर शिवेलुच ज्वालामुखी तक पड़ रहा था. शिवेलुच ज्वालामुखी और उसके आसपास का इलाका पूरी तरह से जंगल और टुंड्रा से भरा हुआ है. 

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कामचाटका प्रायद्वीप में बहुत कम लोग रहते हैं. इसलिए यहां किसी भी ज्वालामुखी के फटने से इंसानों को कोई खतरा नहीं है. सिर्फ शिवेलुच ज्वालामुखी ही नहीं, बल्कि बाकी 29 ज्वालामुखियों के आसपास आबादी नहीं रहती. ये सब सुदूर इलाकों में हैं. 

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डर जिस बात का था आखिरकार वहीं हुआ. शिवेलुच के फटने पर भारी मात्रा में राख, ग्लास और पत्थर आसमान में उछले. जिससे उड़ानें रोक दी गईं. हवाई सेवाएं रोकनी पड़ सकती हैं. शिवेलुच ज्वालामुखी 10,771 फीट ऊंचा है. यह कामचाटका प्रायद्वीप का सबसे एक्टिव ज्वालामुखी है. पिछले 10 हजार साल में 60 बार भयानक विस्फोट कर चुका है.

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NASA के मुताबिक इससे पहले यह ज्वालामुखी साल 2007 में फटा था. गर्म लावा की वजह से रात में यह इलाका नारंगी रंग का चमकता है. यहां दो ज्वालामुखी हैं. एक बड़ा जो 10,771 फीट ऊंचा है. दूसरा छोटा जो 9186 फीट ऊंचा है. इस बार विस्फोट छोटे वाले में हुआ है. 

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