अगले 12 घंटे भारत के पूर्वी और दक्षिण पूर्वी राज्यों के लिए बेहद संवेदनशील हैं. क्योंकि यहां पर अत्यंत गंभीर चक्रवाती तूफान 'यास' (Very Severe Cyclonic Storm 'Yaas') आ रहा है. फिलहाल इसकी गति 17 किलोमीटर प्रति घंटा है. अभी यह ओडिशा के पारादीप से 280KM, बालासोर से 380KM, पश्चिम बंगाल के दीघा से 370KM दूर बंगाल की खाड़ी में स्थित है. भारतीय मौसम विभाग की माने तो अगले 12 घंटों में यह उत्तर-उत्तरपश्चिम की तरफ बढ़ेगा. आखिर ये चक्रवाती तूफान पैदा कहां हुआ? ये कहां तक जाएगा? इसके साथ चलने वाली हवा की गति कितनी होगी? आइए जानते हैं इस चक्रवात की कुंडली को...(फोटोः पीटीआई)
सबसे पहले यह जानते हैं कि यह शुरु कहां से हुआ?
भारतीय मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक उन्होंने इसे पहली बार 23 मई को देखा. मौसम विभाग के अनुसार एक उष्णकटिबिंधीय डिस्टर्बेंस की वजह से यह चक्रवात पैदा हुआ है. इस समय नॉर्थ इंडिया ओसन साइक्लोन सीजन (North Indian Ocean Cyclone Season) चल रहा है. यह सीजन में 2 अप्रैल 2021 को शुरू हुआ था. इसमें हवा की गति अधिकतम 195 किलोमीटर प्रतिघंटा तक जा सकती है. ये सीजन आमतौर पर दिसंबर तक चलता है. इसका पीक सीजन मई और नवंबर का महीना होता है. (फोटोः गेटी)
अब ये उष्णकटिबिंधीय डिस्टर्बेंस क्या है?
उष्णकटिबिंधीय डिस्टर्बेंस का मतलब होता है कि इस समय जो भी साइक्लोन बनेंगे उनका केंद्र आमतौर पर गर्म होता है. ये निर्भर करता है वायुमंडलीय पर्यावरण पर. इसके होने के पीछे 6 प्रमुख वजहें होती हैं. पहला गर्म समुद्र, कम से कम 26.5 डिग्री सेल्सियस. दूसरा वायुमंडलीय अंसतुलन. तीसरा ट्रोपोस्फेयर के निचले हिस्से में उच्च स्तर की आद्रता (Humidity), चौथा कम दबाव वाला क्षेत्र और पांचवां निचले स्तर की वर्टिकल विंड. जब ये सारे एकसाथ होते हैं तब उष्णकटिबिंधीय डिस्टर्बेंस (Tropical Disturbance) बनता है. जिसकी वजह से इस सीजन में चक्रवात आने लगते हैं. (फोटोः पीटीआई)
साइक्लोन यास कितने दिन रहेगा?
भारतीय मौसम विभाग के अनुसार चक्रवाती तूफान 24 मई 2021 से 27 मई 2021 तक रहने की संभावना है. इस समय यह बंगाल की खाड़ी में स्थित है. इसकी वजह से पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश समते कई तटीय राज्यों में बादल छाए हैं. समुद्री लहरें ऊंची उठ रही है. लेकिन इसकी ताकत 24 मई और 25 की देर रात भयावह रूप लेना शुरू करेगी. 25 मई को सुबह 8.30 बजे के आसपास इसकी वजह से 100-110 किलोमीटर प्रतिघंटे की गति से हवा चलेगी. साढे 11 बजते-बजते यह गति बढ़कर 105- 115 किलोमीटर प्रतिघंटे हो जाएगी. 25 मई की शाम यानी साढ़े पांच बजे के आसपास हवा की गति 125-135 KM प्रतिघंटे होगी. रात को 11.30 बजे के आसपास 145-155 KM प्रतिघंटे हवा की रफ्तार हो सकती है. (फोटोः पीटीआई)
सबसे बड़ी मुसीबत 26 मई 2021 की सुबह साढें पांच बजे दिखाई दे सकती है. इस समय साइक्लोन यास की वजह से हवा की गति 155 से 185 किलोमीटर तक जा सकती है. हालांकि इसके बाद 26 मई की शाम साढ़े पांच बजे से इसकी ताकत में कमी आने लगेगी. इस दौरान हवा की गति 115 से 140 KM प्रतिघंटा होगी. 27 मई की सुबह साढ़े पांच बजे के आसपास इसकी वजह से चलने वाली हवा की गति 60 से 80 किलोमीटर प्रतिघंटा और शाम साढ़े पांच बजे हवा की गति 35 से 55 KM प्रतिघंटे हो सकती है. (फोटोः पीटीआई)
इसके आगे बढ़ने का रास्ता क्या होगा?
