अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (International Space Station) पर धुएं का अलार्म बजने से स्पेस स्टेशन और धरती पर मौजूद वैज्ञानिकों की हालत खराब हो गई. यह घटना गुरुवार की है. जब स्पेस स्टेशन के रूसी मॉड्यूल में प्लास्टिक के जलने जैसी गंध आ रही थी. ये गंध वहां मौजूद कुछ एस्ट्रोनॉट्स ने सूंघी. इसके बाद पूरे स्पेस स्टेशन पर अलर्ट जारी कर दिया गया. कुछ दिन पहले भी रूसी मॉड्यूल में ही दरारें मिलने की खबर भी आई थी. अब सवाल ये उठता है कि क्या रूसी मॉड्यूल पुराना हो चुका है. या फिर अब रूस को स्पेस स्टेशन की सुरक्षा के लिए उसे बदलकर नया मॉड्यूल लगाना चाहिए. (फोटोः NASA)
हुआ यूं कि गुरुवार को रूसी मॉड्यूल ज्वेज्दा (Zvezda) में प्लास्टिक के जलने जैसी बू आ रही थी. इस मॉड्यूल में एस्ट्रोनॉट्स के रहने के क्वार्टर्स हैं. स्पेस स्टेशन और उसके हिस्से काफी पुराने हो चुके हैं. उसके हार्डवेयर और तकनीकी प्रणालियां भी पुराने जमाने की हैं, जिस वजह से अब ऐसी दिक्कतें आनी शुरू हो चुकी हैं. इनमें हवा लीक होना, इंजन का मिसफायर होना या फिर दरारें दिखना शामिल हैं. (फोटोः गेटी)
रूसी स्पेस एजेंसी रॉसकॉसमॉस (Roscosmos) ने कहा कि जांच हो गई है, जहां से धुएं की उत्पत्ति हुई थी, उस जगह को ठीक कर दिया गया है. धुआं तब निकला था जब स्टेशन की बैट्री को रीचार्ज किया जा रहा था. अब स्पेस स्टेशन के क्रू अपनी रूटीन लाइफ का मजा ले रहे हैं. जहां पर धुआं निकला वह जगह स्पेस स्टेशन के अमेरिकी सेगमेंट का रूसी सेक्शन है. नासा ने भी धुआं निकलने की वजह को खत्म करने की पुष्टि की है. (फोटोः गेटी)
रूसी अधिकारी व्लादिमीर सोलोवयोव ने एक सितंबर 2021 को ही मीडिया से कहा था कि स्पेस स्टेशन किसी दिन भयानक हादसे से गुजरेगा. वह बेहद पुराना हो चुका है. उसके यंत्र पुराने जमाने के हैं. हार्डवेयर खराब हो रहे हैं. रूसी सेगमेंटच का 80 फीसदी हिस्सा एक्सपायरी डेट को पार कर चुका है. इसके पहले भी रूसी एस्ट्रोनॉट्स ने जार्या कार्गो सेक्शन में दरारें देखीं थी. (फोटोः गेटी)
अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन को 1998 में रूस, अमेरिका, कनाडा, जापान और कुछ यूरोपीय देशों ने मिलकर बनाया था. इसकी उम्र 15 साल तय थी. लेकिन यह अब तक काम कर रहा है. रूसी स्पेस एजेंसी ने कहा कि स्पेस स्टेशन 2030 तक टिक नहीं पाएगा. यह अंतरिक्ष में इंसानी लापरवाही की सबसे बड़ी त्रासदी साबित हो सकती है. (फोटोः गेटी)
जुलाई में नौका मॉड्यूल (Nauka Module) के जेट इंजन बिना किसी सूचना के अपने आप ऑन हो गए थे. जिसकी वजह से स्पेस स्टेशन का संतुलन बिगड़ गया था. इस साल अप्रैल में रूस ने इस बात की घोषणा की थी कि वह अपना खुद का स्पेस स्टेशन 2030 तक बना लेगा. उधर, चीन भी अपने स्पेस स्टेशन को बनाने की तैयारी में जुटा हुआ है. इस समय अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर सात एस्ट्रोनॉट्स मौजूद हैं- दो रूस से, तीन अमेरिका से और एक-एक फ्रांस और जापान से. (फोटोः गेटी)
आपको बतां दे 10 दिन पहले स्पेस स्टेशन के रूसी जार्या कार्गो सेक्शन में भी एस्ट्रोनॉट्स ने अपने स्पेसवॉक के समय दरारें देखी थीं. जार्या कार्गो सेक्शन स्पेस स्टेशन का सबसे पहला हिस्सा है जो अंतरिक्ष में भेजा गया था. इसे अंतरिक्ष में 20 नवंबर 1998 में कक्षा में स्थापित किया गया था. इसके बाद स्पेस स्टेशन के बाकी हिस्से जुड़ते चले गए. इस सेक्शन को स्पेस स्टेशन का फंक्शनल कार्गो ब्लॉक कहा जाता है. (फोटोः गेटी)
व्लादिमीर सोलोवयोव ने 30 अगस्त 2021 को भी कहा था कि चार साल बाद यानी 2025 के बाद स्पेस स्टेशन टुकड़ों में बंटकर धरती की ओर गिरने लगेगा. इसके यंत्र काम करना बंद कर देंगे. मार्च 2021 में भी रूसी कॉस्मोनॉट्स ने बाल के बराबर दो दरारें सील की थीं. ये दरारें ज्वेज्दा (Zvezda) मॉड्यूल में देखी गई थी. इस मॉड्यूल में दो कॉस्मोनॉट्स रहते हैं साथ ही यह स्पेस स्टेशन का लाइफ सपोर्ट सिस्टम है. यही से स्पेस स्टेशन का बैकअप लाइफ सपोर्ट सिस्टम भी काम करता है. (फोटोः गेटी)
मार्च में जो दरारें देखी गईं थीं, उनकी वजह एयर लीक बताया जा रहा है. जिसकी जांच अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और रूसी एजेंसी रॉसकॉसमॉस दोनों मिलकर कर रही हैं. नौका मॉड्यूल (Nauka Module) के इंजन जब खुद ऑन हो गए थे, तब वह अपने साथ स्पेस स्टेशन को खींचकर विपरीत दिशा में ले जाना चाहता था. वह थोड़े ही समय पहले स्टेशन से जुड़ा था. हालांकि इसके पीछे सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी बताई गई थी. (फोटोः गेटी)
कुछ भी कह लें...लेकिन लगातार स्पेस स्टेशन में आ रही खामियों और दिक्कतों से यह लगता है कि इसकी उम्र पूरी हो चुकी है. अब दुनिया के देशों को मिलकर नए स्पेस स्टेशन को बनाने की जरूरत है. अगर ऐसा नहीं होता है तो सभी देश अपना-अपना स्पेस स्टेशन बनाएंगे. लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन टूटकर बिखरकर धरती की ओर गिरेगा, जो किसी भी देश में भारी तबाही मचा सकता है. (फोटोः गेटी)