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Most Islands Nation: दुनिया के किस देश के पास हैं सबसे ज्यादा आइलैंड्स?

aajtak.in
  • स्टॉकहोम,
  • 31 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 4:19 PM IST
Country has most islands
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दुनिया के कई देश अलग-अलग चीजों के लिए जाने जाते हैं. सबसे ज्यादा झीलें कनाडा में हैं. वहां 8.79 लाख झीलें हैं. रूस में सबसे ज्यादा पेड़ हैं. वहां 45 फीसदी पेड़ हैं. लेकिन जब बात होती है कि सबसे ज्यादा द्वीपों (Most Islands Nation) वाला देश कौन सा है? ग्रीस या इंडोनेशिया या फिर कनाडा के आर्कटिक आर्किपेलागो. इनमें से कोई देश नहीं है. आइए जानते हैं उस देश का नाम...

Country has most islands
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उत्तरी यूरोप में स्थित देश स्वीडन (Sweden) सबसे ज्यादा द्वीपों वाला देश हैं. जर्मनी की कंपनी स्टेटिस्टा (Statista) के अनुसार स्वीडन में 221,800 द्वीप है. ज्यादातर द्वीपों पर कोई रहता नहीं है. इनमें 270 वर्ग फीट यानी 25 वर्ग मीटर आकार के द्वीप भी है. जिसके बारे में साल 2005 में जर्नल  Geografiska Annaler: Series B, Human Geography में रिपोर्ट भी छपी थी. यह द्वीप एक छोटे कार गराज के आकार का है. 

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स्वीडन के बाद नंबर आता है फिनलैंड (Finland) का. फिनलैंड के पास 1.88 लाख द्वीप है. इसके बाद तीसरे स्थान पर है नॉर्वे (Norway). नॉर्वे में 55 हजार द्वीप हैं. ये तीनों देश नॉर्डिक इलाके के हैं. जिसमें आइसलैंड और डेनमार्क भी शामिल हैं. लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर दुनिया के इस हिस्से में इतने द्वीप क्यों हैं?  

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फ्रेंच नेशनल सेंटर फॉर साइंटिफिक रिसर्च (CNRS) की रिसर्च डायरेक्टर करीन सिगलोच ने बताया कि इन द्वीपों का निर्माण भौगोलिक परिस्थितियों की वजह से हुआ है. इन द्वीपों का निर्माण करीब 26 लाख साल पहले हुआ था. इससे पहले ये द्वीप यहां पर नहीं थे. यहां पर आर्कटिक बर्फ की मोटी परत जमा थी. क्योंकि ये देश धरती के उत्तरी गोलार्ध में सबसे ऊपर हैं. 

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करीन सिगलोच ने बताया कि नॉर्डिक देशों को निर्माण धरती के बाकी हिस्सों की तुलना में नया है. यहां हर 41 हजार साल में ग्लेशियर की वैक्सिंग और वैनिंग होती रहती है. यानी वो खत्म होते हैं, ये प्रक्रिया धीमे-धीमे होती है. हिमयुग एक तय तापमान का लंबा काल था. एक हिमयुग के अंदर कई छोटे युग निकलते हैं, जिन्हें ग्लेशियल्स (Glacials) कहते हैं. जब मौसम गर्म होता है, तब उसे इंटरग्लेशियल्स (Interglacials) कहते हैं. 

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ग्लेशियल्स और इंटरग्लेशियल्स के होने की प्रक्रिया को क्वाटरनेरी ग्लेशिएशन (Quaternary Glaciation) कहते हैं. जो पिछली बार 26 लाख साल पहले हुआ था. हर 41 हजार साल में ठंडे ग्लेशियल पीरियड्स आते हैं. जो आखिरी बार 8 लाख साल पहले हुआ था. लेकिन अब यह तीव्रता बहुत कम हो गई है, अब ग्लेशियल पीरियड्स 1 लाख साल पर हो रहे हैं. 

