क्या कोरोना वायरस ने सबसे पहले रूस में जन्म लिया था? क्योंकि 133 साल पहले यानी 1889 में रूस में एक फ्लू फैला. जिसे नाम दिया गया था रसियन फ्लू (Russian Flu). यह बीमारी भी सांस और फेफड़ों को संक्रमित करती थी. तभ भी इसने पूरी दुनिया को चपेट में लिया था. कई सालों तक इसकी लहरें आती रहीं. लेकिन अब कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि रसियन फ्लू का कोई न कोई संबंध कोरोना वायरस (Coronavirus) से है. यह SARS-CoV-2 वायरस से मिलता-जुलता है. (फोटोः गेटी)
द न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित खबर के अनुसार रसियन फ्लू (Russian Flu) के समय भी स्कूल, बाजार, ऑफिस, कार्यस्थल बंद कर दिए गए थे. जिन लोगों को इस फ्लू ने बीमार किया था, उन्होंने स्वाद और गंध नहीं आता था. कुछ लोगों में लंबे समय तक अलग-अलग तरह के लक्षण देखे गए. इस बीमारी की वजह से बुजुर्ग लोग बहुत ज्यादा मरे थे. हालांकि यह वायरस इंफ्लूएंजा वायरस की तरह नहीं था कि बच्चों और बूढ़ों दोनों को मार डाले. या गंभीर नुकसान पहुंचाए. (फोटोः गेटी)
रसियन फ्लू (Russian Flu) को लेकर उस समय के सरकारी हेल्थ रिकॉर्ड्स, समाचार पत्र और जर्नल में लिखे गए लेख भी यह बताते हैं कि यह कोरोना वायरस से मिलता-जुलता था. अब समस्या ये है कि क्या रसियन फ्लू का कोई सीधा संबंध Coronavirus से है या नहीं, यह तो जांच का विषय है. न्यूयॉर्क के माउंट सिनाई स्थित इकान स्कूल ऑफ मेडिसिन में फ्लू रिसर्चर और प्रोफेसर पीटर पैलीज ने कहा कि वह भी एक संक्रामक महामारी थी. कोरोना भी वही है. लेकिन फिलहाल दोनों में किसी तरह का संबंध स्थापित नहीं किया जा सका है. (फोटोः गेटी)
पीटर पैलीज ने यह माना कि कुछ एक्सपर्ट इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते कि रसियन फ्लू (Russian Flu) और कोरोना वायरस एक ही है. या इनमें कोई संबंध है. लेकिन यह जांच का विषय है. अगर जांच हो तो साफ-साफ पता चल जाएगा. क्योंकि पुराने दस्तावेजों में रसियन फ्लू (Russian Flu) के जो लक्षण लिखे हैं, वो कोरोना से बहुत मिलते हैं. उस समय के अखबारों में जो लॉकडाउन जैसी प्रक्रिया का जिक्र है, वह भी हमारे कोरोना लॉकडाउन से मिलता है. (फोटोः गेटी)
इस समय रसियन फ्लू (Russian Flu) और कोरोना वायरस के बीच के संबंधों की जांच डॉ. जेफरी टाउबेनबर्गर और जॉन ऑक्सफोर्ड कर रहे हैं. डॉ. जेफरी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीस के पैथोजेनेसिस और इवोल्यूशन सेक्शन के प्रमुख हैं. जॉन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन स्थित वायरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर हैं. ये दोनों मिलकर इन दोनों महामारियों के बीच का संबंधों के सबूत खोज रहे हैं. (फोटोः गेटी)
दोनों साल 1918 में आए फ्लू महामारी से पहले से जमा किए गए फेफड़ों के ऊतकों की जांच कर रहे हैं. ताकि उस समय के इंफ्लूएंजा और कोरोना वायरस के अंश का पता चल सके. उन्हें उम्मीद है कि इन ऊतकों की जांच करते समय उन्हें New Coronavirus Variant या रसियन फ्लू (Russian Flu) के बारे में पता चलेगा. (फोटोः गेटी)
हॉर्वर्ड मेडिकल स्कूल में ग्लोबल हेल्थ एंड सोशल मेडिसिन के प्रोफसर डॉ. स्कॉट पोडोल्स्की और हार्वर्ड स्थित वॉरेन एनाटॉमिकल म्यूजियम के क्यूरेटर डॉमिनिक डब्ल्यू. हॉल ने कहा कि वो भी रसियन फ्लू (Russian Flu) और कोरोना वायरस जैसी बीमारियों का आपस में रिश्ता खोज रहे हैं. वो भी रसियन फ्लू के समय के ऊतकों की जांच कर रहे हैं. जब भी कोई महामारी आती है तो फेफड़ों के ऊतकों को दुनिया की अलग-अलग प्रयोगशालाओं में सुरक्षित रखा जाता है, ताकि भविष्य में उनका अध्ययन किया जा सके. (फोटोः गेटी)
रसियन फ्लू (Russian Flu) का जेनेटिक मटेरियल अलग किसी नए फेफड़ों में डालकर जांच किया जाए तो यह पता चल सकता है कि यह संक्रामक बीमारी कैसे खत्म हुई थी. इससे कोरोना वायरस को खत्म करने में मदद मिल सकती है. साथ ही यह भी पता चल जाएगा कि कहीं रसियन फ्लू 19वीं सदी की कोरोना वायरस महामारी तो नहीं थी. क्योंकि कुछ वैज्ञानिकों का अब भी यह मानना है कि रसियन फ्लू (Russian Flu) साधारण सर्दी पैदा करने वाले चार कोरोना वायरस के साथ मौजूद है. (फोटोः गेटी)