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प्राकृतिक अजूबाः बीमार पक्षी को सिर्फ देखते ही एक्टिव हो जाता है इस चिड़िया का इम्यून सिस्टम

aajtak.in
  • न्यूयॉर्क,
  • 14 जून 2021,
  • अपडेटेड 6:10 PM IST
Canaries Birds Immunity
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आपको जब दवा या वैक्सीन दी जाती है तब आपके शरीर में किसी बीमारी के लिए इम्यून सिस्टम काम करता है. या फिर थोड़ी बहुत लड़ाई प्राकृतिक इम्यूनिटी से होती है. लेकिन एक पक्षी ऐसा है जो अपने आसपास किसी पक्षी को सिर्फ बीमार देखता है तो उसके शरीर की इम्यूनिटी सक्रिय हो जाती है. ये एक प्राकृतिक अजूबे से कम नहीं है कि किसी को बीमार देखकर शरीर की इम्यूनिटी एक्टिव हो जाए. यानी शरीर के अंदर उस बीमारी से लड़ने की क्षमता खुद-ब-खुद सक्रिय हो जाए. इस पक्षी के साथ ऐसा ही है. (फोटोःगेटी)

Canaries Birds Immunity
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इस पक्षी का नाम है कैनेरीज (Canaries). पीले और नारंगी रंग के ये खूबसूरत पक्षी जब भी अपने आसपास किसी बीमार पक्षी को देखते हैं तो इनके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता खुद-ब-खुद उस बीमारी के लिए सक्रिय हो जाती है. वह भी सिर्फ देखने भर से. सोचिए अगर ऐसा इंसानों के साथ हो तो कोई भी बीमारी या महामारी इंसानों की जान बचा सकता है. 9 जून को बायोलॉजी लेटर्स नाम की साइट पर यह रिपोर्ट प्रकाशित हुई है. (फोटोःगेटी)

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स्टॉर्स स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कनेक्टीकट की डिजीस इकोलॉजिस्ट एश्ले लव कहती हैं कि यह अद्भुत नजारा है. हैरान कर देने वाली प्रक्रिया है कि कोई पक्षी किसी बीमार पक्षी को देखकर खुद का इम्यून सिस्टम उस बीमारी के लिए तैयार कर ले. हालांकि अब तक यह नहीं पता चल पाया है कि कैनेरीज पक्षी में बीमार चिड़िया को देखकर एक्टिव होने वाली इम्यूनिटी उसे बीमारी से कैसे और कितना बचाती है. लेकिन इम्यूनिटी का एक्टिव होना देखा गया है. कुछ पुरानी स्टडीज ये बताती है कि संभावित बीमारी के खतरे को देखकर इन पक्षियों के इम्यून सेल्स यानी प्रतिरोधक कोशिकाएं सक्रिय हो जाती हैं. (फोटोःगेटी)

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एश्ले लव कहती हैं कि इंसानों पर हुए एक एक्सपेरीमेंट से यह पता चलता है कि सिर्फ किसी बीमार शख्स की फोटो देखने से शरीर में इन्फ्लेमेशन स्टिमुलेटिंग केमिकल्स साइटोकाइन्स (Cytokines) सक्रिय हो जाते हैं. शरीर में इनकी गतिविधियां बढ़ जाती हैं. लेकिन आज तक यह नहीं पता चल पाया कि सिर्फ देखने भर से किसी शख्स की इम्यूनिटी कैसे संभावित खतरे के लिए तैयार हो जाती है. यानी उसके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता किस तरह से सक्रिय होती है. (फोटोःगेटी)

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एश्ले कहती हैं कि जंगली जीवों में होने वाली बहुत सी बीमारियों के सामान्य से लक्षण होते हैं. जैसे ही ये लक्षण इन पक्षियों को दिखते हैं ये खुद को प्रतिरोधक क्षमता के साथ तैयार कर लेते हैं, ताकि उन्हें संक्रमण न हो. अगर उनके शरीर में बीमारी घुसपैठ करने की कोशिश करे तो उनकी इम्यूनिटी उन्हें उस बीमारी से बचा सके. या फिर संक्रमित ही न होने दे. इसे जांचने के लिए एश्ले लव और उनके साथियों ने 10 कैनरीज (Serinus Canaria Domestica) को माइकोप्लाज्मा गैलीसेप्टीकम (Mycoplasma Gallisepticum - MG) नाम के एक सामान्य बैक्टीरिया से संक्रमित कराती हैं. (फोटोःगेटी)

