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अंतरिक्ष की भविष्यवाणी...2019 में गायब हुआ सुपरनोवा साल 2037 में फिर दिखाई देगा

aajtak.in
  • ह्यूस्टन,
  • 17 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 12:00 PM IST
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कभी आपने सुना या देखा है कि कोई खत्म हो चुकी या मर गई वस्तु फिर दिखाई देगी. वैज्ञानिकों ने बताया है कि साल 2019 में खत्म हो चुका सुपरनोवा फिर साल 2037 में दिखाई देगा. किसी अंतरिक्षीय वस्तु के खत्म होकर दोबारा दिखाई देने की यह हैरतअंगेज घटना के पीछे वैज्ञानिकों की एक खास स्टडी है. क्योंकि यह सुपरनोवा 2016 से 2019 के बीच तीन बार मर चुका है और तीन बार दिख चुका है. (फोटोः NASA)

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वैज्ञानिकों ने इस सुपरनोवा का नाम रीक्वीम (Requiem) रखा है. यह गैलेक्सी क्लस्टर MACS J0138.0-215 में स्थित है. हो सकता है कि आपको यह किसी टाइम ट्रैवेल की कहानी जैसा लगे लेकिन यह सच है कि यह तीन बार खत्म होने के बाद वापस दिख चुका है. इसे जिस मैकेनिज्म से देखा गया है उसे ग्रैविटेशनल लेंसिंग (Gravitational Lensing) कहते हैं. (प्रतीकात्मक फोटोः NASA)

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अंतरिक्ष में जब कोई बहुत बड़ी वस्तु विस्फोट में बदलती है, तो उसके पीछे और से आने वाला प्रकाश विकृत हो जाता है. इससे ऐसा लगता है कि वह वस्तु खत्म हो गई है. जबकि, वह उसी जगह पर दिखनी बंद हो जाती है. लेकिन जैसे ही बैकग्राउंड की रोशनी सही होती है, वह अपने रूप में दिखाई देता है. यह प्रक्रिया कई बार हो सकती है. यानी सुपरनोवा मरा नहीं है, वहीं है...बस सब रोशनी का खेल है. इस रोशनी में कई बार चीजें अलग-अलग भी दिखाई देती हैं. यानी एक वस्तु के कई समान रूप भी दिखाई दे सकते हैं. (प्रतीकात्मक फोटोः NASA)

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सुपरनोवा रीक्वीम के मामले में गैलेक्सी क्लस्टर MACS J0138.0-215 रोशनी का काम कर रही है. इस सुपरनोवा को हबल टेलिस्कोप ने साल 2016 में खोजा था. तब हबल ने सुपरनोवा की तीन अलग-अलग तस्वीर ली थी. सुपरनोवा एक जैसा ही था लेकिन रोशनी की वजह से उसकी स्थिति में बदलाव दिख रहा था. साल 2019 तक यह सुपरनोवा धुंधला होता चला गया. अब नई स्टडी के मुताबिक यह सुपरनोवा साल 2037 में वापस दिखाई देगा. तब इसकी चौथी तस्वीर बनेगी. यह स्टडी नेचर एस्ट्रोनॉमी में प्रकाशित हुई है. (प्रतीकात्मक फोटोः NASA)

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ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि जब किसी सुपरनोवा को वापस आते देखा गया है. लेकिन वैज्ञानिकों के लिए यह हर बार की तरह बेहद उत्साहजनक होता है. अंतरिक्ष विज्ञानियों के मुताबिक यह अत्यधिक दुर्लभ घटना है. क्योंकि इस समय किसी तारे के विस्फोट, सुपरनोवा के गैस, गुरुत्वाकर्षण समेत कई रहस्यमयी वस्तुओं के अध्ययन का मौका मिलता है. इसी दौरान ब्रह्मांड की डार्क एनर्जी और डार्क मैटर की स्टडी का चांस रहता है. (फोटोः NASA)

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यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ कैरोलिना के शोधकर्ता स्टीव रॉडनी ने कहा कि सुपरनोवा रीक्वीम की स्टडी के दौरान हमें कई बातें नई पता चलीं. हमनें इस सुपरनोवा की तीन सालों में तीन अलग-अलग स्थानों पर तस्वीर ली. हमें इसकी आखिरी तस्वीर लेने का मौका साल 2037 में मिलेगा. ज्यादा से ज्यादा एक-दो साल आगे-पीछे हो सकता है. उस समय हम इसे चौथी बार देख सकते हैं. हालांकि इस बार यह सुपरनोवा वापस आने में काफी ज्यादा समय ले रहा है, जिसकी वजह खोजी जा रही है. (फोटोः NASA)

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स्टीव रॉडनी ने कहा कि ये ऐसा ही है जैसे किसी पहाड़ी इलाके में चलने वाली ट्रेन. वह कई बार दिखाई देती है फिर उसी स्थान पर दिखनी बंद हो जाती है. कहीं किसी पहाड़ी के पीछे चली जाती है. वह घाटी से होकर गुजरती है तब दिखती है. यह दिखने और गायब होने की प्रक्रिया ऐसे ही चलती रहती है, जब तक की ट्रेन की यात्रा समाप्त न हो जाए. (फोटोः चंद्र ऑब्जरवेटरी/हार्वर्ड यूनिवर्सिटी)

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स्टीव ने कहा कि फिलहाल हम चौथी बार इस सुपरनोवा के दिखने की सटीक तारीख खोजने में लगे हैं. ताकि लोगों को बता सकें. साथ ही दुनियाभर के वैज्ञानिक इससे निकलने वाले डार्क मैटर और डार्क एनर्जी की भी स्टडी करेंगे. डार्क मैटर वह अदृश्य वस्तु होता है जो ब्रह्मांड को जोड़कर रखता है. अगर प्रकाश की यात्रा में देरी होती है तो हमें पता चलता है कि ब्रह्मांड फैल रहा है. स्टीव ने बताया कि यह देरी हमारे लिए फायदेमंद साबित होगी. क्योंकि इससे हमें गणना करने में मदद मिलेगी. (फोटोः NASA)

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समय में देरी होने की वजह से वैज्ञानिकों को काफी ज्यादा धैर्य रखना होता है. कई बार ब्रह्मांड में समय की यह देरी दशकों लंबी होती है. इसलिए सुपरनोवा रीक्वीम की चौथी और आखिरी तस्वीर आने में बताए गए समय से एक-दो साल आगे-पीछे हो सकता है. हम फिलहाल बड़े सैपल्स जमा कर रहे हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा सटीक भविष्यवाणी कर सकें. (फोटोः NASA)
 

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