चेन्नई के अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर 11 जुलाई 2022 को एयरबस कंपनी का बेलुगा (Beluga Airbus) विमान पहली बार उतरा. इसे आधिकारिक तौर पर एयरबस A300-608ST (Super Transporter) कहते हैं. बेलुगा इसलिए कहते हैं क्योंकि इसकी डिजाइन बेलुगा व्हेल से मिलती है. अब आप सोच रहे होंगे कि दुनिया के सबसे बड़े कार्गो विमानों में से एक चेन्नई में क्यों उतरा? (फोटोः गेटी)
असल में ये बेलुगा एयरबस सुपर ट्रांसपोर्टर विमान 7 जुलाई 2022 को फ्रांस के तोउलोउ से उड़ा था. इसके बाद यह मार्सिले, कायरो, अबु धाबी और अहमदाबाद होते हुए चेन्नई उतरा. इसे चेन्नई में ईंधन भरवाना था. साथ ही इसके क्रू को कुछ घंटे आराम करना था. ये विमान चेन्नई से सिंगापुर के लिए रवाना हुआ, जहां कोई अनजान ग्राहक उसका इंतजार कर रहा था. ग्राहक के नाम का खुलासा एयरबस कंपनी ने नहीं किया.
बेलुगा एयरबस (Beluga Airbus) की पहली उड़ान 13 सितंबर 1994 में हुई थी. एयरबस ने 1992 से 1999 के बीच सिर्फ पांच ऐसे विमान बनाए हैं. इतने बड़े विमान को सिर्फ दो पायलट उड़ाते हैं. यह अपने पेट के अंदर 40,700 किलोग्राम वजन ले जाने में सक्षम है. यह विमान 184.3 फीट लंबा और 56.7 फीट ऊंचा है. जब यह पूरी तरह से खाली रहता है तब इसका वजन 86,500 किलोग्राम होता है. इसमें 23,860 लीटर ईंधन आता है. (फोटोः एयरबस)
बेलुगा एयरबस (Beluga Airbus) की अधिकतम गति 864 किलोमीटर प्रतिघंटा है. यह एक बार में अधिकतम 27779 किलोमीटर तक उड़ान भर सकता है. अधिकतम 35 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है. इसे जनरल इलेक्ट्रिक सीएफ6-80सी2ए8 टर्बोफैन इंजन ताकत देते हैं. हर इंजन 257 किलोन्यूटन का थ्रस्ट देता है. (फोटोः एयरबस)
जून 1997 में बेलुगा एयरबस (Beluga Airbus) ने वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया. ये रिकॉर्ड था व्यापारिक जहाज के केमिकल टैंकर को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने का. फरवरी 2003 में बेलुगा एयरबस ने लगातार 25 घंटे की उड़ान भरकर दो NHI NH90 हेलिकॉप्टर और एक यूरोकॉप्टर टाइगर अटैक हेलिकॉप्टर को फ्रांस के मार्सिले से ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न पहुंचाया था. (फोटोः एयरबस)
1999 में बेलुगा ने एक बेहद बड़ी पेंटिंग को पेरिस से टोक्यो पहुंचाया था. रास्ते में यह बहरीन और कोलकाता होते हुए गया था. यह पेंटिंग लिबर्टी लीडिंग द पीपुल थी, जो 1874 से पेरिस के लोवरे में टंगी हुई थी. पेंटिंग की लंबाई 11.88 फीट और ऊंचाई 9.81 फीट थी. यह किसी भी साधारण कार्गो विमान में सेट नहीं हो रही थी. इस पेंटिंग को खड़ी अवस्था में ही पहुंचाना था ताकि इसे कोई नुकसान न हो. पेंटिंग को खास प्रेशराइज्ड कंटेनर में रखा गया था. जो इसे आइसोथर्मल प्रोटेक्शन और कंपन से भी बचा रहा था. (फोटोः ट्विटर/aaichnairport)
साल 2004 में आई सुनामी में बेलुगा एयरबस (Beluga Airbus) ने भारतीय हिंद महासागर के इलाकों में राहत एवं आपदा बचाव कार्यों में भी मदद की थी. हरिकेट कटरीना के समय इसने काफी मदद की थी. यह इकलौता ऐसा विमान है जो अब तक कई देशों के सैटेलाइट्स को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचा चुका है. साल 2009 में इसने अंतरराष्ट्री स्पेस स्टेशन के ट्रांक्विलिटी मॉड्यूल (Tanquility Module) को काजकिस्तान स्थित बैकोनूर कॉस्मोड्रोम पहुंचाया था.
रूस-यूक्रेन के युद्ध के बाद जब एंतोनोव विमानों के उड़ानों पर रोक लगी तो बेलुगा एयरबस (Beluga Airbus) की मांग बढ़ गई. अब पूरी दुनिया में इस विमान को बड़े कार्गो के परिवहन के लिए तेजी से उपयोग किया जा रहा है. यह अपने पेट के अंदर विंड टरबाइन को ले जा सकता है. या फिर किसी रॉकेट के बूस्टर को. या फिर तीन हेलिकॉप्टर या चार टैंक.