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साइंस न्यूज़

Gaganyaan: कैप्सूल प्रोप्लशन सिस्टम का हॉट टेस्ट सफल, आगे बढ़ रहा ISRO

aajtak.in
  • महेंद्रगिरी/तमिलनाडु,
  • 28 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 9:16 PM IST
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 28 अगस्त 2021 को गगनयान मिशन में आगे बढ़ते हुए इसके सर्विस मॉड्यूल प्रोपल्शन सिस्टम (SMPS) के पहले हॉट टेस्ट को सफलतापूर्वक पूरा किया. इसमें सिस्टम डिमॉन्सट्रेशन मॉडल (SDM) नाम दिया गाय है. गगनयान का सर्विस मॉड्यूल प्रोपल्शन सिस्टम 450 सेकेंड्स के लिए चलाया गया था. यह सिस्टम गगनयान कैप्सूल में लगाया जाएगा, जिससे भारतीय अंतरिक्ष यात्री धरती के ऊपर जाएंगे. (फोटोः इसरो)

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ISRO ने कहा कि यह परीक्षण तमिलनाडु के महेंद्रगिरी स्थित इसरो प्रोपल्शन कॉम्पलेक्स (IPRC) में किया गया. अभी इसके और कई हॉट टेस्ट होने बाकी हैं. इस परीक्षण के लिए जो मानक तय किए गए थे, उसमें इस सिस्टम ने खुद को साबित किया है. यह मॉड्यूल गगनयान के क्रू-मॉड्यूल (Crew Module) के नीचे लगा होगा. यह धरती पर लौटते समय काम आएगा. (फोटोः इसरो)

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इस मॉड्यूल में यूनिफाइड बाइप्रोपेलेंट सिस्टम लगा है. इसमें पांच इंजन है जो 440 न्यूटन की ताकत पैदा करते हैं. उसके अलावा 16 रिएक्शन कंट्रोल सिस्टम (RCS) है, जो 100 न्यूटन की ताकत पैदा करता है. ये छोटे थ्रस्टर्स हैं जो MON-3 और MMH को बतौर ऑक्सीडाइजर और फ्यूल के रूप में उपयोग करेंगे. आपके बता दें कि इससे पहले 14 जुलाई को इसरो ने गगनयान मिशन के विकास इंजन के लॉन्ग ड्यूरेशन हॉट टेस्ट का तीसरा सफल परीक्षण किया. यह इंजन GSLV-MkIII रॉकेट  के लिक्विड स्टेज में लगाया जाएगा. यह परीक्षण इंजन की क्षमता को जांचने के लिए किया गया था, जिसे उसने सफलतापूर्वक कर दिखाया. (फोटोः इसरो)

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महेंद्रगिरी में इसरो के प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स (ISRO Propulsion Complex - IPRC) में विकास इंजन को 240 सेकेंड्स चलाया गया. इस ट्रायल में इंजन ने तय मानकों पर खुद को खरा साबित किया. इसने सारे संभावित गणनाओं को पूरा किया और बेहतर तरीके से परफॉर्म करके दिखाया. आपको बता दें कि इसी इंजन को रॉकेट अलग-अलग स्टेज में लगाया जाएगा, जो गगनयान कैप्सूल को अंतरिक्ष में लेकर जाएगा. (फोटोः इसरो)

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इस साल मार्च के महीने में गगनयान (Gaganyaan) के लिए भारतीय वायुसेना के चार अधिकारियों ने रूस में अपने ट्रेनिंग पूरी कर ली थी. इन्हें राजधानी मॉस्को के नजदीक जियोजनी शहर में स्थित रूसी स्पेस ट्रेनिंग सेंटर में एस्ट्रोनॉट्स बनने का प्रशिक्षण दिया जा रहा था. इन्हें गगननॉट्स (Gaganauts) कहा जा रहा है. (फोटोः इसरो)

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गैगरीन कॉस्मोनॉट्स ट्रेनिंग सेंटर में भारतीय वायुसेना के पायलटों की ट्रेनिंग हुई है. इस बात की पुष्टि उस समय रूसी स्पेस एजेंसी के प्रमुख दिमित्री रोगोजिन ने की थी. उन्होंने कहा था कि रूस भारत के साथ भविष्य में मिशन करना चाहता है. भारतीय एयरफोर्स अधिकारियों को गगननॉट्स (Gaganauts) बनाने के लिए ISRO और रूस के ग्लवकॉस्मॉस (Glavcosmos) के बीच जून 2019 में समझौता हुआ था.  (फोटोः इसरो)

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भारतीय वायुसेना के चार पायलट जिनमें एक ग्रुप कैप्टन हैं. बाकी तीन विंग कमांडर हैं, इनकी ट्रेनिंग गैगरीन कॉस्मोनॉट्स ट्रेनिंग सेंटर में पूरी हो चुकी है. इन भारतीय जाबांजों की ट्रेनिंग 10 फरवरी 2020 से शुरू हो गई थी लेकिन कोरोनावायरस की वजह से इसे कुछ दिनों के लिए रोका गया था. बाद में इसे 12 मई में शुरू किया गया. इसके पहले ISRO के वैज्ञानिकों ने बताया था कि रूस में ट्रेनिंग लेने के बाद इन चारों गगननॉट्स (Gaganauts) को बेंगलुरू में गगनयान मॉड्यूल की ट्रेनिंग दी जाएगी. (फोटोः इसरो)

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इस मॉड्यूल को इसरो ने खुद बनाया है, इसमें किसी भी अन्य देश की मदद नहीं ली गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने गगनयान प्रोजेक्ट के लिए 10 हजार करोड़ रुपए जारी किए हैं. गगनयान मिशन के तहत ISRO तीन अंतरिक्षयात्रियों को पृथ्वी से 400 किमी ऊपर अंतरिक्ष में सात दिन की यात्रा कराएगा. इन अतंरिक्षयात्रियों को सात दिन के लिए पृथ्वी के लो-ऑर्बिट में चक्कर लगाना होगा. इस मिशन के लिए ISRO ने भारतीय वायुसेना से अंतरिक्षयात्री चुनने के लिए कहा था. (फोटोः इसरो)

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दिसंबर 2021 में इसरो तीन भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजेगा. फिलहाल कोरोना वायरस की वजह से मिशन में देरी हुई है. अब मुख्य लॉन्चिंग से पहले दो अनमैन्ड मिशन होंगे. इन दोनों मिशन में गगनयान को बिना किसी यात्री के अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. इसके बाद ही गगनॉट्स को गगनयान कैप्सूल में बिठाकर अंतरिक्ष की यात्रा पर भेजा जाएगा. (फोटोः इसरो)

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