अमेरिका में इस समय ट्रांसफ्यूजन के लिए खून की भारी कमी हो रही है. इसकी वजह कोविड-19 है. इससे नुकसान भी कोविड-19 के मरीजों को हो रहा है. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अमेरिकी रेड क्रॉस ने अपने बयान में यह खुलासा किया है कि देश में खून की गंभीर कमी हो गई है. रेड क्रॉस अमेरिका में 40 फीसदी खून की सप्लाई करता हैं. (फोटोःगेटी)
बोस्टन ग्लोब के अनुसार रेड क्रॉस के पास हमेशा पांच दिनों तक खून की सप्लाई के लिए बैकअप रहता है. लेकिन पिछले हफ्ते यहां रक्तदान की प्रक्रिया को विराम लग गया है. अचानक से O Blood Group की कमी हो गई है. अब रेड क्रॉस के पास इस ब्लड ग्रुप का आधा दिन का स्टॉक ही बचा है. जबकि इस ओ-ब्लडग्रुप की मांग सबसे ज्यादा होती है. (फोटोःगेटी)
खून की इस कमी की रिपोर्ट्स पूरे अमेरिका से आ रही हैं. एबीसी न्यूज के मुताबिक अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ ब्लड बैंक्स की चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ. क्लाउडिया कॉन ने बताया कि वर्तमान स्थिति ऐसी है कि खून की सप्लाई रुक गई है. यह अत्यधिक गंभीर चिंता का विषय है. मैंने अपने करियर में ऐसा पहली बार देखा है. देश के ज्यादातर ब्लड बैंक्स के पास एक दिन या उससे कम समय के लिए ब्लड का स्टॉक है. जबकि, आमदिनों में ऐसा नहीं होता. (फोटोःगेटी)
खून की कमी के पीछे कई वजह बताए जा रहे हैं. आमतौर पर गर्मियों में अमेरिका में खून की कमी महसूस की जाती है. क्योंकि लोग छुट्टियां मनाने चले जाते हैं. स्कूल जहां पर अक्सर बल्ड डोनेशन कैंप लगते हैं वो बंद होते हैं. लेकिन कोरोना महामारी ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है. बहुत कम लोग रक्तदान के लिए खुद से आगे आ रहे हैं. कई ब्लड डोनेशन सेंटर्स पर स्टाफ की कमी है. (फोटोःगेटी)
अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ी हुई है. सर्जरी के लिए खून की मांग भी ज्यादा है. इस बीच कोरोना के मरीजों को भी जरूरत पड़ने से खून की मांग बढ़ गई है. रेड क्रॉस बायोमेडिकल सर्विसेज के प्रेसीडेंट क्रिस राउडा ने बताया कि कुछ अस्पतालों ने सर्जरी कम कर दी हैं. वो सर्जरी करने से बच रहे हैं. सिर्फ अत्यधिक गंभीर स्थिति में ही ऑपरेशन किए जा रहे हैं. (फोटोःगेटी)
रेड क्रॉस के मुताबिक इसके अलावा अमेरिका में ब्लड ट्रांसफ्यूजन की मांग भी साल 2019 की तुलना में ज्यादा हो गई है. क्योंकि ट्रॉमा के मामले ज्यादा आ रहे हैं. कोरोना काल में ट्रॉमा मरीजों की संख्या में 10 फीसदी का इजाफा हुआ है. अगर इसी तरह से खून की कमी रही तो अस्पतालों को सर्जरी करने के लिए मरीजों का चयन करना होगा. यानी जिसकी सर्जरी बेहद जरूरी होगी, सिर्फ उसी का ऑपरेशन किया जाएगा. (फोटोःगेटी)
इसका मतलब ये है कि अमेरिका में इस समय उन सभी मरीजों को खून नहीं मिल सकता, जिन्हें इसकी जरूरत है. डॉक्टरों और अस्पतालों को बेहद गंभीर मामलों वाले या इमरजेंसी ऑपरेशन के लिए ही खून का इस्तेमाल करना होगा. यानी कई मरीजों को बिना खून के इलाज की लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ रहा है. (फोटोःगेटी)