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WHO साइंटिस्ट ने कहा- मैंने 'भारतीय वैरिएंट' शब्द नहीं कहा, मेरा बयान गलत पेश किया गया

मिलन शर्मा/स्नेहा मोरदानी/अशोक शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 12 मई 2021,
  • अपडेटेड 2:31 PM IST
WHO scientist misquoted
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि उसने कभी भी B.1.617 कोरोना वैरिएंट को 'भारतीय वैरिएंट' नहीं कहा. न ही ये कहा गया कि ये दुनिया के लिए गंभीर चिंता का वैरिएंट है. कुछ मीडिया संस्थानों ने WHO के हवाले से B.1.617 को 'भारतीय वैरिएंट' लिखा है, जो कि गलत है. ये मीडिया रिपोर्ट आधारहीन है. WHO ने इस कोरोना वैरिएंट को कभी भी भारतीय वैरिएंट का नाम नहीं दिया. (फोटोःगेटी) 

WHO scientist misquoted
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WHO ने कहा कि उसके 32 पेज के दस्तावेज में कहीं भी ये उल्लेख नहीं किया गया है कि B.1.617 वैरिएंट भारतीय वैरिएंट है. इस पूरे दस्तावेज में कहीं भी 'भारतीय' शब्द का उपयोग नहीं है. WHO की चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि कुछ मीडिया संस्थानों ने मेरी बात को समझा नहीं. उन्होंने मेरी बात को गलत अंदाज में पेश किया है. मैंने कहा था कि भारत में फैल रहा कोरोना वायरस वैरिएंट 'चिंता वाला वैरिएंट' है. क्योंकि इसमें ज्यादा संक्रमण फैलाने वाले म्यूटेशन हैं. (फोटोःगेटी)

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समाचार एजेंसी AFP से बात करते हुए सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि म्यूटेशन, ज्यादा लोगों का एक जगह जमा होना और सोशल गैदरिंग की वजह से भारत में कोरोना वायरस की दूसरी भयावह लहर आई है. जिस कोरोना वायरस वैरिएंट की वजह से दूसरी लहर आई है, उसे B.1.617 कहा जा रहा है. ये डबल म्यूटेंट वायरस भी बुलाया जा रहा है. भारत में इसे सबसे पहले पिछले साल अक्टूबर में खोजा गया था. इसमें दो वायरस के स्ट्रेन शामिल हैं. (फोटोःगेटी)

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E484Q म्यूटेशन में वैसा ही व्यवहार देखा गया है जो पहले से मौजूद वैरिएंट E484K में था. E484K वैरिएंट ने तेजी से ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में कहर बरपाया. ये काफी संक्रामक वैरिएंट है. दूसरी तरफ एक नया म्यूटेशन हुआ, जिसका नाम है L452R. ये म्यूटेशन कोरोना वायरस को शरीर के इम्यून सिस्टम से बचाने में मदद करता है. अब बात रही B.1.617 कोरोना वैरिएंट की तो इसमें E484Q और L452R म्यूटेशन दोनों हैं. जिसकी वजह से ये डबल म्यूटेंट बन गया है. (फोटोःगेटी)

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पिछले महीने WHO ने कहा था कि B.1.617 वैरिएंट दुनिया के 17 देशों में संक्रमण फैला रहा है. तब इसे वैरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट की सूची में शामिल किया गया था. तब इसे वैरिएंट ऑफ कंसर्न (VOC) यानी चिंता का वैरिएंट घोषित नहीं किया गया था. सौम्या ने 10 मई को कहा कि WHO इस बात पर उस समय विचार कर रहा था. (फोटोःगेटी)

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सौम्या ने AFP को बताया कि B.1.617 को वैरिएंट ऑफ कंसर्न (VOC) कह सकते हैं, क्योंकि इसमें कुछ ऐसे म्यूटेशन हुए हैं जो संक्रमण तेजी से फैलाते हैं. भारत में ज्यादा तेजी से सामने आ रहे कोरोना वायरस के मामलों के पीछे कुछ नए वैरिएंट भी हो सकते हैं. ये ज्यादा खतरनाक भी हो सकते हैं. B.1.617 अकेली वजह नहीं है भारत में दूसरी भयावह लहर की. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण था लोगों का सामूहिक जमावड़ा. (फोटोःगेटी)

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सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि भारत जैसे बड़े देश में कोरोना वायरस का संक्रमण बेहद धीरे और निचले स्तर पर फैल रहा होगा. इसमें कई महीने का समय लगा होगा. इस समय यह कहना बहुत मुश्किल है कि ये कैसे फैला. क्योंकि लाखों लोग के बीच कोरोना वायरस धीरे-धीरे मल्टिप्लाई हुआ होगा. जिसे रोकना अब बहुत मुश्किल है. (फोटोःगेटी)

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सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि भारत में वैक्सीनेशन यानी टीकाकरण की दर बहुत कम है. भारत की 70 से 80 फीसदी आबादी को वैक्सीन लगाने में सालों नहीं तो महीनों लग ही जाएंगे. क्योंकि 130 करोड़ की आबादी वाले देश में वैक्सीनेशन इतनी आसानी से नहीं होता. इसमें कई तरह के फैक्टर्स होते हैं. (फोटोःगेटी)

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