जंगल की आग से सिर्फ चीजें जलती नहीं है. सिर्फ जान-माल का नुकसान नहीं होता. कुछ नुकसान ऐसे होते हैं, जो जीवों की कई पीढ़ियों को बर्बाद कर देते हैं. एक नई स्टडी में इस बात का पता चला है कि जंगल की आग और उससे निकलने वाले धुएं की वजह से लाल मुंह के बंदरों (Rhesus Macaques) में गर्भपात की संख्या बढ़ गई है. साथ ही उनके गर्भधारण की क्षमता कम होती जा रही है. (फोटोः गेटी)
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में स्थित नेशनल प्राइमेट रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है कि जंगल की आग और धुएं की वजह से इन बंदरों के शरीर में ऐसे बदलाव आ रहे हैं कि उनसे इनकी प्रजनन क्षमता कम हो गई है. मादा बंदर का गर्भपात हो जा रहा है. यह स्टडी रिप्रोडक्टिव टॉक्सिकोलॉजी में प्रकाशित हुई है. (फोटोः यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया)
नवंबर 2018 में कैलिफोर्निया के पैराडाइज में कैंप फायर (जंगल की आग) की वजह से करीब 160 किलोमीटर दूर तक धुआं फैला. धुएं ने डेविस एरिया को पूरी तरह से प्रदूषित कर दिया था. एयर क्वालिटी बेहद गिर गई थी. सांस लेना दूभर हो रहा था. इस धुएं के फैलने के समय ही बंदरों के प्रजनन का समय होता है. इस दौरान लाल मुंह के बंदर प्रजनन की क्रिया को करते हैं. (फोटोः गेटी)
नवंबर में शुरु किए गए प्रजनन की क्रिया से औसत 166 दिन बाद बच्चे पैदा होते हैं. वैज्ञानिकों ने बंदरों के समूह से 66 मादा बंदरों का चयन किया. इनकी गर्भधारण की क्षमता की जांच पिछले 9 साल से तुलनात्मक रूप से की गई. 66 में से 45 मादा बंदर उस समय गर्भवती हुईं जब प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा था. यानी PM2.5 सामान्य से बहुत ज्यादा था. 20 मादा बंदर एयर क्वालिटी सुधरने के बाद दिसंबर में गर्भवती हुईं. एक बंदर गर्भधारण नहीं कर पाई. (फोटोः गेटी)
45 मादा बंदरों में से 37 को जंगल की आग और धुएं से ज्यादा सामना करना पड़ा था. इनकी डिलीवरी दर 82 फीसदी रहा. जबकि सामान्य दिनों में जब हवा साफ रहती है, तब यह 86 से 93 फीसदी रहता है. जिन 20 मादा बंदरों ने साफ मौसम में गर्भधारण किया, उनकी डिलीवरी भी सही समय पर और सेहतमंद तरीके से हुई. (फोटोः गेटी)
स्टडी करने वाले साइंटिस्ट ब्रिन विल्सन ने कहा कि इन बंदरों में साल 2018-19 में गर्भपात की संख्या भी बढ़ी हुई देखी गई. जबकि इससे पहले के 9 सालों में गर्भपात की संख्या कम थी. ब्रिन ने कहा कि 2018 से पहले के 9 सालों में जंगल की आग और धुएं की वजह से ऐसी दिक्कतें नहीं आई थीं. लेकिन इस बात से यह स्पष्ट होता है कि जंगली आग से निकले धुएं की वजह से मादा बंदरों की प्रजनन क्षमता पर बुरा असर पड़ता है. (फोटोः गेटी)
ब्रिन ने बताया कि लाल मुंह के बंदरों के प्रजनन की प्रणाली इंसानों से बहुत ज्यादा मिलती है. उनपर अध्ययन करके इंसानों के प्रजनन क्रियाओं और प्रणालियों पर रिसर्च की जाती है. इसका मतलब ये है कि अगर बंदरों पर इस तरह से बुरा प्रभाव पड़ सकता है तो इंसानों की प्रजनन क्षमता पर भी असर पड़ सकता है. इसे बचाने के लिए किसी भी तरह से जंगल की आग और उससे निकलने वाले धुएं को रोकना होगा. (फोटोः गेटी)
स्टडी में साफ तौर पर बताया गया है कि अगर वायु गुणवत्ता अच्छी नहीं होती है तो उसका सीधा असर गर्भवती महिला पर पड़ता है. साथ ही उन लोगों पर भी जो दमा या फेफड़ों से संबंधित किसी अन्य बीमारी से ग्रसित होते हैं. अगर बाहर हवा साफ नहीं है, प्रदूषण की मात्रा बढ़ी हुई है तो गर्भवती महिला को बाहर जाने से खुद को रोकना चाहिए. उन्हें घर पर रहना चाहिए. साथ ही मास्क लगाना चाहिए. (फोटोः गेटी)
ब्रिन ने कहा कि अभी हम यह नहीं पता कर पाए हैं कि गर्भपात और धुएं के बीच क्या संबंध है. लेकिन सैंपल्स से ये बात स्पष्ट होती है कि जंगल में जलने वाली वस्तुओं, जैसे पौधे और प्लास्टिक की चीजों से निकला घना और जहरीला धुआं गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए खतरनाक होता है. कई बात इसकी मात्रा इतनी ज्यादा होती है कि बच्चा गर्भ में ही मर जाता है. क्योंकि इस धुएं में पैथेलेट्स (Phthalates) होते हैं जो एंडोक्राइन सिस्टम को खराब कर देते हैं. (फोटोः गेटी)