25 मई 2021 को यह भुवनेश्वर की तरफ आगे बढ़ेगा. इस पूरे दिन इसकी यात्र बंगाल की खाड़ी में होगी. 26 मई की सुबह यह भुवनेश्वर के तट के नजदीक होगा. इसके बाद यह ओडिशा के उत्तर और उत्तर-पूर्वी इलाके से होते हुए झारखंड में प्रवेश करेगा. इस दौरान यह पश्चिम बंगाल के दक्षिण-दक्षिण-पश्चिम इलाके से गुजरेगा. झारखंड में यह उत्तर-पश्चिम और उत्तर-पूर्वी इलाके को छोड़कर पूरे राज्य में भारी बारिश कर सकता है. या फिर तेज हवाएं चला सकता है. इसके बाद यह बिहार और उत्तर प्रदेश की दक्षिणी सीमा और छत्तीसगढ़ के उत्तर-पूर्वी सीमा के पास जाकर खत्म हो सकता है. लेकिन इसका असर उत्तर-उत्तर पश्चिम के मैदानी राज्यो में भी होगा. (फोटोः पीटीआई)
कहां-कहां कैसी चेतावनी?
25 मई 2021 को आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों में तेज से बहुत तेज बारिश की आशंका है. ओडिशा में 25 मई से लेकर 27 मई तक लगभग सभी जिलों में तेज से बहुत तेज बारिश होने की संभावना है. ज्यादा तेज बारिश जगतसिंहपुर, केंद्रापाड़ा, भद्रक, बालासोर, पुरी, कटक, खुर्दा, जाजपुर, मयूरभंज, गंजम, ढेनकनाल, कियोनझारगढ़ में होगी. पश्चिम बंगाल के ज्यादातर जिलों में 25 से 27 मई तक हल्की से मध्यम दर्जे की बारिश हो सकती है. ज्यादा बारिश वाले जिले हैं- दक्षिण 24 परगना, हावड़ा, हुगली, कोलकाता, उत्तरी 24 परगना, पुरुलिया, नादिया, मुर्शिदाबाद, बर्धमान, हल्दिया, दार्जिलिंग, कालिमपोंग, बांकूरा, झारग्राम. झारखंड में 25 मई को हल्की से मध्यम दर्जे की बारिश होगी. लेकिन 26 से 27 मई को राज्य के विभिन्न इलाकों में तेज से बहुत तेज बारिश हो सकती है. बिहार और असम में भी लगभग झारखंड जैसी स्थिति रहेगी. उत्तर प्रदेश के दक्षिणी इलाकों में हल्की या मध्यम दर्जे की बारिश हो सकती है या फिर तेज हवाएं चल सकती हैं. (फोटोः पीटीआई)
समुद्र में क्या होगी स्थिति?
बंगाल की खाड़ी के पश्चिम मध्य, पूर्वी मध्य और उत्तरी इलाकों में स्थिति गंभीर रहेगी. तेज लहरें उठनी शुरू हो चुकी है. 25 और 26 मई को ये लहरें काफी ऊंची और तेज हो सकती हैं. इसलिए ओडिशा, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों में रहने वाले मछुआरों को समुद्र में जाने से मना किया गया है. साथ ही तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है. मौसम विभाग की माने तो 25 और 26 मई को समुद्र में 2 से 4 मीटर ऊंची लहरें उठ सकती हैं. मेदिनीपुर, बालासोर, भद्रक के तटीय इलाकों में 2 से 4 मीटर ऊंची लहरें दिख सकती हैं. जबकि दक्षिण 24 परगना, केंद्रापाड़ा, जगतसिंहपुर के तटीय इलाको में 2 मीटर ऊंची समुद्री लहरें दिख सकती हैं. (फाइल फोटोः गेटी)
आम लोगों को किस चीज से खतरा है?
कच्चे या अर्धनिर्मित मकानों के ढहने से. या फिर पक्के मकान के क्षतिग्रस्त होने से. तेज हवा में उड़कर आने वाली किसी वस्तु से. बिजली या टेलिफोन के खंभों के मुड़ने या टूटकर गिरने से. बिजली या टेलिफोन के तारों के टूटने से. सड़कों के उखड़ने की वजह से. साथ ही बाढ़ आने का खतरा है. रेलवे की सेवाएं बाधित होंगी. ओवरहेड पावर लाइंस के टूटने का खतरा होगा. सिग्नलिंग सिस्टम बिगड़ेगा यानी फोन और इंटरनेट बाधित होगा. फसलों, पेड़-पौधों, फार्म्स, नारियल के पेड़ों के गिरने और ताड़ के पेड़ों के टूटने का खतरा होगा. छोटी नावें उड़कर किनारों की तरफ या तटों के आसपास बने ढांचों की तरफ जा सकती हैं. दृश्यता पूरी तरह से बाधित हो सकती है. हवाई सेवाएं बंद रहेंगी. (फाइल फोटोः गेटी)
पिछले पांच सालों में कितने साइक्लोन आए और उनसे नुकसान?
