गधा (Donkey)... इंसानों के जीवन और इतिहास का पहला ऐसा जीव जिसे बीस्ट ऑफ बर्डेन (Beast of Burden) बुलाया जाता है. यानी बोझा ढोने वाला शैतान. इंसानों का बोझा हजारों सालों से ढोता आ रहा है. लेकिन ये पता नहीं चल रहा था कितने सालों से. फिर वैज्ञानिकों ने यह पता करने की ठानी कि गधा इंसानों के जीवन में कब आया. (सभी फोटोः गेटी)
जेनेटिक्स (Genetics) और पुरातत्व (Archaeology) को मिलाकर गधों की शुरुआत का पता करने की कोशिश की गई. फ्रांस के टोलूज में एक गधा रहता है. जिसका नाम है पैंटिन. उसे देख कर वैज्ञानिक डॉ. लूडोविक ऑरलैंडो को ख्याल आया कि हमें ये पता करना चाहिए कि गधे इंसानों के जीवन में कब आए. कब पालतू मवेशी बने.
इंसानों के जीवन में गधे सबसे तिरस्कृत जीव रहे हैं. लेकिन उन्हीं से सबसे ज्यादा बोझ भी इंसानों ने ही उठवाया है. किसी को बुरा बोलना हो तो उसे गधा बोल दो. यानी बेवकूफ. पर गधा इकलौता ऐसा जानवर है, जो कई विकासशील देशों में लाखों लोगों की रोजी-रोटी का जरिया है. बाकी ज्यादातर देशों से गधे गायब हो चुके हैं.
लूडोविक ने बताया कि गधे असल में घोड़ों के करीबी रिश्तेदार हैं. प्राचीन काल से अब तक जितनी भी किताबें, दस्तावेज आप पढ़ें उसमें घोड़ों और कुत्तों की तुलना में गधों को कमजोर माना जाता रहा है. क्योंकि घोड़े तेज रफ्तार, फसलों की निगरानी और युद्ध में काम आते थे. कुत्ते अन्य कई तरह के कामों में इस्तेमाल होते रहे. लेकिन गधा सिर्फ बोझ ढोना.
डॉ. लूडोविक और अन्य वैज्ञानिकों ने 37 अलग-अलग प्रयोगशालाओं में टेस्ट किया. गधों के जीनोम की जांच की गई. इन प्रयोगसालाओं में 31 देशों के 207 आधुनिक गधों के डीनए थे. इसके अलावा प्राचीन 31 गधों के कंकालों से भी डीएनए जांच हुई. ये गधे करीब 4500 साल पुराने थे. सवाल ये उठा कि गधों को पालना कब और कहां से शुरू हुआ.
तीन नाम सामने आए- अफ्रीका का पूर्वी इलाका, उत्तर-पूर्वी इलाका और अरब प्रायद्वीप. लेकिन डॉ. लूडोविक के अनुसार गधों को सबसे पहले ईसापूर्व 5000 में पाला गया था. ये हॉर्न ऑफ अफ्रीका और वर्तमान केन्या में पाले गए थे. इससे पहले ये जंगली गधे होते थे. इससे पहले काहिरा के एल ओमारी में मिले गधे को सबसे पुराना बताया गया था.
डॉ. लूडोविक की तारीख एल ओमारी के गधे से 400 साल पीछे हैं. और घोड़ों को पालने से 300 साल पीछे है. उस समय सहारा रेगिस्तान का इलाका तेजी से बढ़ रहा था. इसलिए गधों को बेहतर आवागमन का साधन माना गया. ये कम पानी पीते थे. सूखे इलाके में बेहतर तरीके से रहते थे. इसके बाद लूडोविक की टीम ने गधों का फैमिली ट्री बनाया.
उत्तर-पूर्वी अफ्रीका से निकलकर गधे सूडान और फिर मिस्र तक गए. इसके बाद 500 साल बाद गधे एशिया और यूरोप की तरफ गए. गधों की आबादी अलग-अलग जगहों पर विकसित होती चली गई. उसके हिसाब से उनका आकार और रंग बदलता गया. इसलिए एक देश का गधा दूसरे देश के गधे से ब्रीडिंग नहीं कर सकता था.
प्राचीन मिस्र में सेथ नाम के एक देवता हैं. गधा उनका प्रिय जानवर है. उसे प्राचीन मिस्र में पवित्र माना जाता था. ऐसी ही मान्यताएं ग्रीस में भी रही हैं. गधे को अच्छा माना जाता है. पूजा की जाती है. गधे का इतिहास जुडाइस्म, ईसाई और मुस्लिम साहित्य में भी काफी दिखता है. कांस्य युग में 3300 ईसापूर्व से 1200 ईसा पूर्व तक इंसानों के साथ गधे भी दफनाए जाते थे.
नई स्टडी में यह बात क्लियर हो गई है कि गधों को सबसे पहले 200 ईसा पूर्व में पाला गया था. ये मामला प्राचीन रोमन गांव बॉयनविले-एन-वोवेरे का है. यहीं पर इतने पुराने गधे के अवशेष मिले थे. यहां पर अफ्रीकन गधों से यूरोपियन गधों की इंटर-ब्रीडिंग कराई जाती थी.