
सवा लाख साल में पहली बार 2023 सबसे ज्यादा गर्म साबित हुआ है. साथ ही पिछला अक्टूबर भी दुनिया का सबसे गर्म अक्टूबर महीना था. पिछले महीने ने 2019 के अक्टूबर का भी रिकॉर्ड तोड़ दिया है. यह जानकारी यूरोपियन यूनियन के कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (C3S) की तरफ से आई है.
C3S की डिप्टी डायरेक्टर सामंथा बर्गेस ने कहा कि पिछला रिकॉर्ड 0.4 डिग्री सेल्सियस से टूटा है. अक्टूबर महीने में जो वैश्विक स्तर पर तापमान में बदलाव आया है, वो बेहद भयावह और तेज था. यह गर्मी इसलिए बढ़ रही है क्योंकि हम इंसान ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन रोक नहीं पा रहे हैं. साथ ही पिछले साल आए अल-नीनो ने इसे और बढ़ा दिया है.
अल-नीनो की वजह से पूरी दुनिया में मौसम बदला है. क्योंकि पूर्वी प्रशांत महासागर का ऊपरी हिस्सा तप रहा है. कॉपरनिकस के मुताबिक पिछले अक्टूबर महीने में पारा सामान्य से 1.7 डिग्री सेल्सियस ऊपर रहा है. इसकी गणना प्री-इंडस्ट्रियल काल से लेकर अब तक यानी 1850 से 1900 के बाद से अब तक.
अक्टूबर महीने के गर्म साबित होने का मतलब ये है कि 2023 दुनिया के इतिहास में सबसे गर्म साल था. इससे पहले 2016 में अल-नीनो का असर था. गर्मी तब भी थी. लेकिन इस बार रिकॉर्ड टूट गया. कॉपरनिकस के पास 1940 से लेकर अब तक के डेटा मौजूद है. जब इसके डेटा को IPCC के डेटा से मिलाया गया, तब सवा लाख साल का डेटा सामने आ गया. अल-नीनो की वजह से जो सबसे गर्म अक्टूबर महीना था, वो साल 2016 में था. वो रिकॉर्ड भी टूट गया.
इतने लंबे समय का डेटा निकालने के लिए संयुक्त राष्ट्र के साइंस पैनल IPCC ने आइस कोर, पेड़ों के छल्ले और कोरल की मात्राओं की जांच की. तब पता चला कि अक्टूबर महीना सबसे गर्म था. इससे पहले ये रिकॉर्ड इसके पहले वाले सितंबर महीने में था. सितंबर के बाद अक्टूबर के गर्म होने से नई क्लाइमेट सिचुएशन बन गई है. जो खतरनाक है.
वैज्ञानिकों का कहना है कि ज्यादातर अल-नीनो वाले साल लगातार नए रिकॉर्ड्स बना रहे हैं. कोई गर्मी बढ़ाने में तो कोई बेमौसम बरसात लाने में. तो कहीं बहुत ज्यादा ठंड हो रही है, तो कहीं सूखा पड़ रहा है. अल-नीनो की वजह से पूरी दुनिया का तापमान इस समय बढ़ा हुआ है. जो कई विकासशील और गरीब देशों के लिए आफत है.