लोकसभा में 12 मार्च 2021 को साइंस, टेक्नोलॉजी और अर्थ साइंसेज मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने एक सवाल के जवाब में बताया था कि साल 2016 में 4 साइक्लोन आए लेकिन सिर्फ एक ने तटीय इलाकों पर खतरनाक बारिश की. इसमें कुल 6 लोगों की मौत हुई. 2017 में 3 साइक्लोन आए. इसमें किसी तरह के नुकसान की खबर नहीं है. 2018 में 7 साइक्लोन बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में बने लेकिन तीन ने ही बारिश की और तबाही मचाई. इन तूफानों ने 131 लोगों की जान ली. 2019 में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में 8 चक्रवाती तूफान पैदा हुए. इसमें से 2 भारी तबाही मचाई. करीब 105 लोगों की जान चली गई. साल 2020 में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में 5 साइक्लोन पैदा हुए. इसमें चार ने तबाही मचाई और करीब 113 लोगों की जान चली गई. (फोटोः पीटीआई)
चक्रवाती तूफानों की संख्या घट रही है या बढ़ रही है?
डॉ. हर्षवर्धन ने लोकसभा में बताया कि भारतीय वैज्ञानिकों के अध्ययन में ये बात सामने आई है कि 1965 से लेकर 2020 तक बंगाल की खाड़ी में साइक्लोन के बनने में कमी आई है. जबकि, अरब सागर में चक्रवाती तूफानों की संख्या बढ़ी है. हालांकि राहत की बात ये है कि बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में आने वाले गंभीर और अत्यधिक गंभीर स्तर के चक्रवाती तूफानों से ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है. क्योंकि अरब सागर में बनने वाले चक्रवातों की वजह से ओमान, यमन जैसे देशों में ज्यादा बारिश होती है. लेकिन गुजरात और महाराष्ट्र के लिए खतरा बना रहता है. (फोटोः पीटीआई)
हर साल बंगाल की खाड़ी और अरब सागर पर औसतन 5 साइक्लोन बनते हैं. इनमें 3 या 4 ही बारिश और तेज हवाओं के साथ नुकसान पहुंचाने की क्षमता रखते हैं. पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और पुड्डूचेरी के निचले तटीय इलाकों में नुकसान की आंशका ज्यादा रहती है. लेकिन अच्छी बात ये है कि साल दर साल साइक्लोन की वजह से होने वाली मौतों की संख्या में कमी आई है. इसके लिए मौसम विभाग, इसरो, अर्थ साइंसेज मंत्रालय और नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (NDMA) ने काफी मेहनत की है. (फोटोः पीटीआई)
देश में कितने साइक्लोन वॉर्निंग सेंटर्स हैं?
डॉ. हर्षवर्धन ने लोकसभा में 5 फरवरी 2021 को बताया था कि देश में कितने साइक्लोन वॉर्निंग सेंटर्स (Cyclone Warning Centres) हैं. तीन एरिया साइक्लोन वॉर्निंग सेंटर्स (ACWCs) चेन्नई, मुंबई और कोलकाता में स्थित हैं. इसके अलावा साइक्लोन वॉर्निंग सेंटर्स अहमदाबाद, तिरुवनंतपुरम, विशाखापट्टनम और भुवनेश्वर में स्थित हैं. कोलकाता का सेंटर पश्चिम बंगाल, अंडमान-निकोबार द्वीप समहू पर निगरानी रखता है. चेन्नई का सेंटर तमिलनाडु और पुड्डूचेरी पर नजर रखता है. मुंबई का सेंटर महाराष्ट्र और गोवा पर नजर रखता है. (फोटोः पीटीआई)
तिरुवनंतपुरम का सेंटर केरल, कर्नाटक और लक्षद्वीप पर आने वाले चक्रवाती तूफानों पर नजर रखता है. अहमदाबाद के सेंटर गुजरात, दादर-नगर-हवेली और दमन-दीव पर आने वाले तूफानों की जानकारी देता है. विशाखापट्टनम के केंद्र आंध्र प्रदेश के लिए चेतावनी जारी करता है. जबकि भुवनेश्वर की केंद्र ओडिशा के लिए चक्रवाती तूफानों से संबंधित जानकारी और चेतावनी देता है. (फोटोःपीटीआई)