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सिक्किम जैसी आपदा लाने वाली 56 झीलें हैं देश में, अगले साल से लगेंगे अर्ली वॉर्निंग सिस्टम

आजतक साइंस डेस्क
  • नई दिल्ली,
  • 18 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 11:00 AM IST
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सिक्किम में आई बाढ़ से जो नुकसान हुआ वह भयावह था. इसलिए केंद्र सरकार ने फैसला लिया है कि अगले साल से देश के सभी खतरनाक और हाई रिस्क ग्लेशियल लेक (High-Risk Glacial Lakes) पर अर्ली वॉर्निंग सिस्टम लगाए जाएंगे. ताकि इन ग्लेशियर से बनी झीलों पर बारीक नजर रखी जा सके. (फोटोः एपी)

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सिक्किम में आए फ्लैश फ्लड की वजह से 60 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लापता हो गए. भारत में इस समय 56 हाई रिस्क ग्लेशियल लेक्स हैं. सिक्किम में आई आपदा का असर काफी बड़े पैमाने पर देखने को मिला. भारत ने सिक्किम आपदा की जिम्मेदार साउथ ल्होनक लेक पर भी अर्ली वॉर्निंग सिस्टम लगाया था. लेकिन वह काम नहीं कर पाया. (फोटोः PTI)

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इसके अलावा एक और झील पर यह सिस्टम ट्रायल बेसिस पर लगाया गया है. नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (NDMA) के सदस्य कृष्णा एस वत्स ने बताया कि हम देश के सभी हाई-रिस्क ग्लेशियल लेक्स पर ऐसे अर्ली वॉर्निंग सिस्टम लगाने की तैयारी कर रहे हैं. NDMA ही देसी और विदेशी संस्थाओं के साथ कॉर्डिनेट कर रही है. (फोटोः गेटी)

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वत्स ने बताया कि राज्यों से उनके ग्लेशियल लेक्स की रिपोर्ट मांगी गई थी. सबकी रिपोर्ट्स आने के बाद 56 हाई-रिस्क ग्लेशियल लेक्स को चुना गया. इन ग्लेशियल लेक्स से किसी भी समय आपदा आ सकती है. क्योंकि इनकी दीवारें कमजोर हैं. अगर इन पर लैंडस्लाइड हुआ या ज्यादा बर्फबारी या बारिश हुई तो ये टूट सकती हैं. (फोटो-गेटी)

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वत्स ने बताया कि हाई-रिस्क ग्लेशियल लेक्स पर मॉनिटरिंग सिस्टम लगाना इतना आसान नहीं है, जितना कहने में लगता है. ये झीलें बेहद कठिन मार्गों पर स्थित है. हिमालय की खतरनाक ऊंचाई पर मौजूद. यहां तक सिर्फ गर्मियों में ही जा सकते हैं. वहां मानवरहित मॉनिटरिंग सिस्टम लगाना इतना आसान काम नहीं है. वो भी सौर ऊर्जा या बैटरी से चलने वाले. (फोटोः पिक्साबे)

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लगातार बदल रहे क्लाइमेट की वजह से ऊंचे हिमालयी पहाड़ों पर बदलाव आ रहा है. ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड्स (GLOFs) का खतरा बढ़ता जा रहा है. इन झीलों में ग्लेशियर से पिघलने की वजह से पानी जमा होता है. जब ये टूटकर नीचे की तरफ आते हैं, तब भयानक तबाही होती है. (फोटोः रॉयटर्स)

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हिमालय वाले देश यानी भारत, पाकिस्तान, चीन, नेपाल और भूटान में 200 से ज्यादा ग्लेशियल लेक्स हैं, जो इस तरह की आपदा ला सकते हैं. भारत अपने अन्य साथी देशों की तुलना में ग्लेशियल फ्लड अर्ली वॉर्निंग सिस्टम लगाने में पीछे है. 18 सितंबर 2023 को कई मंत्रालयों के अधिकारी और मंत्री मिलकर इस समस्या पर चर्चा करने वाले हैं. (फोटोः सिक्किम सरकार/साइंस एंड टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट)

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