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पिछले हिमयुग (Ice age) के समय नॉर्डिक इलाका मीलों ऊंचे बर्फ की चादर में दबा था. ये इतना ज्यादा वजनी था कि उसकी वजह से धरती की ऊपरी परत पिचक गई. जब गर्मी वाला मौसम आया, जिसे होनोसीन क्लाइमेटिक ऑप्टिमम (Holocene Climatic Optimum) कहते हैं. यह काल 5000 ईसापूर्व से लेकर 3000 ईसापूर्व के बीच था. तब नॉर्डिक इलाके की बर्फ पिघली. धरती की ऊपरी परत पर से वजन कम हुआ. फिर ये द्वीप बाहर निकल आए. 

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इस पूरी प्रक्रिया को वैज्ञानिक आइसोस्टेटिक इक्वीलीब्रियम (Isostatic Eqilibrium) कहते हैं. इसकी वजह से आज भी फिनलैंड का वारकेन आर्किपेलागो (Kvarken Archipelago) हर साल ऊपर उठ रहा है. यहां पर हर साल 1 वर्ग किलोमीटर जमीन बाहर निकलती है. इस जगह को UNESCO का नेचुरल वर्ल्ड हेरिटेज दर्जा हासिल है. वैसे भी नॉर्डिक देश की टोपोग्राफी हैरतअंगेज तरीके से ज्यादा ऊंची है. 

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करीब सिगलोच कहती हैं कि धरती के नीचे गर्म मैंटल के दबाव की वजह से सारे महाद्वीप पानी से बाहर निकले हुए दिखते हैं. ऊंची टोपोग्राफी और ग्लेशियर्स के पिघलने की वजह से गहरे जॉर्डस (Fjords) बने हैं. नॉर्डिक देशों में गहरी घाटियों को जॉर्ड्स कहते हैं, जहां पर दो तरफ पहाड़ और एक तरफ ऊंचा ग्लेशियर होता है. इन घाटियों में अक्सर बड़े पत्थर टूट-टूटकर गिरते रहते हैं. 

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नॉन-ग्लेशियल पीरियड के समय वैश्विक समुद्री जलस्तर बहुत ऊपर था. सीधी सी बात है कि जैसे-जैसे ग्लेशियर पिघले, उनका पानी सागरों में गया, जिससे समुद्री जलस्तर ऊपर उठ गया. कई बार इनके परिणाम काफी भयावह रहे हैं. करीब 20 हजार साल पहले ग्लेशियल मैक्सिमम (Glacial Maximum) दर्ज किया गया था. यह प्लीस्टोसीन इपो (Pleistocene epoch) था. यानी 26 लाख साल से 11,700 साल पहले यह घटना देखी गई थी. तब समुद्री जलस्तर आज के स्तर से 400 फीट ऊपर था. 

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करीन ने बताया कि जब यह पानी पूरी दुनिया में फैला हुआ था, तब नॉर्डिक आइलैंड ही ऊपर की तरफ दिख रहे थे. क्योंकि ये जॉर्ड्स के ऊपरी हिस्से थे. हालांकि, स्वीडन और उसके आसपास के देशों में इतनी ज्यादा संख्या में द्वीपों का होना और उनके होने की वजह सिर्फ यही एक नहीं हो सकता. और भी वजहें होंगी, जिन्हें तलाशना होगा. आखिरकार द्वीप का मतलब होता है वह जमीन का टुकड़ा जो चारों तरफ से पानी से घिरा हो. 

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तो फिर ऑस्ट्रेलिया को आइलैंड क्यों नहीं कहते? जबकि ग्रीनलैंड को दुनिया का सबसे बड़ा आइलैंड कहते हैं. करीन ने बताया कि पूरी दुनिया भर के जियोलॉजिस्ट आजतक महाद्वीप की सही परिभाषा नहीं बता पाए हैं. सिवाय इसके कि महाद्वीप अपनी टेक्टोनिक प्लेट पर टिके हैं. लेकिन ग्रीनलैंड उत्तरी अमेरिका की टेक्टोनिक प्लेट पर टिका है. इसलिए ग्रीनलैंड को आइलैंड बुलाया जाता है, महाद्वीप नहीं. (सभी फोटोः गेटी/पेक्सेल/अनस्प्लैश)

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