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MG बैक्टीरिया से कंजक्टिवाइटिस होती है और पक्षियों में आलस आ जाता है. बीमार पक्षी थोड़ा सा मोटे हो जाते हैं. इन 10 कैनरीज में से एक कैनरी को संक्रमित किया जाता है. उसे बाकी 9 कैनरी पक्षियों से एक पारदर्शी परदे से अलग रखा जाता है लेकिन सारे एक ही कमरे में रहते हैं. एक महीने के दौरान एश्ले लव और उनकी टीम सभी पक्षियों के खून का सैंपल लेते हैं. उनके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता की जांच करते हैं. साथ ही यह भी पता करते हैं कि जो पक्षी MG से संक्रमित किया गया था, उसकी हालत कैसी है. (फोटोःगेटी)

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एश्ले लव की टीम को हैरान कर देने वाले नतीजे देखने को मिलते हैं. एक बीमार पक्षी को देखकर बाकी के 9 कैनरीज पक्षियों के शरीर में इम्यूनिटी बढ़ जाती है. बीमारी के घुसपैठ की आशंका को भांपते हुए इन कैनरीज पक्षियों के शरीर में CH50 नाम की प्रक्रिया होती है. इन 9 पक्षियों के शरीर में सफेद रक्त कोशिकाओं (White Blood Cells) की मात्रा बढ़ जाती है. हालांकि इनके शरीर में साइटोकाइन्स की मात्रा में ज्यादा अंतर नहीं आता. खून की जांच में पता चलता है कि 9 स्वस्थ कैनरीज के शरीर में MG बैक्टीरिया नहीं मिलता. क्योंकि इन कैनरीज ने बीमार पक्षी को देखकर अपने शरीर में प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा लिया होता है. (फोटोःगेटी)

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एश्ले कहती हैं कि स्वस्थ पक्षी बीमार पक्षी की गंध और आवाज से भी यह समझ जाती है कि उसे किस तरह की दिक्कत या बीमारी है. लेकिन सिर्फ इतने से ही काम नहीं चलता, स्वस्थ कैनरीज पहले देखती हैं. फिर गंध और आवाज को समझती हैं. देखने से ही उनके शरीर में इम्यून सिस्टम तेजी से काम करना शुरु कर देता है. गंध और आवाज से इम्यूनिटी का लेवल ज्यादा बढ़ जाता है. ब्लैक्सबर्ग स्थित वर्जिनिया टेक की डिजीस इकोलॉजिस्ट डाना हॉले कहती हैं कि एश्ले की स्टडी काफी शानदार है. कई जानवर ऐसे हैं जो बीमार जीवों से सोशल डिस्टेंसिंग कर लेते हैं. (फोटोःगेटी)

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डाना हॉले बताती हैं कि उदाहरण के तौर पर लॉबस्टर को ले लीजिए. लॉबस्टर को जैसे ही पता चलता है कि उसके घर में या आसपास कोई बीमार लॉबस्टर है तो वह तुरंत उस जगह को छोड़ देता है. या बीमार लॉबस्टर को जगह छोड़ने के लिए मजबूर कर देता है. इससे बीमार लॉबस्टर अपने समाज से दूर हो जाता है. इस तरह से सभी लॉबस्टर को बीमारी संक्रमित नहीं करती. लेकिन सोशल डिस्टेसिंग की कई बार भारी कीमत भी चुकानी पड़ती है. खासतौर से उन जीवों को ज्यादा सामाजिक होते हैं.  (फोटोःगेटी)

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डाना हॉले कहती हैं कि सामाजिक जीव जैसे मधुमक्खियां अक्सर सोशल डिस्टेंसिंग के नियम नहीं मान पाती. जिसकी वजह से उनकी कॉलोनियों में बीमारियां तेजी से फैलती हैं. लेकिन कैनरीज पक्षी ऐसे होते हैं कि वो जैसे ही अपने आसपास बीमार पक्षी को देखते हैं, उनके शरीर का इम्यून सिस्टम तेजी से सक्रिय हो जाता है. फिर ये बीमार पक्षी से दूर रहते हैं या फिर उसे अपने आसपास आने से रोकते हैं. अगर बीमार पक्षी आ भी जाए तो ये उसे छोड़कर अलग चले जाते हैं. (फोटोःगेटी)

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