रूस के सुदूर उत्तर-पूर्वी इलाके में एक बड़ा ज्वालामुखी है. जिसका नाम शिवेलुच ज्वालामुखी (Shiveluch Volcano) है. यह कामचाटका प्रायद्वीप (Kamchatka Peninsula) पर मौजूद है. इस प्रायद्वीप पर 29 एक्टिव ज्वालामुखी है. यह इलाका रिंग ऑफ फायर (Ring of Fire) ने करीब है. (फोटोः एपी)
रिंग ऑफ फायर में लगातार भूकंप आ रहे हैं. चीन और हिमालयी बेल्ट में भी लगातार भूकंप आ रहे हैं. इनकी वजह से यह ज्वालामुखी किसी भी वक्त फट सकता है. फिलहाल ये 15 साल से शांत था. शिवेलुच ज्वालामुखी और उसके आसपास का इलाका पूरी तरह से जंगल और टुंड्रा से भरा हुआ है. (फोटोः गेटी)
कामचाटका प्रायद्वीप में बहुत कम लोग रहते हैं. इसलिए यहां किसी भी ज्वालामुखी के फटने से इंसानों को कोई खतरा नहीं है. सिर्फ शिवेलुच ज्वालामुखी ही नहीं, बल्कि बाकी 29 ज्वालामुखियों के आसपास आबादी नहीं रहती. ये सब सुदूर इलाकों में हैं. (फोटोः गेटी)
डर इस बात का है अगर यह फटा तो भारी मात्रा में राख, ग्लास और पत्थर आसमान में उगलेगा. जिसकी वजह से उड़ानों को दिक्कत होगी. हवाई सेवाएं रोकनी पड़ सकती हैं. USGS के मुताबिक कामचाटका इलाके में अक्सर ऐसे ज्वालामुखी फटते हैं, जो भूकंपों से प्रभावित होते हैं. उनकी वजह से हवाई रूट को बदलना पड़ता है. (फोटोः गेटी)
शिवेलुच ज्वालामुखी 10,771 फीट ऊंचा है. यह कामचाटका प्रायद्वीप का सबसे एक्टिव ज्वालामुखी है. पिछले 10 हजार साल में 60 बार भयानक विस्फोट कर चुका है. कामचाटका वॉल्कैनिक इरप्टशन रेस्पॉन्स टीम (KVERT) ने कहा है कि यह सोमवार से बहुत ज्यादा सक्रिय हो गया है. (फोटोः गेटी)
शिवेलुच ज्वालामुखी के अंदर लावा का गुंबद तेजी से बढ़ रहा है. इसके क्रेटर से लगातार बहुत ज्यादा भाप और गैस निकल रही है. हल्के-फुल्के विस्फोट भी हो रहे हैं. जिनकी संख्या बढ़ी हुई है. साथ ही गर्म लावा ऊपर से नीचे की ओर आ रहा है. (फोटोः गेटी)
लावा के गर्म गंबुदों से सल्फर गैस निकल रही है. KVERT के एक्सपर्ट्स ने कहा है कि फिलहाल हमने ऑरेंज (Orange) लेवल का खतरा घोषित किया है. यानी यह किसी भी समय फट सकता है. NASA के मुताबिक इससे पहले यह ज्वालामुखी साल 2007 में फटा था. रसियन एकेडमी ऑफ साइंसेस में इंस्टीट्यूट ऑफ वॉल्कैनोलॉजी एंड सीस्मोलॉजी के डायरेक्टर एलेक्सी ओजरोव ने कहा कि फिलहाल इसका लावा गुंबद बेहद गर्म है. (फोटोः गेटी)
एलेक्सी ने कहा कि गर्म लावा की वजह से रात में यह इलाका नारंगी रंग का चमकता है. ऊपर से 1000 डिग्री सेल्सियस के स्तर पर गर्म लावा बहकर नीचे की ओर आ रहे हैं. पाइरोक्लास्टिक विस्फोट हो रहे हैं. यह किसी भी बड़े ज्वालामुखी विस्फोट के पहले की स्थिति होती है. (फोटोः विकिपीडिया)