रकून डॉग्स (Raccoon Dogs) एक ही मादा से संबंध बनाते हैं. हाइबरनेट करते हैं. यानी ज्यादा समय तक सोते रहते हैं. ये कुत्तों और लोमड़ियों के बीच की प्रजाति हैं. ये इनके फर और मांस के लिए बेचे जाते हैं. इनकी ज्यादातर बिक्री चीन में होती है. इनकी पहचान काले रंग की पैच वाली शक्ल होती है. फिलहाल ये कोविड-19 फैलाने के लिए चर्चा में आए हैं. (सभी फोटोः गेटी)
रकून डॉग्स को चीन के हुनान के सीफूड मार्केट में बेचा जाता है. लेकिन कम मात्रा में. कोरोना की शुरुआत का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों का मानना है कि रकून डॉग्स से भी वायरस फैला होगा. क्योंकि हुनान के मार्केट में रकून डॉग्स के जेनेटिक मटेरियल मिले, जिसमें कोविड संक्रमण मिला है.
हालांकि अभी तक यह पुख्ता नहीं हुआ है कि रकून डॉग्स की वजह से इंसान संक्रमित हुए हैं. लेकिन संक्रमण के दौरान ये किसी न किसी सीढ़ी पर जरूर मौजूद थे. इसलिए इनसे कोरोनावायरस किसी अन्य जीव में जरूर फैला होगा. चीन के वुहान के बाजार में भी रकून डॉग्स की बिक्री अवैध तौर पर होती आई है.
रकून डॉग्स असल में रकून प्रजाति के जीवों के रिश्तेदार नहीं होते. ये कैनिड फैमिली से संबंध रखते हैं. जो कुत्तों और लोमड़ियों के बीच की एक प्रजाति है. ये सर्दियों में हाइबरनेशन में चले जाते हैं. लंबे समय तक छिपकर आराम करते हैं. बस एक बार शिकार करके लंबी नींद का मजा लेते हैं.
आमतौर पर ये एक ही मादा से संबंध बनाते हैं. अकेले रहते हैं. बहुत ही दुर्लभ होता है कि ये किसी जोड़े के साथ रहें. रकून डॉग्स आमतौर पर चीन, कोरिया और जापान में पाए जाते हैं. इन देशों में इन्हें तानुकी (Tanuki) बुलाया जाता है. इन्हें यूरोप के भी कई इलाकों में भी देखा गया है. यानी ये वहां पर घुसपैठ कर चुके हैं.
चीन रकून डॉग्स की फार्मिंग करता है. ताकि इनके फर और मांस को बेचा जा सके. चीन ने अकेले 2014 में 1.40 करोड़ रकून डॉग्स का उत्पादन किया था. जो कि यूरोप के उत्पादन से 100 गुना ज्यादा था. जानवरों के मार्केट में इसे इसके मांस के लिए भी बेचा जाता है. खासतौर से चीन के हुनान और वुहान बाजार में.
अभी तक यह बात पुख्ता नहीं हुई है कि कोरोना इनकी वजह से फैला है. लेकिन प्रयोगशालाओं में यह स्पष्ट हुआ है कि इन्हें कोरोना संक्रमण हो सकता है. अगर संक्रमण हो सकता है तो ये अपने साथी जीव या अन्य जीवों को संक्रमित कर सकते हैं. लेकिन इनकी वजह से कोई इंसान संक्रमित हुआ हो ऐसा मामला अब तक सामने नहीं आया है.
रकून डॉग्स को पाला जा सकता है. लेकिन अच्छा आइडिया नहीं होगा क्योंकि कोविड के अलावा भी ये कई तरह की बीमारियों के वेक्टर होते हैं. इनसे रैबीज भी हो सकता है. रॉयल सोसाइटी फॉर द प्रिवेंशन ऑफ क्रूएलिटी टू एनिमल्स की सलाह है कि रकून डॉग्स को पालना नहीं चाहिए. इनसे इंसानों को खतरा है.