कोरोना वायरस के नए वैरिएंट का नाम ओमिक्रॉन (Omicron) रखा गया है. क्यों? ग्रीक अक्षरों में यह 15वें नंबर पर आता है. कोरोना के 12 वैरिएंट मौजूद हैं. यानी ये 13वां होना चाहिए था. मू (Mu) वैरिएंट के बाद 13वें नंबर पर नू (Nu) या 14वें नंबर पर शी (Xi) नाम देना चाहिए था. लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस दक्षिण अफ्रीका से निकले नए वैरिएंट का नाम 15वें ग्रीक अक्षर ओमिक्रॉन (Omicron) पर दिया है. जब दुनिया भर में सवाल उठने शुरू हुए कि दो अक्षरों को क्यों छोड़ा गया. तब WHO ने बड़ा सटीक जवाब दिया. (फोटोः गेटी)
WHO का सुनने में काफी लॉजिकल यानी तार्किक लगता है. लेकिन जिस वजह से इन्होंने अक्षरों को चुना है उस पर लोग मजाक भी उड़ा रहे हैं. कोरोना के 12 वैरिएंट ग्रीक अक्षरों पर हैं- अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा, एप्सिलोन, जेटा, एटा, थेटा, आयोटा, कप्पा, लैम्ब्डा और मू. लेकिन दुनियाभर के सेहत की निगरानी करने वाली WHO ने इसके बाद के दो अक्षर 13वें नंबर पर नू (Nu) या 14वें नंबर पर शी (Xi) को छोड़कर 15वें नंबर के ओमिक्रॉन (Omicron) को चुना. (फोटोः गेटी)
WHO के प्रवक्ता तारिक जसारेविक ने कहा कि नू (Nu) और शी (Xi) बेहद कॉमन अक्षर हैं. कई देशों में इनका उपयोग नाम के आगे या पीछे होता है. न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि शी (Xi) अक्षर का उपयोग इसलिए नहीं किया गया क्योंकि यह चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) का नाम है. WHO का नियम है कि वायरस का नाम किसी व्यक्ति, संस्था, संस्कृति, समाज, धर्म, व्यवसाय या देश के नाम पर नहीं दिया जाता है. ताकि किसी की भावना आहत न हो. (फोटोः गेटी)
जहां तक बात रही नू (Nu) अक्षर इंग्लिश के न्यू (New) शब्द से मिलता-जुलता है. इनका उच्चारण भी लगभग एक जैसा है. लोग उच्चारण के समय कन्फ्यूज न हो इसलिए इस 13वें ग्रीक अक्षर का उपयोग कोरोना के नए वैरिएंट का नाम देने में नहीं किया गया. क्योंकि लोग न्यू वैरिएंट और नू वैरिएंट में कन्फ्यूज हो सकते हैं. (फोटोः गेटी)
WHO ने शुरुआत में इस बात का जवाब नहीं दिया कि उन्होंने दक्षिण अफ्रीका से निकले कोरोना वैरिएंट का नाम ओमिक्रॉन (Omicron) क्यों दिया. क्यों उसने कोलंबिया में सबसे पहले मू (Mu) वैरिएंट के बाद दो ग्रीक अक्षरों को छोड़ दिया. लेकिन जब दुनियाभर से सवाल उठने लगे और संगठन की निंदा होने लगी तो उन्होंने इसके पीछे की वजह दुनिया के सामने रखी. लेकिन इसके बाद अब लोग यह कह रहे हैं कि WHO चीन की सरकार से डरती है. (फोटोः गेटी)
न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि अमेरिका के रिपब्लिकन सीनेटर टेड क्रूज कहते हैं कि ऐसा लगता है कि WHO चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से डरती है. वो एक वैश्विक आपदा को पहले भी छिपाने का प्रयास कर चुकी है. गलतियां करने के बाद उसे सुधारने के बजाय कवर अप किया है. (फोटोः गेटी)
अभी तक चीन की तरफ से नए वैरिएंट के नामकरण पर किसी तरह की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. जिसे वैज्ञानिक भाषा में B.1.1.529 कहा जा रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि डेल्टा के बाद ओमिक्रॉन वैरिएंट काफी ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है. इस बार WHO पूरे कोरोना काल में किसी भी वैरिएंट को भौगोलिक नाम देने से बचा है. जैसे- स्पैनिश फ्लू, वेस्ट नाइल वायरस, मिडल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम, जीका और ईबोला. (फोटोः गेटी)
साल 2019 में जब कोरोना वायरस का पहला केस चीन (China) के वुहान (Wuhan) में सामने आया था. तब दुनिया के कई देश कोरोना वायरस को चीनी वायरस के नाम से बुला रहे थे. जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी शामिल थे. यहां तक कि उनके साथी भी इसे चीन से निकला वायरस बुलाते थे. जिसका विरोध चीन ने काफी ज्यादा किया था. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जेंग शुआंग ने तब कहा था कि कोरोनावायरस पूरी दुनिया की समस्या है. इसे किसी एक देश से जोड़कर देखना गलत है. यह दुनिया में एक देश के प्रति डर फैलाता है. (फोटोः गेटी)
टेलीग्राफ के सीनियर एडिटर पॉल नुकी ने ट्वीट किया था कि उनके सोर्स ने उन्हें बताया कि WHO ने जानबूझकर Nuऔर Xi अक्षरों को दरकिनार किया है. नू और न्यू के बीच कन्फ्यूजन के चलते और शी इसलिए ताकि किसी दुनिया के किसी इलाके को फिर से दिक्कतों और तानों का सामना न करना पड़े. (फोटोः गेटी)
आपको बता दें कि WHO ने कोविड-19 के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron) को वैरिएंट ऑफ कंसर्न (Variant Of Concern - VOC) कहा है. यानी दुनियाभर के देश इसे लेकर सावधानी बरतें. बताया जा रहा है कि B.1.1.529 यानी ओमिक्रॉन (Omicron) वैरिएंट 30 बार म्यूटेट हो चुका है. यह दुनिया में मौजूद कई वैक्सीनों को भी धोखा दे सकता है. (फोटोः गेटी)