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साइंस न्यूज़

आकाशगंगा में रहने के लिए वैज्ञानिकों ने खोजा 'सबसे सुरक्षित स्थान'

aajtak.in
  • रोम,
  • 31 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 9:13 AM IST
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अंतरिक्ष विज्ञानियों ने काफी रिसर्च के बाद आकाशगंगा में रहने के लिए सबसे सुरक्षित स्थान खोज लिया है. इसके लिए वैज्ञानिकों को पूरे आकाशगंगा की जांच करनी पड़ी. हैरानी की बात ये है कि हम इंसान जिस ग्रह पर रह रहे हैं, वो काफी ज्यादा सुरक्षित स्थान पर हैं. लेकिन अगर आप पिछले साल की कोरोना महामारी से ऊब कर किसी और ग्रह पर जाने की योजना बना रहे हैं तो यकीन मानिए आपके लिए आकाशगंगा का केंद्र सबसे ज्यादा सुरक्षित स्थान होगा. (फोटोःगेटी)

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इटली के इनसुब्रिया यूनिवर्सिटी (Insubria University) के अंतरिक्ष विज्ञानियों की टीम ने इस स्टडी को किया है. इस टीम के प्रमुख और एस्ट्रोनॉमर रिकॉर्डो स्पिनेली ने कहा कि अंतरिक्ष में हुए विस्फोट (Cosmic Explosion) की वजह से कई जीवों का अंत हो चुका है. अंतरिक्ष के विस्फोट यानी सुपरनोवा, गामा-किरणों का फूटना, उच्च-ऊर्जा वाले कणों का फैलना और रेडिएशन DNA को फाड़ सकते हैं, ये जीवन को खत्म कर सकते हैं. (फोटोःगेटी)

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इन खतरों से सुरक्षित स्थान को खोजना आसान नहीं था. आकाशगंगा में कई ऐसी जगहें हैं जो ऐसे खतरों से भरी पड़ी हैं. रिकॉर्डो कहते हैं कि ताकतवर कॉस्मिक एक्सप्लोशन को अनदेखा नहीं कर सकते. ये जीवन के अस्तित्व के लिए खतरा है. इन विस्फोटों की वजह से गैलेक्सी में जीवन का विकास बाधित हुआ है. (फोटोःगेटी)

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रिकॉर्डो और उनकी टीम ने सबसे दो चीजें खोजी. सबसे खतरनाक और सबसे सुरक्षित स्थान. इसके लिए इन लोगों ने आकाशगंगा के 11 बिलियन साल पुराना इतिहास खंगाला. जिससे पता चला कि हम अभी आकाशगंगा में जहां रह रहे हैं वो सबसे सुरक्षित बेल्ट में आती है. जबकि करोड़ों साल पहले आकाशगंगा के निर्माण के समय इसका सबसे सुरक्षित स्थान इसका आखिरी छोर थे. (फोटोःगेटी)

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किसी ग्रह को रहने योग्य बनने के लिए जरूरी है वहां पर उसके तारे के साथ सामंजस्य हो. यानी सूरज से धरती को पर्याप्त गर्मी मिले. न कम न ज्यादा. इसके अलावा अंतरिक्ष से आने वाली मुसीबतों से ग्रह दूर रहे. जैसे- रेडिएशन, सुपरनोवा, गामा किरणों का बहाव, उच्च ऊर्जा वाले कण और सौर तूफान. इन सारे खतरों से फिलहाल धरती सुरक्षित है. इसलिए ऐसा कहा जा सकता है कि हम आकाशगंगा के सबसे सुरक्षित स्थानों में से एक में रह रहे हैं. (फोटोःगेटी)

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सुपरनोवा, गामा किरणों का विस्फोट, खतरनाक स्ट्रीम्स, उच्च-ऊर्जा वाले कण ये सारे प्रकाश की गति से बहते हैं. अगर इनके सामने किसी भी प्रकार का जीवन आता है तो ये उसे नष्ट कर देते हैं. इतना ही नहीं ऐसे ग्रहों को भी खत्म कर सकते हैं जिनपर जीवन है या वो निर्जीव ग्रह हैं. इसलिए वैज्ञानिकों को लगता है कि हमारे सौर मंडल में बाकी ग्रहों पर भी जीवन रहा होगा लेकिन वो इन्हीं वजहों से खत्म हो गया हो. (फोटोःगेटी)

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रिकॉर्डो कहते हैं कि अंतरिक्षीय विस्फोट के आसपास के ग्रहों पर तो जीवन का पूरा सफाया हो गया होगा. 45 करोड़ साल पहले ओर्डोविसियिन (Ordovician) नाम का एक ग्रह था, जिसे दूसरी धरती कहा जाता था. इस पर मास एक्सटिंक्शन (Ordovician Mass Extinction) यानी सामूहिक विनाश होने की वजह आसपास हुआ गामा-किरणों का विस्फोट रहा होगा. अब आकाशगंगा में इसके बचे हुए हिस्से ही मिलते हैं. धरती बच गई क्योंकि इसकी दूरी और सौरमंडल का प्रभाव इसे बचा ले गया. (फोटोःगेटी)

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वैज्ञानिकों ने जानलेवा रेडिएशन को लेकर भी मॉडल्स और नक्शे बनाए. पता चला कि शुरुआत में गैलेक्सी का अंदर वाला हिस्सा, जो कि 33 हजार प्रकाशवर्ष बड़ा था, वह रहने योग्य नहीं था. क्योंकि यहां पर ऐसे तारे थे जिनका रेडिएशन बेहद खतरनाक था. यहां विभिन्न प्रकार के विस्फोट होते रहते थे. लेकिन आकाशगंगा का बाहरी इलाका सुरक्षित था. (फोटोःगेटी)

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600 करोड़ साल पहले हमारी आकाशगंगा का स्टर्लाइजेशन (Sterilization) यानी सफाई हो रही थी. जैसे-जैसे गैलेक्सी की उम्र होती चली गई, विस्फोट होने कम हो गए. आज की तारीख में आकाशगंगा के अंदर घेरा है जो इसके केंद्र से 6500 प्रकाशवर्ष की दूरी पर है. जबकि 600 करोड़ साल पहले ये घेरा 26 हजार प्रकाश वर्ष की दूरी पर था. आज भी 6500 प्रकाशवर्ष से लेकर 26 हजार प्रकाशवर्ष के बीच की दूरी आकाशगंगा में रहने के हिसाब से सबसे सुरक्षित है. (फोटोःगेटी)

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आकाशगंगा के केंद्र में सुपरनोवा और अन्य अंतरिक्षीय गतिविधियां होती रहती हैं. लेकिन बाहरी छोर पर ये कम हैं. अगर भविष्य की बात करें तो हमारी आकाशगंगा अब जीवन को पनपने का माहौल बना रही है. अब ऐसी घटनाएं नहीं हो रही हैं, जिससे पूरे के पूरे ग्रह खत्म हो जाएं. या उनपर बसा जीवन नष्ट हो जाए. (फोटोःगेटी)

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