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क्यों मैराथन दौड़ने वाले अक्सर रेस के दौरान पॉटी कर देते हैं? ये है वैज्ञानिक वजह

aajtak.in
  • न्यूयॉर्क,
  • 01 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 4:26 PM IST
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ओलंपिक या किसी अन्य अंतरराष्ट्रीय खेलों में दौड़ने वाले मैराथन धावक, लंबी दूरी के धावक या चलने वाले आम एथलीट या लोगों की तुलना में ज्यादा मल करते हैं. आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह ...लेकिन उससे पहले तीन छोटी घटनाओं की कहानी पढ़ाते हैं, जो आपको इस मामले की गंभीरता बताएगी. साल 2016 में फ्रांसीसी वॉकर योहान डिनिज एक अंतरराष्ट्रीय मैराथन में कई बार बेहोश हुए. लेकिन वॉक जारी रखी. 8वें नंबर पर प्रतियोगिता पूरी की. बेहोश हुए क्योंकि उन्हें पेट में दिक्कत (Gastrointestinal Distress) थी. (फोटोःगेटी)

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साल 2005 में लंदन मैराथन के दौरान पॉला रेडक्लिफ सड़क के किनारे ही अपने प्राकृतिक दबाव से मुक्त होने लगी थी. जिसकी तस्वीरें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हुई थीं. हवाई आयरनमैन ट्राइथैलॉन में जूली मॉस अपने पेट में गड़बड़ी की वजह से अपने पैरों से संतुलन खो रही थीं. वो अपने मल पर नियंत्रण नहीं रख पाई थीं. जिसकी वजह से उन्हें काफी बुरा महसूस हुआ था. शर्मिंदगी भी झेलनी पड़ी थी. आखिर ऐसा क्यों होता है कि कई मैराथन या लंबी दूरी में चलने वाले प्रतियोगी पेट की गड़बड़ी से परेशान होते हैं? (फोटोःगेटी)

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इस समस्या को आम भाषा में रनर्स डायरिया (Runner's Diarrhea) कहते हैं. साल 1992 में नेशनल लाइब्रेरीऑफ मेडिसिन में एक स्टडी प्रकाशित हुई थी. इसमें 109 मैराथन और लंबी दूरी के धावकों या एथलीट को शामिल किया गया था. इसमें उनके दौड़ या चलने के दौरान मल त्याग (Bowel Movements) के बारे में पूछा गया. इनमें से 62 फीसदी ने कहा कि ट्रेनिंग के दौरान वो मल त्याग के लिए रुके.  (फोटोःगेटी)

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43 फीसदी ने कहा कि वो रेस से पहले नर्वस डायरिया (Nervous Diarrhea) के शिकार हुए. यानी वो रेस को लेकर इतना ज्यादा सोच या तनाव में थे कि उन्हें इसकी वजह से मल त्याग करना पड़ा. 51 फीसदी धावकों ने कहा कि उन्हें रेस के दौरान मल त्याग करने की जरूरत पड़ी. जबकि 12 फीसदी ने कहा कि वो रेस के दौरान अपने मल द्वार पर नियंत्रण नहीं रख पाए और रास्ते में ही मल त्याग कर दिया. जिसे फुल-ऑन-फीकल इंकंटीनेंस (full-on fecal incontinence) कहते हैं.(फोटोःगेटी)

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इन सभी ने एक अहसास सामान्य रूप से महसूस किया था, पहला पेट दर्द और दूसरा मल द्वार से खून का निकलना. इस स्टडी में बताया गया है कि रनर्स डायरिया (Runner's Diarrhea) होने के लिए किसी उम्र, आंतों में हुआ पूर्व संक्रमण, फूड प्वाइजनिंग, फूड एलर्जी या डायटरी फाइबर्स जिम्मेदार नहीं होते. ये लंबी दूरी के धावकों को होता ही है. 90 फीसदी मैराथन धावक या लंबी दूरी के चलने वाले प्रतियोगियों को गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल दबाव के लक्षण दिखते ही हैं. (फोटोःगेटी)

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अब आप पूछेंगे कि इसकी वजह क्या है. यहां वजहों की एक खिचड़ी है. यानी कोई एक वजह नहीं है. एक स्टडी के मुताबिक जब आप व्यायाम करते हैं, तब सिंपैथेटिक नर्वस सिस्टम (Sympathetic Nervous System) शरीर के स्प्लेनचेनिक अंगों से लेकर काम करने वाली मांसपेशियों में खून का नया बहाव करता है. पुराने बहाव और नए बहाव के बीच जो खून के फ्लो में कमी आती है, उससे पेट के अंगों में एक जीआई (Gastrointestinal Ischaemia - GI) नाम की स्थिति पैदा होती है. (फोटोःगेटी)

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जीआई (Gastrointestinal Ischaemia - GI) की वजह से डायरिया और पेट दर्द की समस्या होती है. साथ ही उल्टियां भी आ सकती हैं. इसलिए मैराथन धावकों को अपने मलद्वार की मांसपेशियों (Anal Sphincters) को नियंत्रित करने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है. नॉर्थ कैरोलिना स्थित नोवैंट हॉस्पिटल के रेक्टल सर्जन माइकल डॉबसन कहते हैं कि जब आप मांसपेशियों का दौड़ते या चलते समय उपयोग कर रहे होते हैं. उस समय मल पर नियंत्रण करना काफी मुश्किल होता है. (फोटोःगेटी)

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माइकल ने कहा कि जब भी कोई व्यक्ति गंभीर मेहनत की स्थिति में होता है तब वह अपने मलद्वार की मांसपेशियों पर नियंत्रण नहीं कर पाता. इसलिए लंबी दूरी के मैराथन धावकों को यह समस्या होती है. क्योंकि आपके पैर और पेल्विस की मांसपेशियां लगातार एक गति में चल रही होती हैं. उनपर दिमाग से संदेश भेजकर तात्कालिक निंयत्रण करने में काफी दिक्कत आती है. दौड़ते समय धावकों के पेट में मौजूद खाना या पानी लगातार हिलता रहता है, जिसकी वजह से मल त्यागने का दबाव महसूस होता है. (फोटोःगेटी)

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