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साइंस न्यूज़

हैरतअंगेज...दुनिया के पहले परमाणु टेस्ट ने बनाया ऐसा क्रिस्टल जो सिर्फ उल्कापिंडों में मिलता था

aajtak.in
  • न्यू मेक्सिको सिटी,
  • 24 मई 2021,
  • अपडेटेड 11:06 PM IST
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दुनिया के पहले परमाणु परीक्षण ने ऐसे दुर्लभ क्रिस्टल बना दिए हैं, जो आमतौर पर उल्कापिंडों के साथ धरती पर गिरते हैं. ये क्रिस्टल ब्रह्मांड में हुए विस्फोटों से निकले उल्कापिंडों में पाए जाते हैं. लेकिन अब एक स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है कि अमेरिका के पहले परमाणु परीक्षण के बाद उस जगह पर ऐसे क्रिस्टल निकले हैं, जो धरती के लिए दुर्लभ हैं. आइए जानते हैं इस क्रिस्टल और परमाणु परीक्षण की पूरी कहानी...(फोटोःगेटी)

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ये बात है 16 जुलाई 1945 की जब अमेरिकी सेना ने दुनिया का पहला परमाणु परीक्षण किया. इस मिशन का कोड नेम था ट्रिनिटी (Trinity). परीक्षण के लिए न्यू मेकिस्को का रेगिस्तान चुना गया था. जहां पर धातु में बंद प्लूटोनियम बम को ले जाकर फोड़ा गया था. जिसके बाद मशरूम के आकार का बड़ा आग और धुएं का गोला निकला था. जिसे दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने पहली बार देखा था. इसके अलावा बम से निकली ऊर्जा और गर्मी की वजह से वहां की रेत रेडियोएक्टिव कांच में बदल गई. (फोटोःPNAS)

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परमाणु बम विस्फोट से रेगिस्तान में फुटबॉल मैदान जितना बड़ा गड्ढा हो गया था. इस गड्ढे में पड़ी रेत ऐसे दुर्लभ क्रिस्टल में बदल चुकी है, जो आमतौर पर उल्कापिंडों के साथ अंतरिक्ष से धरती पर आते हैं. प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज की प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार इस क्रिस्टल को क्वासीक्रिस्टल (Quasicrystal) कहा जा रहा है. जहां पर ट्रिनिटी बम फोड़ा गया था, वहां पर एक पत्थर के अंदर यह क्रिस्टल मिला. (फोटोःPNAS)

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ये जिस तरह का क्रिस्टल है वो सौर मंडल के शुरुआत में अंतरिक्षीय विस्फोट से निकले उल्कापिंडों के साथ आज भी स्पेस में यात्रा कर रहे हैं. अब परमाणु परीक्षण के बाद जब ऐसे क्रिस्टल ट्रिनिटी की साइट से मिले तो वैज्ञानिकों को ये अंदाजा भी लग गया कि इंसान भी ऐसे दुर्लभ क्रिस्टल बना सकते हैं. वैज्ञानिक कह रहे हैं कि ये इंसानों द्वारा बनाया गया सबसे विस्फोटक निर्माण है. अब हमें परमाणु रिसर्च करने के लिए नया टूल मिल गया है. (फोटोःगेटी)

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न्यू मेक्सिको स्थित लॉस एलमोस नेशनल लेबोरेटरी के डायरेक्टर एमेरिटस और क्रिस्टल खोजने वाले वैज्ञानिकों की टीम के प्रमुख टेरी वॉलेस ने बताया कि अब हम अन्य विस्फोट साइट्स पर जाकर वहां के पत्थरों और मिट्टी की जांच करेंगे. ये दुर्लभ क्रिस्टल न हमें सिर्फ हमारे परमाणु परीक्षणों की ताकत बताते हैं, बल्कि अगर किसी अन्य देश में जाकर हमें जांच करने को मिले तो हम वहां की परमाणु शक्ति का अंदाजा भी लगा सकते हैं. (फोटोःगेटी)

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टेरी वॉलेस ने बताया कि हम आमतौर पर रेडियोएक्टिव कचरे और गैस की जांच करते हैं. इससे पता चलता है कि बम कैसे बना था. उसके अंदर किस तरह का परमाणु स्रोत रखा था. लेकिन समय के साथ ये नष्ट हो जाते हैं. लेकिन उस जगह पर कोई क्वासीक्रिस्टल बना है तो हम उस परमाणु परीक्षण की पूरी जानकारी जुटा सकते हैं. (फोटोःगेटी)

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टेरी ने बताया कि ट्रिनिटी बम विस्फोट के समय जो आग का गोला निकला था वह उस समय सूरज के तापमान से ज्यादा गर्म था. इसकी वजह से मेटल टेस्ट टॉवर और उस जगह की रेत पिघल कर नए प्रकार की कांच में तब्दील हो गई. इसे वैज्ञानिकों ने ट्रिनिटाइट (Trinitite) नाम दिया था. ज्यादातर ट्रिनिटाइट सैंपल हरे रंग के होते हैं. दुर्लभ सैंपल मिलते हैं जो लाल रंग के होते हैं. क्योंकि इनमें तांबा की मात्रा ज्यादा होती है. या फिर टावर का धातु और रिकॉर्डिंग यंत्रों से मिली धातु होती है. (फोटोःगेटी)

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टेरी वॉलेस अपने साथियों के साथ ट्रिनिटाइट सैंपल को इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप के अंदर जांच रहे थे. तभी उन्हें ट्रिनिटाइट के अंदर धातु के ब्लॉब दिखाई दिए. यानी बुलबुले जैसी आकृति. उन्हें लगा आम क्रिस्टल होगा. लेकिन बारीकी से जांचने पर पता चला कि पांच किनारों वाला क्वासीक्रिस्टल है. जिसका एटॉमिक स्ट्रक्चर धरती पर मौजूद किसी धातु से नहीं मिलता. ये एक हैरान कर देने वाली खोज थी. (फोटोःगेटी)

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टेरी ने देखा कि ये क्वासीक्रिस्टल रेगिस्तान की रेत में मिलने वाले सिलिकॉन से बना है. इसके अलावा इसमें तांबा, लोहा और कैल्सियम भी है. इतनी जटिल संरचना होने के बावजूद यह क्वासीक्रिस्टल अद्भुत है. हालांकि अभी टेरी और उनकी टीम इस बात की जांच कर रहे हैं कि ये बने कैसे? संरचना तो जटिल है लेकिन इसके निर्माण की उत्पत्ति की जानकारी हासिल करना जरूरी है.  (फोटोःगेटी)

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टेरी ने कहा कि यह बात तो पुख्ता हो चुकी है कि यह क्वासीक्रिस्टल ट्रिनिटी परमाणु परीक्षण वाली जगह पर ही बना है. क्योंकि इसकी जटिल संरचना और रेडियोएक्टिविटी उस ऐतिहासिक विस्फोट की गवाही देते हैं.  यही नहीं इंसानों द्वारा बनाया गया ये अब तक सबसे पुराना क्वासीक्रिस्टल है. ऐसे क्रिस्टल अन्य परमाणु परीक्षण वाली जगहों पर भी मिल सकते हैं. लेकिन उनकी जांच करने की अनुमति मिलनी चाहिए. (फोटोःगेटी)

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